गोवा में विधानसभा चुनाव के लिए आज शाम चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है. तारीखों के ऐलान से पहले वहां का राजनीतिक पारा गरमा गया है. जिस तरह से गोवा की राजनीति में लगातार बदलाव हो रहे हैं, ये काफी इंट्रेस्टिंग बनता जा रहा है.
दरअसल, पहले तो ये लग रहा था कि गोवा में हमेशा की तरह भाजपा बनाम कांग्रेस के बीच मुकाबला होगा. कांग्रेस ने अलायंस भी बनाना शुरू कर दिया था. कांग्रेस ने गोवा की क्षेत्रीय पार्टी गोवा फॉरवर्ड (बीजेपी के साथ गठबंधन के तहत पहले सरकार में थी) के साथ गठबंधन की घोषणा भी कर दी थी, लेकिन गोवा की राजनीति में तृणमूल कांग्रेस के उतरने से मामला बदल गया है. इसके साथ आम आदमी पार्टी भी इस बार दोबारा अपना भाग्य आजमा रही है. पिछली बार के चुनाव में भी उन्होंने किस्मत आजमाई थी, लेकिन बहुत ज्यादा फायदा नहीं हुआ था. उधर, गोवा में गठबंधन के सवाल पर पी. चिदंबरम ने कहा है कि गठबंधन के लिए टीएमसी की ओर से क्या कुछ ऑफर आता है, देखते हैं.
2017 के चुनाव में मनोहर पर्रिकर के होने के बावजूद कांग्रेस को भाजपा से ज्यादा सीटें मिली थीं, लेकिन भाजपा ने तेजी दिखाते हुए गोवा फारवर्ड और एक अन्य क्षेत्रीय दल महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना ली. पर्रिकर के जाने के बाद प्रमोद सांवत की सरकार बनी. उन्होंने कांग्रेस में फूट डाली और कांग्रेस के 10 विधायकों को भाजपा में शामिल करा दिया. जो बीजेपी का आंकड़ा चुनाव के बाद 13 का था, वो कांग्रेस विधायकों के आने के बाद 25 तक पहुंच गया. इसके बाद गोवा में भाजपा की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी. इसके बाद गोवा फारवर्ड और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी को सरकार से बाहर निकाल दिया गया. इसके बाद से ये दोनों पार्टियां गोवा में नया गठबंधन करने की जुगत में लगे हुए थे.
दिलचस्प है कि गोवा में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जीते विधायक में से 50 फीसदी अपनी पार्टी में नहीं हैं. वे अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए. कांग्रेस के लुइजिन्हो फलेरियो और एक विधायक टीएमसी में जा चुके हैं. कांग्रेस के एक और विधायक रवि नाईक भाजपा में जा चुके हैं. प्रताप सिंह राणे जो कांग्रेस के पुराने विधायक हैं, वे इस बार चुनाव नहीं लडेंगे. राणे के बेटे भाजपा में हैं और स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर सरकार में काम कर रहे हैं.
टीएमसी में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री
टीएमसी ने चुनाव से पहले खेल दिखाना शुरू कर दिया. गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिन्हो फलेरियो को पार्टी में शामिल कर लिया. इसके बाद टीएमसी के ओर से कहा गया कि पश्चिम बंगाल के बाद पहली बार हम गोवा जा रहे हैं और वहां अपनी किस्मत आजमाएंगे. कांग्रेस को रिप्लेस करेंगे. अब खबर आ रही है कि प्रशांत किशोर जो टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार हैं, वे कोशिश कर रहे हैं कि कांग्रेस और टीएमसी का अलायंस हो जाए. कांग्रेस की सहयोगी पार्टी गोवा फारवर्ड के अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने एक ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि सारी पार्टियों को एक साथ मिलकर बीजेपी के खिलाफ आना चाहिए. इसके बाद गोवा टीएमसी की प्रभारी महुआ मोइत्रा ने प्रतिक्रिया दी कि कांग्रेस के साथ हमें बात करने में कोई दिक्कत नहीं है, अगर बीजेपी के साथ गठबंधन करना है. उधर, कांग्रेस का कहना है कि आपने (प्रशांत किशोर) ने हमें नुकसान पहुंचाया और अब चाह रहे हैं कि हमारे साथ टीएमसी का गठबंधन हो जाए तो ये ठीक नहीं है.
कांग्रेस और आप पार्टी के अंदरुनी समझौते की भी चर्चा है
गोवा में एक चर्चा है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच अंदरुनी समझौता है कि भले ही दोनों पार्टियां एक दूसरे के साथ गठबंधन नहीं कर रही है लेकिन पिछले पांच साल में आम आदमी पार्टी की स्थिति गोवा में सुधरी है. अगर चुनाव के बाद जरूरत पड़ती है तो कांग्रेस और आप पार्टी एक साथ आ सकती है. आम आदमी पार्टी प्रशांत किशोर की मदद नहीं लेना चाहती. कांग्रेस प्रशांत किशोर के साथ नहीं जाना चाहती, टीएमसी के साथ नहीं जाना चाहती. ऐसे में कोशिश हो सकती है कि कांग्रेस और आप का गठबंधन हो लेकिन ऐसा संभव होता नहीं दिख रहा है.
फिलहाल, गोवा की राजनीति को देखें तो समझ आता है कि लड़ाई चौतरफा होगी. एक तरफ कांग्रेस होगी, गोवा फारवर्ड होगी. दूसरी तरफ टीएमसी और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी होगी जिनका गठबंधन हो चुका है. तीसरी तरफ भाजपा होगी और चौथी तरफ आम आदमी पार्टी होगी. कहा जा सकता है कि गोवा में काफी मजेदार फाइट होगी.
अब ये देखना भी दिलचस्प होगा कि क्षेत्रीय पार्टी के साथ गठबंधन के बाद टीएमसी का वोट शेयर क्या होगा? कांग्रेस अपनी साख बचा पाती है कि नहीं? क्योंकि पिछले चुनाव में पर्रिकर के रहते हुए कांग्रेस भाजपा से ज्यादा सीट लेकर आई थी. ये भी देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा पर्रिकर के अलावा क्या कर सकती है, क्योंकि पर्रिकर के निधन के बाद भाजपा का ये यहां पहला चुनाव है, इससे पर्रिकर की अहमियत कितनी थी, यह भी पता चलेगा. आम आदमी पार्टी के लिए भी गोवा का चुनाव इंट्रेस्टिंग रहेगा, क्योंकि चंडीगढ़ निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी का रिजल्ट बढ़िया रहा है. गोवा में भी पिछले पांच साल में आप पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने अच्छा काम किया है.