गुजरात की सियासी रणभूमि में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं. राहुल ने महाभारत के अर्जुन का उदाहरण देते हुए कहा था कि सियासत में किसी मुद्दे पर आगे बढ़ें तो फिर मछली की आंख की तरह उस पर निशाना लगाएं. फिलहाल पार्टी को इसी तरह गुजरात चुनाव पर ध्यान देना है.
गुजरात में राहुल ने जो भी अस्त्र अभी तक इस्तेमाल किए हैं सभी सटीक बैठे हैं. राहुल के तीर से बीजेपी जख्मी नजर आ रही है. गुजरात की जंग को कांग्रेस फतह करने में कामयाब रहती हैं, तो राहुल का रंग देश पर भी चढ़ेगा.
राहुल चुनाव से पहले हवा बनाने में सफल
राहुल गांधी ने गुजरात में वेंटिलेटर पर पड़ी कांग्रेस में जान डाल दी है. राहुल ने नवसृजन यात्रा के जरिए गुजरात में कांग्रेस में जोश भर दिया है. राहुल की अगुवाई में सोशल मीडिया से लेकर जमीन तक कांग्रेस कार्यकर्ता जोश से लबरेज हैं. पिछले 22 सालों में पहली बार गुजरात में कांग्रेस का ये नजारा है. कांग्रेस पूरे आत्म विश्वास से भरी हुई है और बीजेपी को टक्कर दे रही है.
हर समुदाय को तक बनाई पहुंच
गुजरात में राहुल गांधी ने मोदी के उस ट्रंप कार्ड की काट खोजी जिसने 2014 के चुनावों में कांग्रेस को कमोबेश हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया. यानी हिंदू कार्ड का जवाब जातीय कार्ड से. बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल बात यह है कि जातिगत राजनीति उसे रास नहीं आती है. बिहार का विधानसभा चुनाव इसका उदाहारण है. यही वजह है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार की तर्ज पर गुजरात के सियासी रण को जीतने के लिए जातीय कार्ड खेला है. राहुल ने नवसजृन यात्रा के जरिए पाटीदार, आदिवासी, दलित, ओबीसी समेत सभी समुदाय के बीच पहुंचकर अपनी पकड़ को मजबूत बनाया है
कांग्रेस के खेमे में त्रिमूर्ति
राहुल गांधी ने गुजरात में जाति आंदोलन से निकली त्रिमूर्ति अल्पेश, जिग्नेश और हार्दिक को गले लगाया है. ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर बकायदा कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, तो वहीं पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने समर्थन का ऐलान किया है. तीनों युवा नेताओं की गुजरात में अपने समाज में अच्छी खासी पकड़ है. तीनों को गले लगाने से कांग्रेस को मजबूती मिलती नजर आ रही है. इन तीनों नेताओं के सामाजिक मतों को देखें तो करीब 70 फीसदी से ऊपर की हिस्सेदारी है. कांग्रेस के जातीय कार्ड से बीजेपी में बेचैनी बढ़ी है. नरेंद्र मोदी को गुजरात में कहना पड़ा कि जातिवाद के बहकावे में ना आए, जातिगत मुद्दों से देश के विकास में रुकावट आएगी.
सॉफ्ट हिंदुत्व को बनाया हथियार
बीजेपी ने करीब बीस साल पहले हिंदुत्व कार्ड के जरिए कांग्रेस के हाथों से सत्ता छीनी थी. इसके बाद कांग्रेस आज तक गुजरात में वापस सत्ता में नहीं आ सकी. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बीजेपी की हिंदुत्व राजनीति के हथियार से ही बीजेपी को मात देने की जुगत में हैं. गुजरात में राहुल गांधी ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह को अपनाया है.
राहुल ने नवसृजन यात्रा की शुरुआत सौराष्ट्र के द्वारकाधीश मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ की. इसके बाद गुजरात में राहुल ने चारों यात्राओं के दौरान करीब दो दर्जन मंदिरों में दर्शन और माथा टेका. गुजरात में राहुल गले में भगवा दुपट्टा डाले और माथे पर तिलक लगाए नजर आ रहे हैं. राहुल के मंदिरों में माथा टेकने से बीजेपी बेचैन है और उनके मंदिरों में जाने पर भी सवाल उठा रही है. राहुल इसके जवाब में कहते हैं वे शिवभक्त हैं.
कांग्रेस गुजरात में टिकट बंटवारे में पूरा संतुलन बनाकर चल रही है. कांग्रेस ने अब 90 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. इनमें सभी समुदाय के लोगों का ध्यान रखा है. कांग्रेस ने 25 पटेल, 12 उम्मीदवार कोली, 12 ओबीसी और 7 दलित समुदाय से हैं.
मोदी पर निजी से हमले से किनारा
कांग्रेस पिछले कुछ चुनाव में नरेंद्र मोदी पर निशाना साधकर अंजाम भुगत चुकी है. इसीलिए गुजरात के सियासी रण में कांग्रेस बड़ी सावधानी के साथ कदम बढ़ा रही और मोदी पर निजी हमले करने से बच रही है. कांग्रेस का मोदी पर हमला न करना, ये उनकी रणनीति का हिस्सा है. कांग्रेस नरेंद्र मोदी के बजाए बीजेपी और गुजरात की सरकार के खिलाफ कड़ा रुख अपना रही है.
कांग्रेस गुजरात में पीएम नरेंद्र मोदी पर अनावश्यक तौर पर निशाना नहीं साधना चाहती क्योंकि उसे आशंका है कि मोदी पर हमले से दांव उल्टा पड़ सकता है. इसीलिए राहुल ने गुजरात कांग्रेस के नेताओं को आदेश दिया है कि वो पीएम मोदी पर निजी हमले ना करें. साथ ही उन्होंने नेताओं को अनुचित शब्दों से बाज आने को भी कहा है.
मुस्लिमों से दूरी
गुजरात में राहुल गांधी मुसलमानों से दूरी बनाकर चल रहे हैं. मुस्लिम बहुल इलाकों में होनी वाली कांग्रेस की रैलियों में राहुल के साथ संत महंत मंच पर नजर आते हैं. राहुल का काफिला जिस रास्ते से गुजरता है उस रास्ते में पड़ने वाली किसी मस्जिद पर न वो रुकते हैं और नहीं माथा टेकते हैं. राहुल ने गुजरात में अभी तक की अपनी यात्राओं के दौरान मुस्लिमों के मुद्दे पर बोलने से बचते नजर आए.