दिल्ली के चुनावी दंगल में सोमवार को बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती भी उतरीं. मायावती ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में अपनी पहली सभा को संबोधित किया और केंद्र-राज्य की सरकारों पर जमकर बरसीं. मायावती ने कहा कि दिल्ली में दलित-पिछड़ों का विकास नहीं हुआ है ऐसे में इस सरकार को आजमाने की कोई जरूरत नहीं है.
नागरिकता संशोधन एक्ट के मसले पर मायावती की ओर से लगातार ट्वीट कर सरकार को घेरा जा रहा है. मायावती ने इस सभा में इस मुद्दे को उठाया और कहा कि पूरे देश में मुस्लिम समाज की हालत भी अच्छी नहीं है, सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में भी इसके बारे में बताया है. सीएए, एनआरसी की वजह से मुस्लिम समाज का जीना मुश्किल कर दिया है.
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BJP-कांग्रेस में आपसी मिलीभगत
दिल्ली विधानसभा चुनाव की अपनी पहली सभा में मायावती ने कहा, ‘आदिवासियों, पिछड़े, मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ गरीबों, मजदूरों और किसानों का विकास नहीं हुआ है. दलितों, आदिवासियों से कहना चाहती हूं कि वे अब इस AAP सरकार को ना आजमाएं.’
Bahujan Samaj Party (BSP) Chief Mayawati in Delhi: Our party is contesting on almost all of the Delhi assembly constituencies on its own strength. We have not done alliance with any other party in this election. #DelhiElections2020 pic.twitter.com/1Sb6fxZ1Gi
— ANI (@ANI) February 3, 2020
बसपा प्रमुख बोलीं कि कांग्रेस, बीजेपी, AAP ने पिछड़े लोगों को आरक्षण देने का वादा नहीं पूरा किया. कांग्रेस और बीजेपी की अंदरूनी मिलीभगत से दलितों की पदोन्नति को रोक रही हैं.
कांग्रेस और भाजपा पर निशाना साधते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि केंद्र में रहते हुए कांग्रेस ने अन्य पिछड़े वर्ग को आरक्षण नहीं दिया, बीजेपी भी ऐसा नहीं करना चाहती थी. लेकिन हमारी पार्टी ने इन दोनों पार्टियों पर दबाव बनाया और जिसके बाद इन्हें झुकना पड़ा.
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आर्थिक हालात के मसले पर मायावती ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा. मायावती बोलीं कि गलत आर्थिक नीतियों की वजह से देश के हालात बुरे हुए हैं. बीजेपी सरकार को धन्नासेठ नहीं बल्कि गरीबों के विकास पर फोकस करना चाहिए.
आपको बता दें कि बहुजन समाज पार्टी दिल्ली के दंगल में लगभग सभी सीटों पर किस्मत आजमा रही है. दिल्ली की 70 में से 68 सीटों पर बसपा ने अपने उम्मीदवारों को उतारा है. 2003 के विधानसभा चुनाव में बसपा दिल्ली में कांग्रेस-बीजेपी के बाद तीसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन AAP के राजनीतिक उदय के बाद बसपा के लिए अपना जनाधार बचाए रखना मुश्किल हो गया है.