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गुजरात: दूसरे चरण में त्रिमूर्ति की असल परीक्षा, समझें पूरा समीकरण

दूसरे चरण के लिए राज्य की 14 जिलों की 93 सीटों पर 14 दिसंबर गुरुवार को वोटिंग होगी. ये गुजरात चुनाव का आखिरी चरण है. इसमें मध्य गुजरात और उत्तर गुजरात के क्षेत्र शामिल हैं. कांग्रेस के समर्थन का ऐलान करने वाले गुजरात के युवा त्रिमूर्ति हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर के लिए ये चरण असल परीक्षा है.

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अल्पेश ठाकोर, जिग्नेश मेवाणी, हार्दिक पटेल
अल्पेश ठाकोर, जिग्नेश मेवाणी, हार्दिक पटेल

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गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे दौर का प्रचार थम चुका है. अब बारी मतदाताओं की है. दूसरे चरण के लिए राज्य की 14 जिलों की 93 सीटों पर 14 दिसंबर गुरुवार को वोटिंग होगी. ये गुजरात चुनाव का आखिरी चरण है. इसमें मध्य गुजरात और उत्तर गुजरात के क्षेत्र शामिल हैं. कांग्रेस के समर्थन का ऐलान करने वाले गुजरात के युवा त्रिमूर्ति हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर के लिए ये चरण असल परीक्षा है.

93 सीटों पर 851 उम्मीदवार

बता दें कि गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से पहले चरण में 89 सीटों पर 9 दिसंबर को मतदान हो चुके हैं. बाकी बची 93 सीटों पर 14 दिसंबर को सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक मतदान होंगे. इसके लिए 25,558 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. इन 93 सीटों पर 851 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिसमें 782 पुरुष और 69 महिला उम्मीदवार हैं. इस चरण में नितिन पटेल, मेहसाना से, राधनपुर के अल्पेश ठाकोर, वडगामा से जिग्नेश मेवाणी और दबोई से कांग्रेस सिद्धार्थ पटेल मैदान में हैं.

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इन जिलों में होंगे मतदान

मध्य गुजरात में अहमदाबाद, दाहोद, खेड़ा, आणंद, पंचमहल, वडोदरा, जिले आते हैं. जबकि उत्तर गुजरात में गांधीनगर, बनासकांठा, साबरकांठा, अरवली, मेहसाना, छोटा उदयपुर अलवल्ली और पाटन जिले आते हैं.

गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे दौर में मध्य गुजरात-उत्तर गुजरात बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए काफी अहम माना जाता है. दूसरे दौर की 93 सीटों में से 54 सीटें ग्रामीण क्षेत्र की हैं, तो वहीं 39 सीटें शहरी है. अहमदाबाद और वडोदरा सहित शहरी इलाकों में बीजेपी की अग्निपरिक्षा है. उत्तर गुजरात कांग्रेस का परंपरागत गढ़ है और ओबीसी बाहुल्य इलाका है. ऐसे में कांग्रेस को फिर अपना दम दिखाना होगा.

2012 के समीकरण

दूसरे दौर की 93 सीटों में से मध्य गुजरात में 40 सीटें और उत्तर गुजरात की 53 सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में 2012 के चुनावी नतीजों को देखें तो मध्य गुजरात की 40 सीटों में से 22 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की और कांग्रेस को 18 सीटें हासिल की थीं. वहीं उत्तर गुजरात की 53 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 32 और कांग्रेस को 21 सीटें मिली थीं.

पिछले चुनाव में मध्य गुजरात में बीजेपी का जहां शहरी सीटों पर दबदबा था तो वहीं कांग्रेस ग्रामीण इलाकों की सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी. वडोदरा जिले के दम पर बीजेपी आगे निकल गई. लेकिन इस बार सियासी माहौल बदला है. इस बार कारोबारियों में थोड़ी नाराजगी देखने को मिल रही है. नोटबंदी और जीएसटी मुद्दा बना है. अगर ये वडोदरा और अहमदाबाद जैसे जिलों में जीएसटी और नोटबंदी अपना असर दिखाता है तो चुनावी नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं.

