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उत्पल पर्रिकर के बाद गोवा के पूर्व सीएम लक्ष्मीकांत पार्सेकर ने भी छोड़ा बीजेपी का साथ

गोवा चुनाव में दो दिन के अंदर बीजेपी को दो बड़े झटके लग गए हैं. पहले उत्पल पर्रिकर ने पणजी से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया और अब गोवा के पूर्व सीएम लक्ष्मीकांत पार्सेकर ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है. उनके मुताबिक वे भी अब गोवा चुनाव में निर्दलीय उतरने जा रहे हैं.

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गोवा के पूर्व सीएम लक्ष्मीकांत पार्सेकर ने भी छोड़ा बीजेपी का साथ
गोवा के पूर्व सीएम लक्ष्मीकांत पार्सेकर ने भी छोड़ा बीजेपी का साथ

गोवा चुनाव में दो दिन के अंदर बीजेपी को दो बड़े झटके लग गए हैं. पहले उत्पल पर्रिकर ने पणजी से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया और अब गोवा के पूर्व सीएम लक्ष्मीकांत पार्सेकर ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है. उनके मुताबिक वे भी अब गोवा चुनाव में निर्दलीय उतरने जा रहे हैं.

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जारी बयान में लक्ष्मीकांत पार्सेकर ने कहा है कि मैं बीजेपी का कई सालों तक सदस्य रहा हूं. लेकिन मुझे कभी भी वो तवज्जो नहीं दी गई. अब मैं इस पार्टी में नहीं रह सकता हूं. मैं इस चुनाव में निर्दलीय लड़ने जा रहा हूं. कुछ दिनों में मैं औपचारिक घोषणा भी कर दूंगा.

लक्ष्मीकांत पार्सेकर की माने तो अब बीजेपी में कोई भी अपने विचार खुलकर नहीं रख सकता है. जोर देकर कहा गया है कि अब कुछ बाहरी लोगों ने पार्टी पर कब्जा कर लिया है. पुराने दिनों को याद करते हुए पार्सेकर कहते हैं कि मनोहर पर्रिकर के समय में मंथन करने के बाद कोई भी फैसला लिया जाता था, सभी की राय पर विचार होता था, लेकिन बीजेपी में अब वो परंपरा खत्म हो गई है.

यहां तक कहा गया है कि कुछ लोग पार्सेकर को बतौर चैलेंजर देख रहे थे. उनको लेकर पार्टी के अंदर ही एक ऐसी धारणा खड़ी की जा रही थी कि उन्हें टिकट ना मिल सके. लेकिन खुद पार्सेकर कहते हैं कि उन्हें सीएम बनने की कोई इच्छा नहीं है. उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जाहिर की कि उनकी जगह बीजेपी ने कांग्रेस से आए उस शख्स को टिकट दे दिया है जिसने पिछले पांच साल में कोई काम नहीं किया. उनकी माने तो उनके क्षेत्र में भी कई प्रोजेक्ट अधूरे रह गए हैं. लोगों को उम्मीद है कि वे उन्हें पूरा कर सकते हैं. लेकिन पार्टी ने उन्हें मौका ही नहीं दिया. 

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अब क्योंकि वे पार्टी छोड़ रहे हैं, ऐसे में 2017 के विधानसभा को लेकर भी उन्होंने विस्तार से अपनी बात रखी है. वे बताते हैं कि 2017 में कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका मिला था. हमे सरकार नहीं बनानी चाहिए थी. मैंने तब बीजेपी को बोला भी था. लेकिन सब को लगा कि क्योंकि मैं हार गया हूं,ऐसे में सरकार नहीं बनवाना चाहता हूं. लेकिन मेरा तर्क स्पष्ट था- कांग्रेस की सरकार एक साल में वैसे भी गिर ही जाती, तब हम दोबारा चुनाव जीत आ सकते थे.

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