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गुजरात में पाटीदारों की नाराजगी से नुकसान की भरपाई ऐसे करेगी BJP

बीजेपी ने पाटीदारों की नाराजगी को देखते हुए अपना सामाजिक समीकरण बदला है. बीजेपी ने पाटीदारों की जगह अपने आपको ओबसी समुदाय की तरफ शिफ्ट किया है. बीजेपी ने पाटीदारों के आरक्षण की मांग को पूरा न करके पाटीदार समाज को एक तरफ जहां नाराज किया है, तो वहीं ओबीसी समुदाय को साधने का काम किया है.

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बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी

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गुजरात विधानसभा चुनाव के रणभूमि में कांग्रेस सत्ताधारी बीजेपी को घेरने में लगी है. इस बीच, बीजेपी अपनी सत्ता को बरकरार रखने के लिए सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले पर काम में लग गई है. यही कारण है कि पाटीदारों की नाराजगी की भरपाई के लिए बीजेपी ने नया सियासी तोड़ निकाला है. बीजेपी का पार्टी केद्रीय नेतृत्व ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को साधने में जुटा है.

गुजरात में ओबीसी की अहमियत

गुजरात में ओबीसी समुदाय की आबादी 54 फीसदी है. बीजेपी को पिछले विधानसभा चुनाव में करीब 47 फीसदी वोट पाकर 115 सीट पर जीत दर्ज की थी. वहीं, कांग्रेस ने 39 फीसदी वोट पाकर 61 सीट जीतने में सफल रही.

बीजेपी ने पाटीदारों की नाराजगी को देखते हुए अपना सामाजिक समीकरण बदला है. बीजेपी ने पाटीदारों की जगह अपने आपको ओबसी समुदाय की तरफ झुका दिया है. बीजेपी ने पाटीदारों के आरक्षण की मांग को पूरा न करके पाटीदार समाज को एक तरफ जहां नाराज किया है, तो वहीं ओबीसी को अपनी ओर लाने का काम किया. बता दें कि पाटीदार गुजरात में ओबीसी की वर्ग में शामिल होने की मांग कर रहे थे और ओबीसी समुदाय पटेलों की इस मांग के खिलाफ थे.

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बीजेपी ने गुजरात में 18 फीसदी के बजाए 54 फीसदी मतों पर जोर दिया. बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओबीसी कार्ड को कैश कराने के मूड में है. इतना ही नहीं हाल ही में बने देश के राष्ट्रपति राम कोविंद की जाति (कोली) में भी बीजेपी सेंध लगाने में जुटी है.

ऐसे ओबीसी को साध रही ही बीजेपी

गुजरात से आने वाले मोदी का तालुक ओबीसी समुदाय से है. मोदी मोढ घांची (तेली) जाति से आते हैं. बता दें कि राज्य में घांची समुदाय की आबादी करीब 6 फीसदी है. ऐसे में पार्टी पीएम मोदी के ओबीसी कार्ड के जरिए ओबीसी समाज के बीच जगह बनाने की कोशिश कर रही है. ओबीसी मतदाताओं के बीच बेहतर तालमेल बैठाकर राज्य की सियासी लड़ाई को फतह कर सके. राज्य की कई पिछड़ी जातियों, उप-जातियों और समूहों को डील करने की योजना है.

बीजेपी हाल ही में निर्वाचित राष्ट्रपति राम कोविंद की जाति को भी साधने में जुटी है. राष्ट्रपति कोली बिरादरी से आते हैं . गुजरात में कोली समाज ओबीसी समुदाय में आता है. राज्य में करीब 9 फीसदी कोली समुदाय की आबादी है. कोली समाज कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता रहा है, जिसमें बीजेपी सेंध लगाने में जुटी है. बीजेपी इसके लिए बकायाद ये तर्क दे रही है कि कोली समाज के शख्स को पहली बार देश के सर्वोच्य पद पर बैठाने का काम किया है.

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गौरतलब है कि गुजरात में ओबीसी मतदाता बड़ी संख्या में है. ऐसे में बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल के लिए ओबीसी वोट बैंक पर अपना ध्यान केंद्रित किया है. इसके मद्देनजर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य के खेड़ा जिले के फागवेल में 18 सितंबर को पिछड़ी जातियों की रैली संबोधित किया था.

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