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बीजेपी का गढ़ अहमदाबाद-वडोदरा

मध्य गुजरात में अहमदाबाद और वडोदरा बीजेपी का मजबूत गढ़ है. ये दोनों जिले शहरी क्षेत्र में हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो अहमदाबाद की कुल 21 विधानसभा सीटों में से 17 बीजेपी ने जीतीं जबकि कांग्रेस को महज 4 सीटें मिलीं. वडोदरा की 13 सीटों में से बीजेपी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की तो कांग्रेस को 2 और 1 सीट अन्य के खाते में गई.

ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा

मध्य गुजरात के ग्रामीण इलाके वाला क्षेत्र कांग्रेस के दबदबे वाला माना जाता है. मध्य गुजरात के खेड़ा जिले की 7 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को 5 सीटें मिली, तो बीजेपी को महज 2. आणंद जिले की 7 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को 4, बीजेपी को 2 और अन्य को 1 सीट मिली. दाहोद की 6 सीटों में से 3 बीजेपी और 3 कांग्रेस को मिलीं. पंचमहल जिले में 7 सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी को 4  तो कांग्रेस को 3 सीटें मिलीं थी.

उत्तर गुजरात के 2012 नतीजे

उत्तर गुजरात की बनासकांठा जिले की 9 विधानसभा सीटों में बीजेपी ने 4 और कांग्रेस के कब्जे में 5 सीटें हैं, पाटन जिले की 4 सीटों में से 3 पर बीजेपी और 1 पर कांग्रेस का कब्जा है. महेसाणां जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं, इनमें 5 बीजेपी और 1 कांग्रेस का कब्जा है. राज्य के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल महेसाणां सीट से ही विधायक हैं और दोबारा से चुनावी मैदान में है. साबरकांठा की 4 सीटों में से 3 कांग्रेस और 1 बीजेपी के पास हैं. जबकि अहमदाबाद से सटे गांधीनगर की 5 विधानसभा सीटों में से 2 पर भाजपा और 3 पर कांग्रेस का कब्जा है.

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युवा त्रिमूर्ति की अग्निपरिक्षा

आंदोलन से सियासी राह पकड़ने वाले गुजरात के युवा त्रिमूर्ति की असल परीक्षा इस चरण में होगी. कांग्रेस का दामन थामने वाले ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर और उनके 7 समर्थकों को पार्टी ने मैदान में उतारा है. अल्पेश के सामने खुद को और अपने समर्थकों को चुनाव जिताने के साथ-साथ ओबीसी वोट को कांग्रेस पक्ष में करने की बड़ी चुनौती हैं. बीजेपी ने भी ओबीसी वोटबैंक को अपने पक्ष में करने के लिए खास रणनीति बनाई है.

दलित नेता जिग्नेश मेवाणी वडगाम सीट से निर्दलीय मैदान में हैं. कांग्रेस का उन्हें समर्थन हासिल है. लेकिन जिग्नेश के खुद मैदान में हैं, बीजेपी ने उनके खिलाफ मजबूत घेराबंदी की है. जिग्नेश अपनी सीट तक ही सीमित हैं और राज्य की बाकी सीटों पर वो प्रचार में नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में जिग्नेश कार्ड के जरिए कांग्रेस का फायदा उठाने का खेल गड़बड़ाता नजर आ रहा है.

हार्दिक के सामने चुनौती

पाटीदार नेता हार्दिक पटेल बीजेपी के खिलाफ झंडा बुलंद किए हुए हैं. इस दौर में हार्दिक की अग्निपरीक्षा है. इसके अलावा वही इलाके हैं, जहां पटेल आरक्षण आंदोलन की जमीन गवाह बनी थी. बीजेपी के कद्दावर नेता और डिप्टी सीएम मेहसाणा से उम्मीदवार हैं. ऐसे में हार्दिक के सामने बीजेपी के खिलाफ पाटीदारों के वोट डलाने की चुनौती हैं, तो वहीं नितिन पटेल के सामने अपनी सीट बचाने के साथ-साथ अपने समाज को बीजेपी के साथ जोड़े रखना होगा. पटेलों की नाराजगी के चलते बीजेपी को अहमदाबाद की शहरी सीट, निकोल और बापूनगर सहित एक बड़ी चुनौती बनी हैं.

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