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Delhi Elections 2020: बवाना सीट पर कांग्रेस लगा चुकी हैट्रिक, फिर नहीं मिली जीत

बवाना विधानसभा दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा सीटों में से एक सीट है और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 12 में से एक सीट यह भी है. इस सीट पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है और पार्टी ने 2015 के बाद 2017 के उपचुनाव में जीत हासिल की थी.

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Delhi Elections 2020: बवाना सीट पर इस बार किसे मिलेगी जीत (सांकेतिक तस्वीर-REUTERS)
Delhi Elections 2020: बवाना सीट पर इस बार किसे मिलेगी जीत (सांकेतिक तस्वीर-REUTERS)

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  • 2017 के उपचुनाव में भी विजयी रही AAP
  • कांग्रेस बवाना सीट से लगा चुकी है हैट्रिक

बवाना विधानसभा सीट दिल्ली (Delhi Elections 2020) की 70 सदस्यीय विधानसभा सीटों में से एक सीट है और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 12 सीटों में से एक सीट यह भी है. बवाना क्षेत्र नॉर्थ वेस्ट दिल्ली संसदीय क्षेत्र के तहत आता है. 2015 के बाद 2017 के उपचुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने बाजी मार ली थी. इस सीट की खास बात यह रही कि कांग्रेस इस सीट से जीत की हैट्रिक लगा चुकी है, लेकिन पिछले 2 बार से उसे हार मिल रही है.

इस बार हो रहे विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बवाना सीट से मौजूदा विधायक राम चंदर का टिकट काटकर जय भगवान उपकार को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने उनके सामने रविंद्र कुमार को मैदान में उतारा है.

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2015 के विधानसभा चुनाव में बवाना विधानसभा सीट पर कुल 3,02,849 वोटर्स थे जिसमें 1,69,284 पुरुष और 1,33,535 महिला वोटर्स शामिल हैं. 3,02,849 वोटरों में से 1,88,660 लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. 870 लोगों ने नोटा के पक्ष में मतदान किया. हालांकि 2 साल बाद यहां पर उपचुनाव भी हुआ जिसमें आम आदमी पार्टी ने अपनी सीट बचा ली, लेकिन 2015 में जीत हासिल करने वाले वेद प्रकाश नई पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन हार गए.

उपचुनाव में भी जीती AAP

बवाना सीट पर 2015 में हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी ने वेद प्रकाश को मैदान में उतारा और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के गुगन सिंह को 50,023 मतों के अंतर से हरा दिया. 3 बार के विधायक रहे और कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र कुमार तीसरे स्थान पर रहे थे. मैदान में कुल 6 उम्मीदवार उतरे थे.

हालांकि 2017 के उपचुनाव की बात करें तो बदले सियासी समीकरण में आम आदमी पार्टी के वेद प्रकाश इस बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट से मैदान में उतरे लेकिन उन्हें आम आदमी पार्टी के राम चंदर ने हरा कर पार्टी की पकड़ बनाए रखा. वेद प्रकाश दूसरे और कांग्रेस के सुरेंद्र तीसरे स्थान पर रहे.

1993 में दिल्ली के पूर्ण विधानसभा दर्जा हासिल करने के बाद से ही बवाना अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और यहां पर हुए पहले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के चांद राम ने जनता दल के राजेंद्र सिंह को हराकर पार्टी को जीत दिलाई थी.

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1998 से जीत बीजेपी से दूर

1998 में हुए दूसरे चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी से यह सीट छीन ली और सुरेंद्र कुमार ने पहली जीत हासिल की. इसके बाद 2003 और 2008 के चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल करते हुए हैट्रिक बनाई. 2013 में आम आदमी पार्टी के अभ्युदय के बीच भारतीय जनता पार्टी के गुगन सिंह ने AAP के मनोज को हरा दिया.

2015 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पिछली हार का बदला लेते हुए बीजेपी के गुगन सिंह को हरा दिया और वेद प्रकाश विधायक बन गए. 2015 के बाद 2017 के उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के राम चंदर ने जीत हासिल की.

बवाना के विधायक राम चंदर की बात करें तो 2017 के उपचुनाव में दाखिल हलफनामे के अनुसार विधायक राम चंदर के खिलाफ कोई आपराधिक केस दर्ज नहीं था और वह आठवीं पास हैं. 58 साल के राम चंदर के पास 2105 के हलफनामे के अनुसार 57,50,880 रुपये की संपत्ति थी. जबकि बीजेपी के वेद प्रकाश के खिलाफ 2 आपराधिक केस दर्ज थे.

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कब होगी मतगणना?

दिल्ली की पहली विधानसभा का गठन 1993 में हुआ था और इस बार यहां पर सातवां विधानसभा चुनाव कराया जा रहा है. इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मंत्रीपरिषद हुआ करती थी. 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में इस बार महज एक चरण में मतदान हो रहा है. 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे जबकि 11 फरवरी को मतगणना होगी. छठी दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी 2020 को समाप्त हो जाएगा.

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