गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी सरकार बनाती हुई नजर आ रही है. गुजरात में बीजेपी को 99 सीट तो कांग्रेस 77 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में नतीजे बीजेपी के पक्ष में आते हुए दिखाई दे रहे हैं. यहां 44 सीटों पर बीजेपी आगे चल रही है. वहीं कांग्रेस 21 सीटों पर आगे है.
और इसी के साथ कांग्रेस मुक्त भारत के नारे के साथ आगे बढ़ रही भाजपा अपनी 18 राज्यों की सूची में एक और नाम जोड़कर 19 राज्यों को कांग्रेस मुक्त करा पाने में सफल होती नज़र आ रही है. भाजपा के लिए यह अपने विजय अभियान में एक कदम और आगे बढ़ने जैसा है.
हालांकि गुजरात में 22 साल के शासन के बाद भाजपा का प्रदर्शन लगातार सिमटता नज़र आ रहा है. वर्ष 2002 में 127 सीटों के आंकड़े के बाद 2007 में यह आंकड़ा 117 पर रुका और 2012 में भाजपा को 115 सीटों पर संतोष करना पड़ा.
ताज़ा चुनावी रुझान ऐसा दिखा रहे हैं कि भाजपा 100 का आंकड़ा तो पार कर लेगी लेकिन पहले से कम सीटों पर पार्टी को संतोष करना पड़ सकता है. मतलब साफ है कि भाजपा राज्य में सरकार तो बनाने जा रही है लेकिन जीत की मिठास इस बार पहले से कम होगी. दोनों राज्यों में जीत की ओर बढ़ रही भाजपा की जीत से गदगद अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेस में कहा कि इस जीत से देश को तीन नासूरों से मुक्ति मिल गई है. देश को अब जातिवाद, वंशवाद और तुष्टिकरण से छुटकारा मिला है.
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वहीं कांग्रेस पार्टी के लिए यह चुनाव खासा निर्णायक था. पार्टी के लिए अब नए अध्यक्ष राहुल गांधी के धुंआधार चुनावी अभियान और मोदी से सीधे टक्कर लेने के क्रम में हार की ज़िम्मेदारी का ठीकरा राहुल के सिर पर फोड़े जाने से बचा पाना मुश्किल होगा.
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निर्णायक है गुजरात
गुजरात का चुनाव इसबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी खासा निर्णायक साबित हुआ है. उनके लिए गुजरात जीतना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया था. गुजरात में भाजपा की हार से 2019 का रास्ता खासा कठिन हो जाता. लेकिन जीत ने मोदी को थोड़ा सा आश्वस्त ज़रूर किया है.
हालांकि कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से इस चुनाव में प्रचार किया है, उससे राहुल गांधी के लिए यह हार इतनी बुरी नहीं रह जाएगी. वो अपने आप को एक टक्कर देने वाले नेता और विपक्ष के चेहरे के तौर पर इस चुनाव में स्थापित कर पाए हैं और कांग्रेस पार्टी की वर्तमान स्थिति को देखें तो यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है.
गुजरात चुनाव के नतीजों में भले ही भाजपा को जीत मिल जाए लेकिन प्रधानमंत्री के आर्थिक सुधार को एक कठिन संदेश दे पाने में गुजरात सफल रहा है. निश्चय ही नरेंद्र मोदी को अपने आर्थिक सुधारों के बारे में फिर से सोचना पड़ेगा क्योंकि जो रिस्क उन्होंने गुजरात में देख लिया है, वो उसे बाकी राज्यों में दोहराना नहीं चाहेंगे.
दूसरा बड़ा संदेश यह आ रहा है कि गुजरात के जिन हिस्सों को भाजपा अपना अभेद्य दुर्ग मानती थी, वहां पर सेंध लगा पाने में कांग्रेस सफल रही है और इससे राज्य में कांग्रेस अपनी नई ज़मीन तैयार कर पाने की स्थिति में और भाजपा को आने वाले चुनावों में टक्कर देती नज़र आ सकती है. भाजपा के लिए यह मीठे में कंकड़ वाली स्थिति है.
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हिमाचल में खिला कमल
हिमाचल प्रदेश में भी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल समेत 337 उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला हो रहा है. राज्य में पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी भाजपा और कांग्रेस ने सभी 68 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. हिमाचल में 75.28 फीसदी मतदान हुआ है. फिलहाल वीरभद्र सिंह, उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह, भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के चेहरे प्रेम कुमार धूमल आगे चलते नज़र आ रहे हैं.
चुनाव पूर्वानुमानों में भाजपा की जीत की संभावना जताई गई जो सच साबित होती नज़र आ रही है. भाजपा राज्य में स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ती नज़र आ रही है. हालांकि आकलन के विपरीत कांग्रेस का प्रदर्शन इतना बुरा नहीं रहा है और राज्य में उनकी बुरी तरह हार की भविष्यवाणी सही साबित नहीं होती दिखाई दे रही है.
सही साबित हो रहा है आजतक का एक्ज़िट पोल
गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव पर आजतक के एग्जिट पोल में 'कमल' खिलने का अनुमान लगाया था जो कि सही साबित होता नज़र आ रहा है. इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक गुजरात की कुल 182 सीटों में से बीजेपी को 99 से 113 सीटें और कांग्रेस को 68-82 सीटें मिल सकती हैं. अन्य के खाते में 1-4 सीटें जाने का अनुमान है.
बीजेपी को 47 फीसदी और कांग्रेस 42 फीसदी वोट मिल सकता है, 11 फीसद वोट अन्य की झोली में जा सकता है.
राज्य में पिछले चुनाव यानी 2012 की बात करें तो गुजरात विधानसभा में बीजेपी को 115 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को 61 सीटें मिली थी. बाकी सीटें अन्य के हिस्से आई थीं