गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की सारी शर्तों को अभी तक कांग्रेस ने नहीं माना है, हार्दिक ने पहले 3 नवंबर तक तो अब 7 नवंबर तक का अल्टीमेट दिया है. इस बीच, हार्दिक ने अब दूसरे राजनीतिक दलों के दरवाजे पर दस्तक देना शुरू कर दिया है. एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने बुधवार को हार्दिक पटेल से मुलाकात की. प्रफुल्ल पटेल वही नेता हैं, जिन्होंने पिछले दिनों गुजरात के राज्यसभा चुनाव के दौरान एनएसीपी विधायक को कॉल करके बीजेपी के पक्ष में वोट दिलवाया था. ऐसे में हार्दिक और प्रफुल्ल की मुलाकात के सियासी मायने तलाश किए जा रहे हैं. सवाल उठ रहा है कि इस बहाने हार्दिक की कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश तो नहीं है?
बीजेपी के दरवाजे बंद
दरअसल हार्दिक पटेल ने 2015 में पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण आंदोलन शुरू किया था. आरक्षण आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने वाले हार्दिक पटेल गुजरात की सियासत में तुरुप का पत्ता हैं. इसके चलते सभी राजनीतिक दल हार्दिक के जरिए पाटीदार समुदाय के वोटों को अपने पक्ष में करने की जुगत में है. आरक्षण आंदोलन के चलते हार्दिक और सत्ताधारी बीजेपी आमने-सामने आ गई, यही वजह है कि बीजेपी के अंदर हार्दिक के लिए सारे दरवाजे बंद हैं. ऐसे में हार्दिक तीसरे घर की तलाश में है.
कांग्रेस से नहीं हो पा रही डील
कुछ दिनों पहले तक लग रहा था कि हार्दिक कांग्रेस का हाथ थाम लेंगे, लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने कांग्रेस को अल्टीमेटम दे दिया. उन्होंने पाटीदार समाज को कोटा देने के मामले में कांग्रेस को पहले 3 नवंबर तक की मोहलत दी. बाद में उन्होंने कहा कि वे 7 नवंबर तक इंतजार करेंगे. कांग्रेस ने अब इस पर चुप्पी साध ली है. इससे माना जा रहा कि उन्होंने खुद पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है. कांग्रेस के हाथ खींच लेने के बाद हार्दिक के पास चुनाव में ज्यादा विकल्प बचे नहीं है.
एनसीपी और हार्दिक
कांग्रेस से मोल भाव चल ही रही थी कि एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने बुधवार को हार्दिक पटेल से मुलाकात की. जिसके बाद से हार्दिक के एनसीपी में जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं. हार्दिक पटेल भले ही इस मुलाकात को चुनावी चश्मे से नहीं देखने के लिए कह रहे हैं, लेकिन जिस वक्त में यह मुलाकात हो रही है, उस वजह से यह कई मायने में खास है. राजनीतिक जानकार की माने तो हार्दिक ने प्रफुल्ल पटेल से मुलाकात करके कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश तो नहीं हो रही है.
कांग्रेस की राह में ब्रेकर तो नहीं बन रहे प्रफुल्ल?
प्रफुल्ल पटेल एनसीपी के वही नेता है, जिन्होंने पिछले दिनों गुजरात के राज्यसभा चुनाव के दौरान एनएसीपी विधायक को कॉल करके बीजेपी के पक्ष में वोट दिलवाया था. प्रफुल्ल पटेल और हार्दिक के मुलाकात के पीछे राजनीतिक जानकार कहते हैं कि कांग्रेस में जाने से रोकने के लिए ये सब किया गया है. क्योंकि हार्दिक का दामन थामते तो निश्चित रूप से बड़ा फायदा गुजरात में मिलता. ऐसे में बीजेपी ने कहीं प्रफुल्ल को हार्दिक और कांग्रेस की राह में ब्रेकर के तौर पर तो कहीं इस्तेमाल नहीं किया है.