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Goa Election: दलबदल से बदनाम हुए प्रत्याशी अब घर-घर जाकर खा रहे वफा की कसमें

गोवा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी और जीएफपी सहित सभी पार्टियां दलबदल के खिलाफ अपने उम्मीदवारों को शपथ दिला रही हैं. गोवा की सियासत में रातों-रात विधायक एक पार्टी से पाला बदलकर दूसरी पार्टी में चला जाता है, जिससे सूबे का जनादेश ही बदल जाता है. ऐसे में इस बार के चुनाव में दलबदल एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिसके चलते पार्टियां अपने नेताओं से ईमानदारी की कसम ले रही हैं.

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गोवा में प्रत्याशी मंदिर में वफादारी की कसम खाते हुए
गोवा में प्रत्याशी मंदिर में वफादारी की कसम खाते हुए
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गोवा में दलबदल एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है
  • 2017 में बीजेपी कम सीटों के बाद भी सरकार बनाई
  • AAP-कांग्रेस-GFP के प्रत्याशी घर-घर शपथ दे रहें

गोवा विधानसभा चुनाव में इस बार दलबदल एक बड़ा सियासी मुद्दा बन गया है. गोवा में विधायक रातों-रात पाला बदलकर एक दल से दूसरे दल में चले जाते हैं. 40 विधायकों वाली विधानसभा में दलबदल से राज्य का जनादेश ही बदल जाता है. ऐसे में 2022 के चुनाव में राजनीतिक दल गोवा के लोगों को विश्वास दिलाने के लिए अपने-अपने नेताओं से शपथ ले रहे हैं. सूबे में कोई पार्टी अपने नेताओं से दल-बदल नहीं करने का हलफनामा बांट रही है तो कोई धार्मिक स्थलों पर ले जाकर कसम दिला रही है. 

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बता दें 2017 के विधानसभा चुनाव में जनादेश बीजेपी के खिलाफ आया था. राज्य की कुल 40 सीटों में से 17 सीट कांग्रेस को मिली थी जबकि बीजेपी के खाते में 13 सीटें आई थी. कांग्रेस से पिछड़ने के बाद भी बीजेपी गोवा में सरकार बनाने में सफल रही थी. गोवा में कांग्रेस के 12 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिए थे. इतना ही नहीं गोवा में क्षेत्रीय दल भी ऐसे ही करते रहते हैं. 

गोवा की सियासत में यह पहली बार नहीं हुआ बल्कि सत्ता परिवर्तन के लिए कई बार हो चुका है. इस बार के चुनाव में जनता में एक ये आशंका भी है कि कहीं जिस प्रत्याशी को हम वोट देंगे कहीं वो चुनाव जीतने के बाद में किसी दूसरी पार्टी में तो शामिल नहीं हो जाएगा. इसीलिए गोवा में दलबदल एक बड़ा चुनावी मुद्दा इस बार बना हुआ है और अब पार्टियां जनता को यकीन दिलाने में जुटी है कि वो दल-बदल नहीं करेंगे, जिसके लिए तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं. 

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कांग्रेस दल-बदल न करने की ले रही कसम
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी शुक्रवार को गोवा के एक दिन दौर पर पहुंच रहे हैं. राजधानी पणजी में राहुल गांधी कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में चुनाव प्रचार करेंगे और साथ पार्टी नेताओं से दलबदल न करने की शपथ दिलाएंगे. हालांकि, कांग्रेस ने गोवा के अपने सभी प्रत्याशियों से बलबदल न करने की कसम ले चुकी है कि वो गोवा की जनता औ पार्टी के प्रति वफादार रहेंगे.  

दल-बदल के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशियों ने तमाम धार्मिक स्थलों पर जाकर कसम खाई है. गोवा की महालक्ष्मी मंदिर, हम्जा शाह दरगाह और बांबोलिम क्रोस चर्च में पार्टी और जनता के प्रति वफादारी की कांग्रेस नेताओं ने शपथ ली. बता दें कि गोवा में दलबदल का सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस ही को ही उठाना पड़ा था. इससे कांग्रेस की छवि पर भी बहुत गलत प्रभाव पड़ा था. 

AAP वफादारी का शपथ पत्र बांट रही है
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गोवा की सत्ता में आने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के सभी प्रत्याशियों से शपथ लेने के साथ एफिडेविट पर हस्ताक्षर लिए हैं कि वो दल बदल नहीं करेंगे. प्रत्याशियों ने मतदाताओं के प्रति ईमानदार रहने और जीतने के बाद पार्टी को छोड़कर किसी अन्य पार्टी में नहीं जाने की शपथ ली है. आम आदमी पार्टी के सभी प्रत्याशी इन शपथ-पत्रों की प्रतियां अपने डोर टू डोर कंपेन में हर घर में वितरित कर रही है. 

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अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को इंडिया टुडे के कार्यक्रम में कहा कि कि अगर हमारा कोई भी प्रत्याशी दल बदल करता है तो मतदाता उनके खिलाफ कोर्ट में केस कर सकते हैं. इसीलिए प्रत्याशियों के एफिडेविट को घर-घर बांट रहे हैं. केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी ने दिल्ली में हमारे विधायकों को तोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन पांच साल में एक भी विधायक तो नहीं तोड़ पाए. ऐसे ही गोवा में भी हमारे विधायक पार्टी के साथ पूरी तरह ईमानदार रहेंगे. 

गोवा फॉर्वर्ड पार्टी ने मंदिर में ली शपथ 
गोवा फ़ॉर्वर्ड पार्टी के दो दिन पहले ही अपने प्रत्याशियों ने मापसा के बोधगेश्वर मंदिर में ले जाकर शपथ ली कि वो चुनाव जीतने के बाद बीजेपी में शामिल नहीं होंगे. गोवा फ़ॉर्वर्ड पार्टी का कांग्रेस का साथ गठबंधन हैय गोवा में कांग्रेस 37 और गोवा फ़ॉर्वर्ड पार्टी तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में गोवा फ़ॉर्वर्ड की तीन सीटों आईं थीं और गोवा फ़ॉर्वर्ड पार्टी नें भाजपा को समर्थन कर दिया था. ऐसे में जीएफपी इस बार गोवा में यह बताने की कवायद में है कि वो किसी भी सूरत में बीजेपी के साथ नहीं जाएगी.

दरअसल, गोवा में सभी पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशियों को दलबदल न करने की कसम दिलाकर जनता को विश्वास जीतना चाहती हैं कि वो इस बार पाला नहीं बदलेंगे. वो जिस पार्टी से जीतेंगे उसी के साथ रहेंगे. ऐसे में देखना है कि दलबदल के खिलाफ सियासी दलों के शपथ पर जनता कितना विश्वास करती है? 
 

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