नई दिल्ली विधानसभा सीट ने दिल्ली को पांच बार मुख्यमंत्री दिए हैं. नई दिल्ली सीट जीतकर शीला दीक्षित लगातर तीन बार और अरविंद केजरीवाल दो बार मुख्यमंत्री बने हैं.
नई दिल्ली सीट पर पिछले 5 बार से भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल से पहले कांग्रेस की शीला दीक्षित लगातार 15 सालों तक इस सीट से जीतकर दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं.
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इस सीट पर 1993 में बीजेपी के उम्मीदवार कीर्ति आजाद जीते थे. इसके बाद 1998 में कांग्रेस ने शीला दीक्षित को उतारा और उन्होंने कीर्ति आजाद को इस सीट से हराया. इसके बाद 2003 में बीजेपी ने इस सीट से कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम को उतारा, जिन्हें शीला दीक्षित ने हराया. इसके बाद 2008 के चुनाव में शीला दीक्षित ने बीजेपी के विजय जॉली को मात दी. 2013 में इस नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल खड़े हुए और उन्होंने शीला दीक्षित को मात दी. इसके बाद 2015 के चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी की नुपूर शर्मा को शिकस्त दी.
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नई दिल्ली सीट से एक बार फिर से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी की तरफ से इस सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सुनील यादव मोर्चा संभाल रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से रोमेश सभरवाल को उम्मीदवार बनाया गया है.
नई दिल्ली सीट का समीकरण
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर कुल मतदाताओं में अनुसूचित जाति की आबादी 14.95 फीसदी है. 2019 की मतदाता सूची के मुताबिक 14,3,708 मतदाता 175 मतदान केंद्रों पर वोटिंग करेंगे. 2015 के विधानसभा चुनावों में 64.72% मतदान हुआ था. बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को क्रमशः 28.73%, 5.36% और 64.14% वोट मिले थे.
विधानसभा चुनाव 2015
अरविंद केजरीवाल (आम आदमी पार्टी)-57,213 (64.34%)
नुपूर शर्मा (बीजेपी)25,630 (28.81%)
किरण वालिया (कांग्रेस) 4,781(5.37%)
विधानसभा चुनाव 2013
अरविंद केजरीवाल (आम आदमी पार्टी)-44,269 (53.46%)
शीला दीक्षित(कांग्रेस)-18,405 (22.23%)
विजेंद्र गुप्ता (बीजेपी)-17,952 (21.68%)
2013-2015 में चली थी केजरीवाल की लहर
बहरहाल, दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक एवं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समक्ष अपना सबसे मजबूत किला बचाने की प्रबल चुनौती है.
पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतने वाले केजरीवाल का जादू इस बार चलेगा या नहीं इस पर पूरे देश की निगाहें हैं. केजरीवाल अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान विशेषकर स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों को गिनाते हुए इस बार भी पूरे आत्मविश्वास में हैं जबकि राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पिछला करिश्मा दोहराना मुश्किल नजर आ रहा है.
वर्ष 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही ‘AAP’ का गठन हुआ था और उस चुनाव में दिल्ली में पहली बार त्रिकोणीय संघर्ष हुआ जिसमें 15 वर्ष से सत्ता पर काबिज कांग्रेस 70 में से केवल आठ सीटें जीत पाई जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार बनाने से केवल चार कदम दूर अर्थात 32 सीटों पर अटक गई. ‘आप’ को 28 सीटें मिली और शेष दो अन्य के खाते में रहीं.
भाजपा को सत्ता से दूर रखने के प्रयास में कांग्रेस ने ‘AAP’ को समर्थन दिया और केजरीवाल ने सरकार बनाई. लोकपाल को लेकर दोनों पार्टियों के बीच ठन गई और केजरीवाल ने 49 दिन पुरानी सरकार से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा और फरवरी 2015 में ‘AAP’ने सभी राजनीतिक पंडितों के अनुमानों को झुठलाते हुए 70 में से 67 सीटें जीतीं. बीजेपी तीन पर सिमट गई जबकि कांग्रेस की झोली पूरी तरह खाली रह गई.
वोटिंग और मतगणना कब?
दिल्ली की पहली विधानसभा का गठन 1993 में हुआ था और इस बार यहां पर सातवां विधानसभा चुनाव कराया जा रहा है. इससे पहले राजधानी दिल्ली में मंत्रीपरिषद हुआ करती थी. दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा में इस बार महज एक चरण में मतदान हो रहा है. 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे जबकि 11 फरवरी को मतगणना होगी. छठी दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी 2020 को समाप्त हो जाएगा.