दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 8 फरवरी को मतदान होना है. इस बीच शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली चुनाव आयोग ने इस इलाके में आने वाले सभी मतदान केंद्र को संवेदनशील घोषित कर दिया है. यहां पांच मतदान केंद्रों के तहत कुल 40 बूथ हैं. शाहीन बाग में पिछले 15 दिसंबर से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ धरना-प्रदर्शन चल रहा है.
दिल्ली के शाहीन बाग में पांच मतदान केंद्र हैं. विधानसभा के लिए 8 फरवरी को मतदान होना है लेकिन शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जारी धरना-प्रदर्शन अब तक खत्म नहीं हुआ है. दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) रणबीर सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'शाहीन बाग में पुलिस अलर्ट है. ऐसे में जिन इलाकों में मतदान होना है वहां किसी तरह की कोई अप्रिय घटना नहीं होगी. मतदाताओं को बिना भय के मतदान करना चाहिए.'
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रणबीर सिंह ने कहा कि मतदाताओं में विश्वास बनाए रखने के लिए सुरक्षा बल इलाके में मार्च करेंगे. उन्होंने बताया कि शाहीन बाग में पांच मतदान केंद्रों पर 40 बूथ होंगे. इन मतदान केंद्रों के संवेदनशील होने के कारण सुरक्षा बल और चुनाव अधिकारी अतिरिक्त सतर्कता बरतेंगे. शाहीन बाग ओखला निर्वाचन क्षेत्र में आता है. दिल्ली चुनाव आयोग की टीम ने बुधवार को शाहीन बाग इलाके में आकर चुनाव तैयारियों का जायजा लिया. टीम के सदस्यों ने स्थानीय लोगों से बात की.
शाहीन बाग में 15 दिसंबर से धरना-प्रदर्शन
उन्होंने बताया कि शाहीन बाग से किसी भी मतदाता ने अब तक सुरक्षा को लेकर कोई शिकायत नहीं की है. उन्होंने बताया कि दिल्ली के 2,689 इलाकों में कुल 13,750 पोलिंग बूथ हैं. विधानसभा की 70 सीटों के लिए कुल 1,47,86,382 मतदाता वोट डालेंगे. इनमें 2,32,815 मतदाता 18 से 19 साल की उम्र के हैं. बता दें कि देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद शाहीन बाग में 15 दिसंबर से इस कानून के विरोध में धरना प्रदर्शन हो रहा है.
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शाहीन बाग में फायरिंग की 3 घटनाएं
बता दें कि शाहीन बाग में नागरिकता कानून के खिलाफ धरना प्रदर्शन शुरू होने के बाद देश भर के कई राज्यों में इसी तर्ज पर प्रदर्शन शुरू हो गया. दिल्ली विधानसभा चुनाव में इसे आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने मुद्दा बनाया. लेकिन भाजपा नेता अनुराग ठाकुर के विवादित नारा 'देश के गद्दारों को गोली मारो...' के बाद वहां एक सप्ताह के भीतर 3 बार फायरिंग की घटना हुई. इसके बाद इस मुद्दे पर विपक्ष ने भाजपा को निशाने पर लिया और अनुराग ठाकुर के बयान की कड़ी निंदा की.