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राजघाट पर हार्दिक पटेल के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को यही नहीं पता था ‘कौन है हार्दिक’

खुद को पटेल समुदाय का सदस्य बताने वाले कुछ लोग राजघाट पर हार्दिक पटेल के खिलाफ बैनर पोस्टर और पुतला लेकर पहुंच गए. गले की पूरी ताकत के साथ पहले हार्दिक पटेल के खिलाफ नारे लगाए गए. बाद में हार्दिक के पुतले पर चप्पल-जूतों से जमकर भड़ास निकाली गई. फिर पुतले को आग के हवाले कर दिया गया. लेकिन इनमें से अध‍िकांश को ये पता ही नहीं था कि हार्दिक पटेल है कौन. पढ़ें पूरी खबर...

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हार्दिक पटेल
हार्दिक पटेल

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राजनीति और चुनाव जो ना करा दें वो कम है. गुजरात में चुनाव हो रहे हैं लेकिन दिल्ली इसके असर से अछूती नहीं है. पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल गुजरात विधानसभा चुनाव में कितना बड़ा फैक्टर साबित होते हैं ये तो 18 दिसंबर को मतगणना के नतीजे आने के बाद ही साफ हो पाएगा.

हार्दिक पटेल बीजेपी के खिलाफ गुजरात में अलख जगा रहे हैं इसलिए कांग्रेस का हाथ हार्दिक का साथ पाकर खुश है. गुजरात में हार्दिक की रैलियों में उनके समर्थक जोश के साथ जुटते हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं कि हार्दिक को पाटीदार समुदाय का एकजुट समर्थन हासिल है. कुछ पाटीदार भी हार्दिक के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. ऐसा ही कुछ नजारा बुधवार को देखने को मिला. लेकिन गुजरात के किसी शहर में नहीं, देश की राजधानी दिल्ली में. राजघाट पर हार्दिक के खिलाफ प्रदर्शन का आयोजन हुआ.

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खुद को पटेल समुदाय का सदस्य बताने वाले कुछ लोग राजघाट पर हार्दिक पटेल के खिलाफ बैनर पोस्टर और पुतला लेकर पहुंच गए. गले की पूरी ताकत के साथ पहले हार्दिक पटेल के खिलाफ नारे लगाए गए. बाद में हार्दिक के पुतले पर चप्पल-जूतों से जमकर भड़ास निकाली गई. फिर पुतले को आग के हवाले कर दिया गया.

ये सब चल रहा था तो आज तक/इंडिया टुडे रिपोर्टर ने हार्दिक के खिलाफ आक्रोश प्रकट करने वालों के मन की थाह लेनी चाही. इसके लिए सबसे पहले बात की गई प्रदर्शन में हिस्सा ले रही महिला पूजा गौड़ से. ये महिला अपने छोटे बच्चे को गोद में लिए दिल्ली के तिमारपुर इलाके से राजघाट पर प्रदर्शन में हिस्सा लेने पहुंची थी. उनसे जब आने का मकसद पूछा गया तो जवाब मिला, ‘हम लोगों को बोला गया कि राजघाट चलना है, घर पर खाली बैठे थे इसलिए चले आए.’

ठहरिए कहानी यही खत्म नहीं होती, बल्कि यहां से शुरू होती है. अब ऐसे युवा से बात की गई जिसने सरदार पटेल की तस्वीर वाली सफेद टी शर्ट पहन रखी थी. संतोष झा नाम के इस युवा से जब पूछा गया कि जिसके खिलाफ आप जोरशोर से नारे लगा रहे हैं, उनके बारे में क्या जानते हैं तो मुस्कुराते हुए जवाब मिला, “ये पहले बीजेपी में थे, अब कांग्रेस के साथ पता नहीं क्यों चले गए. हम तो हार्दिक पटेल के खिलाफ प्रदर्शन करने आए हैं.” संतोष झा ने आगे बड़ी शराफत से ये भी स्वीकार कर लिया कि वो नहीं जानते हार्दिक पटेल कौन हैं?

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प्रदर्शनकारियों के समूह के जरा पीछे की ओर गए तो राजकुमार नाम के शख्स खड़े दिखाई दिए. अपने ख्याल में खोए राजकुमार से जब पूछा गया कि वो यहां क्यों आए हैं. बड़ी मासूमियत के साथ जवाब मिला- ‘नारे लगाने आए हैं.’ उनसे सवाल किया गया कि क्या इस काम के लिए कुछ मेहनताना भी मिलेगा?  इस पर राजकुमार ने क्या कहा, उनकी जुबानी ही सुनिए- ‘नारे लगाने के लिए आए हैं, पैसा दिया नहीं हैं, काम हो जाने के बाद देंगे.’  

यही किस्सा आगे भी बढ़ा. प्रदर्शनकारियों में पुरुष जहां पुतले जलाने और नारे लगाने में व्यस्त थे, वहीं एक कोने में कुछ महिलाएं बच्चों के साथ बैठी दिखीं. उनसे जब पूछा गया कि क्या वे हार्दिक पटेल के बारे में जानती हैं तो ज्यादातर ने जवाब ‘नहीं’ में दिया. जब महिलाओं से ये जानना चाहा कि क्या वे पटेल समुदाय से हैं, इसका जवाब भी ‘ना' में मिला.

ये सब चल रहा था तो कुछ लड़कियां भी वहां आ गईं. ये लड़कियां भी बस में बैठ कर राजघाट पर प्रदर्शन करने आई थीं. जब इन लड़कियों से उनके आने का मकसद पूछा गया तो उन्होंने माना कि घर पर कोई काम नहीं था इसलिए यहां रैली में चली आईं. जब उनसे पूछा गया कि प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए क्या कुछ पैसे भी मिलेंगे, तो लड़कियों ने जवाब दिया कि रैली खत्म होने के बाद पैसे मिलेंगे. एक लड़की ने खुल कर बता भी दिया- 'एक घंटे के 100 रुपए मिलेंगे.'  

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तो ये था सच की पहचान बापू की समाधि ‘राजघाट’ पर हार्दिक पटेल के खिलाफ आयोजित ‘गंभीर प्रदर्शन’ का सच. 

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