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Delhi Elections: कांग्रेस के गढ़ मादीपुर में सेंध लगाने वाली AAP फिर लहराएगी परचम?

दिल्ली विधानसभा के लिए 1993 से चुनावी इतिहास को देखें तो मादीपुर से पहली बार भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर स्वरूप चंद राजन जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे.

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चुनाव प्रचार में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (फोटो-पंकज नानगिया)
चुनाव प्रचार में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (फोटो-पंकज नानगिया)

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  • इस सीट पर 1998-2008 तक कांग्रेस का रहा कब्जा
  • 2013 व 2015 में आम आदमी पार्टी को मिली जीत

मादीपुर विधानसभा क्षेत्र दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. 2002 में गठित परिसीमन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद मादीपुर निर्वाचन क्षेत्र 2008 में अस्तित्व में आया था. मादीपुर, पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली 9 विधानसभा सीटों उत्तम नगर, राजौरी गार्डन, हरिनगर, तिलक नगर, जनकपुरी, विकासपुरी, द्वारका, मटियाला और नजफगढ़ में से एक है.

मादीपुर विधानसभा क्षेत्र का नाम मादीपुर गांव के नाम पर रखा गया है जो यादव बहुल गांव है. यह इलाका महिलाओं के लिए फुटवियर निर्माण के लिए जाना जाता है. दिल्ली विधानसभा के लिए 1993 से चुनावी इतिहास को देखें तो यहां से पहली बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर स्वरूप चंद राजन जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे.

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मगर 1993 के बाद हुए चुनावों में ये सीट कांग्रेस के खाते में चली गई. 1993 के बाद 1998 में विधानसभा चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस ने जीत हासिल की. 1998, 2003, 2008 के विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार माला राम गंगवाल लगातार प्रतिधिनित्व करते रहे.

अन्ना आंदोलन के बाद हारी कांग्रेस

दिल्ली में हुए अन्ना आंदोलन के बाद इस सीट को कांग्रेस बचाने में नाकामयाब रही और 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के माला राम गंगवाल को आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार गिरीश सोनी के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा. लेकिन 2013 के चुनावों में आम आदमी पार्टी की सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और फिर 2015 में दोबारा चुनाव हुए, जिसमें आम आदमी पार्टी दिल्ली की 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है. जिन 67 सीटों पर आम आदमी पार्टी को जीतने में कामयाबी मिली, उनमें मादीपुर विधानसभा सीट भी शामिल थी.   

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आम आदमी पार्टी की दिलचस्प जीत

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मादीपुर विधानसभा सीट पर 2013 और 2015 के चुनावों में मजेदार बात देखने को मिली. 2013 के चुनाव में 36,393 वोटों यानी कुल मतदान का 35.97 फीसदी हिस्सा आम आदमी पार्टी के खाते में गया, लेकिन जब 2015 में चुनाव हुए तो अरविंद केजरीवाल की पार्टी के वोटों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी गई. 2015 में चुनाव में आम आदमी पार्टी के गिरीश सोनी को 66,571 वोट यानी 57.24 फीसदी मत मिले. जाहिर है आम आदमी पार्टी की झोली में गया वोट कांग्रेस के खाते का था. क्योंकि 2013 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी माला राम गंगवाल को 25,545 वोट यानी 25.25 फीसदी मत मिले जबकि 2015 में यह घटकर 8.89 फीसदी यानी 10,350 वोट हो गया.

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