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गुजरात में 'बीजेपी की जीत' में है... 'भारत की हार'!

बीजेपी द्वारा राहुल गांधी के धर्म पर टिप्पणी करने के बाद कांग्रेस भी मैदान में उतरी और अपने नेता का बचाव किया. कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि राहुल गांधी का धर्म हिन्दू है. यही नहीं कांग्रेस ने राहुल को 'जनेऊधारी हिन्दू' बताया.

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गुजरात में छिड़ा है सियासी रण
गुजरात में छिड़ा है सियासी रण

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गुजरात में चुनावी पारा चरम पर है. नेताओं की बयानबाजी तल्ख होती जा रही है. गुजरात में विकास राहुल गांधी के टार्गेट पर है तो मोदी और बीजेपी के निशाने पर राहुल और गांधी परिवार खुद. राहुल गांधी के मंदिर दौरों पर टिप्पणी करने के बाद बुधवार को सोशल मीडिया पर बीजेपी से जुड़े लोग #Rahul_NonHindu ट्रेंड कराते रहे.

दरअसल, यह हुआ इसलिए क्योंकि बुधवार को कांग्रेस के मौजूदा उपाध्यक्ष राहुल गांधी विश्वप्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर में दर्शन करने गए थे. मंदिर में आगन्तुकों की एंट्री के लिए दो तरह के रजिस्टर रखे गए हैं. पहला हिन्दू आगन्तुकों के लिए जबकि दूसरा रजिस्टर 'गैर-हिन्दू' लोगों के लिए था. कांग्रेस के मीडिया कोआर्डिनेटर ने राहुल गांधी के नाम की एंट्री 'गैर-हिन्दू' लोगों वाले रजिस्टर में कर दी. जिसके बाद तुरंत ही रजिस्टर की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

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कांग्रेस ने जमकर किया पलटवार

बीजेपी द्वारा राहुल गांधी के धर्म पर टिप्पणी करने के बाद कांग्रेस भी मैदान में उतरी और अपने नेता का बचाव किया. कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि राहुल गांधी का धर्म हिन्दू है. यही नहीं कांग्रेस ने राहुल को 'जनेऊधारी हिन्दू' बताया. सोशल मीडिया पर भी राहुल के पक्ष में कई पोस्ट किए गए. कई ऐसी तस्वीरें शेयर की गईं जिसमें राहुल गांधी जनेऊ पहने नजर आ रहे थे.

कांग्रेस को झटका लगने का डर

दरअसल, कांग्रेस को यह इसलिए करना पड़ा क्योंकि गुजरात विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व की रणनीति बनाई थी. राहुल अब तक तकरीबन 20 से ज्यादा मंदिरों में मत्था टेक चुके हैं, लेकिन गैर हिन्दू वाले रजिस्टर में साइन करने की एक गलती ने कांग्रेस की सॉफ्ट हिंदुत्व वाली रणनीति में सुई चुभो दी है.

तो क्या भारत के लिए 'हिन्दू नेता' जरूरी!

अगर राहुल गांधी का हिन्दू होना या गैर-हिन्दू होना इतना महत्वपूर्ण है कि पार्टियां अन्य मुद्दे छोड़ इसी मुद्दे पर बहस करें तो क्या दुनिया में यह संदेश नहीं जाएगा कि भारत में नेता चुने जाने के लिए जरूरी मानकों में सबसे अहम उसका 'हिन्दू' होना है.

यह तो सरासर भारत के संविधान की अवहेलना होगी!

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इस मुद्दे पर यहां संविधान की बात ना हो ऐसा नहीं हो सकता. संविधान की उद्देशिका में स्पष्ट लिखा है, "हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को..."

उद्देशिका में स्पष्ट उल्लेख है 'पंथनिरपेक्ष' यानि सेक्युलर... तो क्या इस मुद्दे को उठाकर बीजेपी संविधान की अवहेलना करती नजर नहीं आ रही.

तो क्या भारत को हराकर चुनाव जीतना चाहती है बीजेपी?

इस चुनाव में भी इस मुद्दे को बड़ा करके बीजेपी 'हिन्दू कार्ड' खेलना चाहती है. बीजेपी की पिछली कुछ जीतों के पीछे का कारण हिन्दू वोटों का संगठित और एकतरफा होना ही रहा है. ऐसे में अगर गुजरात चुनाव भी बीजेपी विकास के मुद्दे से इतर हिन्दुत्व के मुद्दे पर जीतना चाहती है तो यह वह 'भारत को हराकर' करेगी. क्योंकि भारत की आत्मा 'सर्वधर्म समभाव' में बसती है. हमारी तहजीब गंगाजमुनी है. यहां हिन्दू और मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी एक साथ रहते हैं. हमारा यकीन 'वसुधैव कुटुम्बकम' में है.

आखिर क्यों शुरू हुआ यह विवाद

दरअसल, मौजूदा गांधी परिवार के साथ यह विवाद तब से जुड़ा हुआ है जब देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वर्गीय फिरोज गांधी को अपना हमसफर चुना. पंडित नेहरू की नाराजगी के बावजूद इंदिरा ने फिरोज से शादी की. बाद में सक्रिय राजनीति में आने के बाद इंदिरा और फिरोज में दूरियां बढ़ती गईं. बताया जाता है कि स्वर्गीय फिरोज गांधी की कब्र आज भी इलाहाबाद के ममफोर्डगंज में स्थित है.

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कालांतर में राजीव गांधी ने भी 'गैर हिन्दू' सोनिया गांधी से शादी की. सोनिया धर्म से क्रिश्चियन हैं. यही वजह है कि गांधी परिवार का असल धर्म क्या इस पर संशय बना रहता है और बीच-बीच में ऐसे विवाद सामने आते रहते हैं. जबकि राहुल गांधी खुद और उनकी पार्टी यह स्पष्ट कर चुकी है कि वे हिन्दू धर्म मानते हैं.

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