गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को घेरने के लिए कांग्रेस हरसंभव कोशिश में जुटी है. ऐसे में बीजेपी को राम विलास पासवान की पार्टी लोजपा का साथ मिला है. पार्टी अध्यक्ष राम विलास पासवान ने गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को समर्थन की घोषणा की है.
रामविलास पासवान ने कहा है कि गुजरात चुनाव में उनकी पार्टी लोजपा कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारेगी. चुनाव में वो अपने सहयोगी दल बीजेपी को मदद करेगी. बता दें कि पिछले दिनों रामविलास पासवान ने गुजरात में बीजेपी के पक्ष में प्रचार भी किया है. पारंपरिक तौर पर लोजपा गुजरात की कुछ सीटों पर चुनाव लड़ती रही है.
गुजरात में 7 फीसद दलित मतदाता हैं, तो वहीं 11 फीसदी आदिवासी हैं. राज्य की कुल 182 विधानसभा सीटों में से 10 दलित बाहुल्य सीटें हैं. इसके अलावा 26 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासी जीत हार तय करते हैं. गुजरात में 40 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जो दलित और आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. इनमें से 27 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए और 13 सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं.
पिछले विधानसभा चुनाव 2012 में आदिवासी सीटों पर कांग्रेस का दबदबा था, तो वहीं अनुसूचित जाति की सीटों पर बीजेपी ने बाजी मारी थी. राज्य की अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित 13 सीटों पर केवल तीन वडगाम, कड़ी और दाणीलीमडा विधानसभा सीट पर ही कांग्रेस जीत दर्ज कर सकी थी, जबकि बीजेपी वडोदरा, ईडर, गांधीधाम, बारदोली, असारवा सहित 10 सीटों पर काबिज है.
आदिवासी सीटें कांग्रेस की झोली में
इसी तरह 27 आदिवासी सीटों को देखें तो इनमें से एक पर जदयू के छोटू वसावा चुने गए थे, बाकी बची 26 विधानसभा सीटों में से 16 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी और 10 सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं. पर इस बार जातिगत आंदोलन के चलते इन सीटों का सियासी समीकरण बदला है और इन पर सबकी नजर है.