अगले साल फरवरी में होने जा रहे गोवा विधानसभा चुनाव से पहले शनिवार को कांग्रेस और गोवा फॉरवर्ड पार्टी (GFP) ने गठबंधन का ऐलान कर दिया है. बता दें कि GFP पहले गोवा में भाजपा के साथ सत्ता में साझेदार रही है, लेकिन जुलाई 2019 में पार्टी अध्यक्ष विजय सरदेसाई, जो प्रमोद सावंत के नेतृत्व वाली सरकार में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री थे, सहित सभी तीन विधायकों को मंत्रिमंडल से हटा दिए जाने के बाद GFP ने अपना समर्थन वापस ले लिया. गोवा में ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के इंचार्ज दिनेश गुंडू राव ने एक प्रेस कांफ्रेस में बताया कि कांग्रेस और GFP आने वाले चुनावों के मद्देनजर गठबंधन कर रही है.
'GFP के साथ करेंगे नई शुरुआत'
राव ने बताया कि GFP प्रमुख विजय सरदेसाई ने दिल्ली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. यहां उन्होंने गोवा में बीजेपी की 'सांप्रदायिक और भ्रष्ट' सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कांग्रेस का साथ काम करने की बात कही. हम उनके इस फैसले का स्वागत करते हैं. हम आपसे के छोटे - मोटे विवादों को सुलझाकर नए शुरुआत के लिए तैयार हैं.
'हमें एक दूसरे पर विश्वास'
उन्होंने आगे कहा- हमारे बीच पहले जो हुआ सो हुआ, लेकिन दोस्ती और गठबंधन की गुंजाइश हमेशा रहती है. हमें एक दूसरे पर विश्वास है. हमारे बीच चुनावी कैंपेन को लेकर भी काफी चर्चाएं हुई हैं. हम साथ लड़ेंगे और मुझे उम्मीद है कि हमारे गठबंधन के चलते और भी लोग कांग्रेस से जुड़ेंगे. मुझे यकीन है कि इस बार जनता ने गोवा से बीजेपी का सूपड़ा साफ कर एक स्थाई सरकार लाने का फैसला कर लिया है.
'गोवा को भाजपा मुक्त करना है'
राव ने कहा कि दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर जल्द घोषणा की जाएगी. इस दौरान सरदेसाई ने कहा कि यह गठबंधन राज्य को "निरंकुश" सरकार से मुक्त करेगा. उन्होंने कहा, "गोवा में मौजूदा सरकार अधिग्रहण की राजनीति में है जो लोकतंत्र में जहर घोल रही है. गोवा को भ्रष्ट और सांप्रदायिक भाजपा से फिर से मुक्त करने के लिए एक नया आंदोलन शुरू करने की जरूरत है."
GFP- BJP गठबंधन में आई थी खटास
2017 में विधानसभा चुनावों के बाद, 3 सीटें जीतकर जीएफपी ने मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में तत्कालीन भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के गठन के लिए समर्थन दिया था. लेकिन 2019 में पर्रिकर की मृत्यु के बाद, गठबंधन में खटास आ गई और परिणामस्वरूप सरदेसाई के नेतृत्व वाली पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया. उस चुनाव में, कांग्रेस गोवा में 40 में 17 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन सत्ता में नहीं आ सकी क्योंकि 13 सीटें हासिल करने वाली भाजपा ने सरकार बनाने के लिए कुछ निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर लिया था.