गुजरात विधानसभा चुनाव में पटेल समुदाय भारतीय जनता पार्टी के लिए गले की हड्डी बन गया है. बीजेपी के तमाम पैंतरों और रणनीतियों को पाटीदार नेता हार्दिक पटेल बैकफुट पर धकेलते दिखाई दे रहे हैं. पाटीदारों में बिखराव की खबरों को खारिज करते हुए हार्दिक पटेल ने रविवार को एक और बड़ा दावा किया है.
हार्दिक पटेल ने पाटीदारों में टूट की सरगर्मियों के बीच रविवार को एक ट्वीट किया. अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि पाटीदार की दो मुख्य संस्था खोडलधाम और उमिया धाम ऊंझा ही हमारी ताकत है.
हार्दिक ने क्यों किया ट्वीट?
माना जा रहा है कि हार्दिक पटेल ने अपने इस ट्वीट से बीजेपी की कोशिशों को एक और झटका दिया है. दरअसल, ऐसा इसलिए क्योंकि इसी हफ्ते पाटीदारों की 6 मुख्य संस्थाओं के एक साथ आकर पाटीदार कोर कमेटी के गठन की बात सामने आई थी. इन संस्थाओं में उमिया माताजी संस्थान ऊंझा, खोडलधाम कागवड़ राजकोट, सरदार धाम अहमदाबाद, विश्व उमिया फाउंडेशन अहमदाबाद, समस्त पाटीदार समाज सूरत और उमिया माता संस्थान सिडसर शामिल थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन 6 संस्थानों की तरफ से पाटीदारों के आरक्षण आंदोलन को हार्दिक का प्राइवेट आंदोलन बताया गया था. साथ ही बीजेपी सरकार की भी तारीफ की बात सामने आई थी. यहां तक कि हार्दिक पटेल को निशाने पर लेते हुए 'पाटीदार अनामत आंदोलन समिति' को 'प्राइवेट अनामत आंदोलन समिति' तक बता दिया गया. लेकिन हार्दिक ने इन सभी बातों को खारिज कर दिया और पाटीदारों की मुख्य संस्थाओं का समर्थन होने का दावा किया है.
खोडलधाम ने दी थी सफाई
खोडलधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष परेश गजेरी ने भी खुद सार्वजनिक तौर पर सफाई दी थी. उन्होंने कहा था कि हार्दिक पटेल के खिलाफ खोडलधाम की तरफ से कोई इल्जाम नहीं लगाया गया है. परेश ने हार्दिक के प्राइवेट आंदोलन वाली बात से भी इनकार किया था.
हार्दिक पटेल ने जिन दो संस्थाओं के समर्थन की बात कही है, वो दोनों बेहद ताकतवर हैं. हार्दिक पटेल का दावा है कि गुजरात के कुल 1 करोड़ 6 लाख पाटीदारों में 99 फीसदी पाटीदार इन्हीं दो संस्थाओं को मानते हैं. यानी पाटीदारों की बाकी संस्थाओं का न कोई खास वजूद है और न ही ताकत.
सौराष्ट्र-दक्षिण गुजरात में खोडलधाम
खोडलधाम कागवड़ की बात की जाए तो ये संस्था सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में काफी ताकवर मानी जाती है. इन दो इलाकों के पटेल समुदाय खोडियार माता को कुलदेवी मानते हैं. गुजरात के दो पटेल समुदायों में से एक कड़वा पटेल खोडियार माता की पूजा करते हैं.
मतदाता की दृष्टि से देखा जाए तो पाटीदारों के कुल वोटर में कड़वा पटेल करीब 40 फीसदी हैं. जो सौराष्ट्र और साउथ गुजरात की सीटों पर बड़ा असर डालते हैं.
उत्तर-मध्य गुजरात में उमिया धाम ऊंझा
साउथ और दक्षिण में जहां कड़वा पटेल और उनकी संस्था खोडलधाम का बड़ा प्रभाव माना जाता है, वहीं गुजरात के बाकी उत्तर-मध्य हिस्से में लेउवा पटेलों का जोर है. दरअसल, इन दोनों क्षेत्रों में उमिया माता को पटेल समुदाय के लोग कुलदेवी मानते हैं. जिनका संगठन उमिया धाम ऊंझा है. गुजरात के पाटीदार वोटरों में लेउवा समुदाय करीब 60 फीसदी हैं. ऐसे में उमिया माता को मानने वाले लेउवा पटेल चुनावों में बेहद निर्णायक भूमिका अदा करते हैं.
हालांकि, पटेलों के ये दोनों समुदाय ही बीजेपी के परंपरागत वोटर रहे हैं, लेकिन इस बार हालात जुदा हैं. दोनों ही समुदाय पटेल से आगे बढ़कर अब पाटीदार के बैनर तले आंदोलन कर रहे हैं. आरक्षण की मांग पर लाठियां और गोलियां खाने से समुदाय के बीच बीजेपी के प्रति भारी गुस्सा भी है. यही वजह है कि हार्दिक पटेल कांग्रेस से अपनी मांगों को लेकर डील कर रहे हैं और बार-बार बीजेपी को हराने के दावे कर रहे हैं. कांग्रेस भी इन्हीं के सहारे अपना दो दशक पुराना सियासी सूखा दूर करना चाहती है.
धामों का महत्व
गुजरात की राजनीति में इन धामों का कितना महत्व है, इसे इस उदाहरण से भी समझा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी जब तक मुख्यमंत्री रहे, वो हर चुनाव में खोडलधाम माता के सामने मत्था टेकने जाते थे. हालांकि, आगामी चुनाव दिसंबर में होना है, लेकिन अभी तक मोदी वहां नहीं गए हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस बार जरूर अपने एजेंडे में बदलाव किया है, जिसके तहत राहुल गांधी गुजरात दौरे पर मंदिरों की शरण ले रहे हैं.
राहुल गांधी ने सौराष्ट्र के दौरे पर खोडलधाम माता मंदिर जाकर मत्था टेका था. इससे पहले जब दिसंबर 2016 में जब राहुल गुजरात गए थे, तब उन्होंने उमिया धाम जाकर मत्था टेका था. राहुल का इन दोनों धामों में जाना भी प्रतीकात्मक तौर पर बेहद अहम माना जा रहा है.
हालांकि, हार्दिक पटेल और कांग्रेस के बीच अभी अंतिम समझौता नहीं हो पाया है. ऐसे में 9 और 14 दिसंबर को होने वाली वोटिंग से पहले दिलचस्प सियासी समीकरण देखने को मिल सकते हैं.