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Delhi elections 2020: चांदनी चौक सीट पर वापसी के लिए AAP से कांग्रेस की जंग

2015 में हुए विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी (AAP) की अलका लांबा विजयी रही थीं. खास बात यह है कि अलका लांबा पिछले साल 6 सितंबर को आम आदमी पार्टी का दामन छोड़कर अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में लौट आई हैं.

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Delhi elections 2020: क्या चांदनी चौक सीट पर कांग्रेस की होगी वापसी (फाइल)
Delhi elections 2020: क्या चांदनी चौक सीट पर कांग्रेस की होगी वापसी (फाइल)

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  • अलका लांबा ने 2015 में जीत हासिल की थी
  • 10 उम्मीदवारों को 220 वोट तक नहीं मिले

दिल्ली के सबसे चर्चित क्षेत्रों में शामिल है चांदनी चौक. चांदनी चौक अपनी ऐतिहासिक विरासत, नफासत और शानदार बाजार की वजह से जाना जाता है. 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा (Delhi Elections 2020) में चांदनी चौक भी एक विधानसभा क्षेत्र है और कभी यह कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. 1990 के बाद से अब तक चांदनी चौक लोकसभा सीट पर 5 बार  जीत हासिल करने वाली बीजेपी चांदनी चौक विधानसभा सीट पर महज एक बार ही जीत हासिल कर सकी है.

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से एक चांदनी चौक विधानसभा सीट चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में ही पड़ती है और यह सेंट्रल दिल्ली जिले के तहत आता है. 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र में 1,13,777 वोटर्स थे जिसमें 62,719 पुरुष और 51,052 महिला वोटर्स शामिल थे. जबकि 6 मतदाता थर्ड जेंडर के थे.

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2015 के चुनाव में 17 उम्मीदवार

2015 में हुए विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी (AAP) की अलका लांबा विजयी रही थीं. उन्होंने पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल की लहर में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सुमन कुमार गुप्ता को 18,287 मतों के अंतर से हराया था. खास बात यह है कि अलका लांबा पिछले साल 6 सितंबर को आम आदमी पार्टी का दामन छोड़कर अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में लौट आई हैं.

इस चुनाव में कुल 13 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. आम आदमी पार्टी की अलका लांबा ने 36,756 तो बीजेपी के सुमन कुमार गुप्ता ने 18,469 मत हासिल किया और इस तरह से अलका ने 18,287 मतों के अंतर से चुनाव जीत लिया. 1,13,777 वोटर्स में 74,476 वोटर्स ने मतदान में हिस्सा लिया. जबकि 362 वोट नोटा में पड़े.

6 उम्मीदवारों को तो 100 वोट भी नहीं

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 2015 में भी जीत हासिल करने में नाकाम रही और वह दूसरे स्थान पर रही थी. कांग्रेस के प्रह्लाद सिंह तीसरे स्थान पर रहे. 6 उम्मीदवारों को तो 100 वोट भी नहीं मिले तो वहीं 13 में से 10 उम्मीदवार तो 220 के आंकड़ों को भी पार नहीं कर सके.

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1993 में पूर्ण विधानसभा का दर्जा पाने वाली दिल्ली विधानसभा में हुए पहले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के वासुदेव कैप्टन ने पहली जीत हासिल की थी. लेकिन यह जीत यहां से बीजेपी के लिए पहली और आखिरी जीत साबित हुई.

कांग्रेस के अजेय नेता की 2015 में हार

अब तक हुए चुनाव में बीजेपी 1993 के बाद हुए सभी 5 चुनाव में दूसरे स्थान पर रही. 1998 में कांग्रेस के प्रह्लाद सिंह शेनाय ने पहली जीत हासिल की और इसके बाद वह 2013 तक चांदनी चौक सीट से अजेय बने रहे. लगातार 4 चुनाव में जीत हासिल करने के बाद प्रह्लाद 2015 में जीत का छक्का लगाने के इरादे से मैदान में उतरे लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा और चुनावी मैदान में वह तीसरे स्थान पर खिसक गए.

पिछले विधायक अलका लांबा की बात करें तो 2015 के चुनाव में दाखिल हलफनामे के अनुसार वह पोस्ट ग्रेजुएट हैं और दिल्ली के युवा विधायकों में से एक हैं. 44 वर्षीया अलका लांबा के पास 2015 में दाखिल हलफनामे के अनुसार 1,40,12,477 रुपये की संपत्ति है. उनके खिलाफ एक भी आपराधिक केस दर्ज नहीं है.

कब होगी मतगणना?

दिल्ली की पहली पूर्ण विधानसभा का गठन नवंबर 1993 में हुआ था. इससे पहले दिल्ली में मंत्रीपरिषद हुआ करती थी. इस बार 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के लिए 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे जबकि 11 फरवरी को मतगणना होगी. मौजूदा दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी 2020 को समाप्त हो रहा है.

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