देश के जाने-माने संविधान और राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि गोवा विधानसभा मामले में उच्चतम न्यायालय के पास जाने का कोई औचित्य नहीं था. वे इस मामले में कहते हैं कि संवैधानिक स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है. संविधान में साफ-साफ कहां गया है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा. ऐसे में राज्यपाल द्वारा किसी की भी नियुक्ति की जा सकती है. वे कहते हैं कि किसी को सिर्फ इसलिए नियुक्त नहीं किया जा सकता क्योंकि संविधान में साफ-साफ कहा गया है कि जो मंत्रिमंडल बनेगा वह विधानसभा के प्रति उत्तरदाई होगा.
राज्यपाल को ऐसे व्यक्ति में विश्वास करना होता है जिसे सदन में बहुमत मिलने की संभावना है. ऐसे में राज्यपाल अपनी समझ के अनुसार बहुमत हासिल करने के लिए किन्हीं को बुलाया जा सकता है. राज्यपाल ने अब बुला लिया है और उन्हें सदन के पटल पर बहुमत साबित करना होगा.
इस स्थिति को बताया संवैधानिक
वे आगे कहते हैं कि यह संवैधानिक स्थिति है. ऐसे में उच्चतम न्यायालय ने भी यही कहा कि जल्द से जल्द बहुमत का परीक्षण किया जाए. कांग्रेस के संख्या बल ज्यादा होने के दावे के बारे में वे कहते हैं कि उच्चतम न्यायालय ने भी कहा कि अगर उनके पास नंबर ज्यादा है तो गवर्नर के पास जाएं. जब उन्होंने क्लेम ही नहीं किया कि उनके पास अधिक नंबर हैं तो फिर यह कैसे माना जाए कि वे संख्या में अधिक हैं. ऐसी स्थिति में वे सदन में अपनी ताकत दिखाएं.