बीजेपी के युवा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मनहोर पर्रिकर के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर गोवा की सत्ता की कमान संभाल रहे प्रमोद सावंत के अगुवाई में बीजेपी राज्य के विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी है. प्रमोद सावंत आरएसएस की आंगन में पले बढ़े हैं और संघ की पृष्ठभूमि वाले एकलौते विधायक हैं. गोवा की सियासत में बीजेपी की सत्ता में वापसी का जिम्मा प्रमोद सांवत के ऊपर है.
गोवा के 13वें मुख्यमंत्री सावंत
गोवा के 13वें मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के बारे में कहा जाता है कि वे गोवा में बीजेपी के अकेले विधायक हैं, जो आरएसएस काडर से हैं. गोवा के सीएम बनने से पहले वह पार्टी के प्रवक्ता और गोवा विधानसभा के अध्यक्ष रहे हैं. 2017 में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनी, तब उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया था. सावंत को मनोहर पर्रिकर का बेहद करीबी माना जाता है. यही वजह है कि पर्रिकर के निधन के बाद सीएम का ताज प्रमोद सावंत के सिर सजा.
आयुर्वेद में डाक्टर की पढ़ाई की
प्रमोद सावंत का जन्म 24 अप्रैल 1973 को हुआ था. सावंत गोवा के बिचोलिम क्षेत्र कोटोंबी गांव के रहने वाले हैं. सांकेलिम विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में फिर से किस्मत आजमा रहे हैं. उन्होंने आयुर्वेद की पढ़ाई की है. महाराष्ट्र के कोल्हापुर में गंगा एजुकेशन सोसाइटी के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज से आयुर्वेद, मेडिसिन और सर्जरी में स्नातक किया. इसके बाद पुणे में तिलक महाराष्ट्र विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ सोशल वर्क की स्नातकोत्तर डिग्री ली.
सावंत आरएसएस से जुड़े रहे
सावंत पेशे से वे मेडिकल प्रोफेशनल रहे हैं. सावंत का बचपन से आरएसएस से संबंध रहा है. उनके पिता पांडुरंग सावंत पूर्व जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं. वह भारतीय जनसंघ, भारतीय मजदूर संघ के सक्रिय सदस्य थे. सावंत की पत्नी सुलक्षणा भी बीजेपी महिला मोर्चा से जुड़ी हैं. प्रमोद सावंत ने अपनी सियासी पारी का आगाज 2008 में भाजपा नेतृत्व के आग्रह के बाद किया. सांकेलिम (अब साखली) सीट खाली हुई थी जिससे उनको चुनाव लड़ने को कहा गया था.
प्रमोद सावंत उस वक्त मापुसा स्थित उत्तरी जिला अस्पताल में आयुर्वेद के डॉक्टर के तौर पर कार्यरत थे. इसके बाद उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी और भाजपा प्रत्याशी के तौर पर उपचुनाव लड़ा,. हालांकि उस उपचुनाव में वह हार गए थे मगर साल 2012 में विजेता बनकर सामने आए. इस दौरान उन्होंने बीजेपी के प्रवक्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई और गोवा में सियासी तौर पर खुद के स्थापित किया.
सबसे कम उम्र के स्पीकर बने
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से निर्वाचित होकर गोवा विधानसभा पहुंचे. 2017 में मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व वाली सरकार में उनको विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया. गोवा के राजनीतिक इतिहास में वह सबसे कम उम्र के विधानसभा अध्यक्ष थे. वह भारतीय युवा जनता मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष और भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे हैं.
पर्रिकर के सियासी वारिस बने
मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद गोवा के मुख्यमंत्री का पद रिक्त हो गया. प्रमोद सावंत बाद में विधान सभा द्वारा चुने गए और बाद में उन्होंने 19 मार्च 2019 को गोवा के 13 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. सावंत जाति से मराठा हैं. डॉ प्रमोद सावंत की शादी सुलक्षणा से हुई है. 2022 का चुनाव में प्रमोद सावंत की असल परीक्षा होनी है और वे अपने विकास कार्यों के लेकर चुनावी मैदान में है. ऐसे में देखना है कि सावंत की तीन साल के मुख्यमंत्री की पारी का क्या नतीजा रहता है?