दिल्ली चुनाव के मद्देनजर बीजेपी के चुनाव समिति में लगातार उम्मीदवारों को लेकर माथापच्ची जारी है. वहीं, हरियाणा में बीजेपी सरकार में शामिल दुष्यंत चौटाला की जननायक पार्टी भी दिल्ली में भी ताल ठोक रही है और बीजेपी की हां का इंतजार भी है. हरियाणा के बाद जेजेपी दिल्ली में बीजेपी के बुलावे का इंतजार कर रही है, इसके लिए जेजेपी को बीजेपी पार्टी हाइकमान की तरफ से हां का इंतजार है.
सूत्रों के मुताबिक, जेजेपी की तरफ से गठबंधन के लिए 5 सीटों की मांग की गई है, लेकिन बीजेपी के पास 2 से ज्यादा विकल्प नहीं है. पहला अगर गठबंधन हुआ तो बीजेपी दो से ज्यादा सीटें नहीं देगी. एक नजफगढ़ विधानसभा सीट जहां पहले इंडियन नेशनल लोक दल से भरत सिंह विधायक रह चुके हैं. दूसरी बवाना या नरेला में एक सीट दे सकती है.
कमल पर चुनाव लड़ने को कह सकती है बीजेपी
वहीं दूसरा विकल्प ये है कि बीजेपी जन जनायक पार्टी को अपने चुनाव चिन्ह चाबी की जगह पर कमल के निशान पर चुनाव लड़ने को कह सकती है, जैसे वो अकाली दल के साथ करती है.
अकाली दल भले ही 5 सीटों पर अपने उम्मीदवार देती हो, लेकिन दिल्ली में अकाली दल अपने चुनाव चिन्ह नहीं, बल्कि कमल के निशान पर चुनाव लड़ती है.
हालांकि, बीजेपी के सामने बड़ा सवाल है कि क्या बीजेपी को जेजेपी के साथ गठबंधन की जरूरत है. फिलहाल ये स्पष्ट नहीं है, क्योंकि इसको लेकर बीजेपी हाई कमांड को फैसला लेना है.
दिल्ली बीजेपी का अकाली दल के साथ गठबंधन
वैसे दिल्ली में बीजेपी के साथ अकाली दल के साथ गठबंधन है. अकाली दल के साथ बीजेपी का दिल्ली विधानसभा के 5 सीटों पर गठबंधन है, जो कि सिख बाहुल्य सीट है. ऐसे में जेजेपी को लगता है बाहरी दिल्ली के 10 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं जहां जाटों के वोटों की अहमियत है. कहीं 5000, 7000 का तो कहीं 2000 वोटो का फायदा हो सकता है.
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पार्टी की प्राथमिकता होगी कि भाजपा के साथ चुनावी समझौता हो जाए. जेजेपी की स्पष्ट राय है कि यदि भाजपा दिल्ली में पांच सीटों पर JJP के साथ समझौता करती है, तो उसे 20 सीटों पर सीधा फायदा मिलेगा.