दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली तुगलकाबाद विधानसभा क्षेत्र पानी की समस्या को लेकर अक्सर सुर्खियों में रही है. बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी इस विधानसभा सीट से लगातार तीन बार विधायक रहे हैं. यहां पर पहले टैंकर से पानी सप्लाई किया जाता था. इस दौरान कई इलाकों में मारपीट की घटनाएं सामने आती रही हैं.
पिछले साल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब विधानसभा सीट का दौरा कर रहे थे तो वहां के बाशिंदों ने सीएम से शिकायत करते हुए कहा था कि पाइप तो बिछा दी गई है लेकिन पानी नहीं मिल रहा है और न ही टैंकर से पानी बांटा जा रहा है. इसके जवाब में सीएम केजरीवाल ने कहा था कि अब टैंकर नहीं आएगा, बल्कि आप सबके घरों के अंदर नल में पानी आएगा. तुगलकाबाद में निजी बोरवेल से पानी चोरी की शिकायतें और टैंकरों के नहीं आने को लेकर काफी शिकायतें आती रही हैं.
जाहिर है आम आदमी पार्टी, पानी और बिजली के मुद्दे पर ही सत्ता में आई. 2020 विधनसभा चुनाव में पार्टी इसी मुद्दे को लेकर चुनाव लड़ रही है. केजरीवाल सरकार का दावा है कि उन्होंने राज्य में पानी और बिजली को लेकर खूब काम किया है. ऐसे में उनका दावा अगर सच है तो आम आदमी पार्टी एक बार फिर से इस विधानसभा सीट पर कब्जा कर सकती है.
2015 में बीजेपी को मिली शिकस्त
रमेश बिधूड़ी साल 2014 में दक्षिणी दिल्ली से पहली बार सांसद चुने गए. इससे पहले वो साल 2003 से 2015 तक लगातार तीन बार तुगलकाबाद सीट से विधायक चुने जाते रहे. हालांकि 2015 में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार साहीराम पहलवान ने बड़ा उलटफेर करते हुए बीजेपी उम्मीदवार विक्रम बिधूड़ी को 33,701 वोटों से शिकस्त दी. विक्रम बिधुड़ी बीजेपी सांसद और पूर्व विधायक रमेश बिधूड़ी के भतीजे हैं.
वहीं वर्तमान विधायक साहीराम पहलवान, पहले बीएसपी (बहुजन समाज पार्टी) में थे. चुनाव से ठीक पहले उन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वॉइन की थी.
वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस के उम्मीदवार सचिन थे जिनको महज 4,269 वोट मिले थे. 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने अपनी खोई हुई सीट वापसी करने की चुनौती होगी.
मतदाताओं की संख्या 1,55,327
2015 विधानसभा चुनाव के मुताबिक तुगलकाबाद विधानसभा में मतदाताओं की कुल संख्या 1,55,327 है. इनमें 94,837 पुरुष हैं, जबकि 60,480 महिला वोटर्स. राजधानी दिल्ली में विधानसभा की कुल 70 सीटें हैं. 2015 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल करते हुए 67 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं बीजेपी के 3 विधायक विधानसभा पहुंचे, जबकि कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला. जबकि केजरीवाल सरकार की 49 दिनों की सरकार से पहले दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी.
वहीं बीजेपी की बात की जाए तो 2014 लोकसभा चुनाव के बाद पूरे देश में मोदी लहर थी. ऐसे में केजरीवाल सरकार के लिए इतनी बड़ी जीत हासिल करना बड़ी उपलब्धि थी.
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दिल्ली में 8 फरवरी को चुनाव
दिल्ली की पहली विधानसभा का गठन नवंबर 1993 में हुआ था. इससे पहले दिल्ली में मंत्रिपरिषद हुआ करती थी. दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा की सभी सीटों पर 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. जबकि मतगणना 11 फरवरी को होगी. मौजूदा दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी 2020 को समाप्त हो रहा है.