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मोदी मैजिक से जीते गुजरात लेकिन 22 साल में पहली बार 100 से नीचे बीजेपी

गुजरात बीजेपी के लिए अभेद्य दुर्ग बन गया है. यहां बीजेपी पिछले 22 साल से सत्ता पर काबिज है. पीएम मोदी ने भी सोमवार को इस बात का जिक्र किया, कि ये एक बड़ी बात है. BJP ने राज्य में लगातार छठी बार अपनी सरकार बनाई है.

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22 साल से गुजरात की सत्ता पर काबिज BJP
22 साल से गुजरात की सत्ता पर काबिज BJP

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भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में एक बार फिर बहुमत हासिल किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की गृह राज्य में बीजेपी अपनी सत्ता विरोधी लहर के बीच भी सरकार बचाने में कामयाब रही. चुनाव से पहले कहा जा रहा था कि जीएसटी, नोटबंदी, आरक्षण को लेकर गुजरात में लोग सरकार से काफी नाराज़ हैं. नतीजों में नाराजगी तो दिखी पर इतनी नहीं कि सरकार ना बन सके.

गुजरात बीजेपी के लिए अभेद्य दुर्ग बन गया है. यहां बीजेपी पिछले 22 साल से सत्ता पर काबिज है. पीएम मोदी ने भी सोमवार को इस बात का जिक्र किया, कि ये एक बड़ी बात है. BJP ने राज्य में लगातार छठी बार अपनी सरकार बनाई है. पार्टी राज्य में पिछले 22 सालों से सत्ता में तो है, लेकिन इस दौरान उसका ग्राफ भी हिचकोले खाता रहा है.  देखें, कैसा रहा है पिछले 22 साल में बीजेपी का स्कोर...

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1995 चुनाव

BJP - 121

Congress - 45

1998 चुनाव

BJP - 117

Congress - 53

2002 चुनाव

BJP - 127

Congress - 51

2007 चुनाव

BJP - 117

Congress - 59

2012 चुनाव

BJP - 116

Congress - 60

2017 चुनाव

BJP - 99

Congress - 80

ये भी पढ़ें.... ये रहे BJP की जीत और कांग्रेस की हार के मुख्य कारण

साफ है कि भारतीय जनता पार्टी लगातार अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रही है. लेकिन हर बार उसे सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. हालांकि, इस बार भारतीय जनता पार्टी ने भले ही अपनी सीटें गवाईं हों. बल्कि, बीजेपी का इस बार वोट प्रतिशत बढ़ा है. पिछले 22 साल में बीजेपी की सबसे छोटी जीत है. 121 से शुरू हुआ जीत का सिलसिला अब 99 सीटों की जीत पर पहुंच गया है.

मुख्यमंत्री पर अभी बाकी है मंथन?

गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में बीजेपी की नैया पार तो लग गई, लेकिन दोनों सूबों में सीएम कौन होगा, अब माथापच्ची इसी को लेकर है. अब पार्टी के सामने अगली चुनौती है, जीते गए सूबों के सूबेदार तय करने की. जितनी मेहनत बीजेपी ने दोनों राज्यों में जीत हासिल करने के लिए की, उतनी ही अब उसे मुख्यमंत्री चुनने के लिए करनी होगी.

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अगले कई दिन अब इसी माथापच्ची में निकलेंगे कि दोनों राज्यों में वो कौन-सा चेहरा हो जो जीते हुए विधायकों का भरोसा तो हासिल करे ही, साथ में 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हाथ मज़बूत करे.

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