गुजरात के नतीजों ने एक बार फिर दिखा दिया है कि वहां लोगों की जुबान पर कुछ भी हो लेकिन दिल में मोदी ही है. भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर राज्य में बहुमत के साथ सरकार बनाई है. हालांकि, इस बार बीजेपी के आंकड़ें गिरे हैं, लेकिन 22 साल लगातार राज्य में सरकार बनाना बड़ी बात है.
गुजरात के नतीजों से साफ है कि अभी भी देश में 'ब्रांड मोदी' पर विश्वास कायम है. गुजरात के साथ-साथ बीजेपी ने हिमाचल में भी जीत दर्ज की है. पिछले कुछ समय से जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा था. उससे साफ दिख रहा था कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ माहौल है. लेकिन इस बीच भी बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही.
कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन में सीटों के नजरिए से सुधार किया है लेकिन उसके वोटों का प्रतिशत कम हुआ है. वहीं बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है लेकिन सीटें कम हुई हैं. यूं तो राज्य में बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार के कई कारण हैं, लेकिन कुछ खास इस प्रकार हैं.
# अंतिम दौर के प्रचार में गुजराती अस्मिता की अलख जगाने में कामयाब रहे PM मोदी.
# मणिशंकर अय्यर के बयान पर पार्टी के आक्रामक रुख से फायदा पहुंचा.
# बूथ स्तर पर मजबूत गठबंधन, शाह का पन्ना प्रमुख फॉर्मूला कामयाब रहा.
# जीएसटी और नोटबंदी पर विपक्ष के प्रचार को गलत साबित किया.
# पाटीदारों की नाराजगी के बाद भी जातिगत तौर पर रणनीति का सफल होना.
# नेताओं के बिगड़े बोलों ने पार्टी की लुटिया डुबोई.
# खुद से ज्यादा हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी, अल्पेश ठाकोर पर भरोसा जताया.
# प्रदेश में कमजोर संगठन से बूथ स्तर पर कमजोर पड़ना.
# शहरी जगहों पर कमजोर प्रदर्शन
# बड़े नेताओं का अपनी सीट भी ना बचा पाना
आपको बता दें कि सोमवार को आए नतीजों में गुजरात में भारतीय जनता पार्टी को 99, कांग्रेस+ को 80 और अन्य को तीन सीटें मिली हैं.