गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले ही पाटीदार नेताओं के बीच दरार पड़ती दिख रही है. खासतौर पर पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ भीतरखाने आवाज उठने लगी है. वहीं, कांग्रेस और बीजेपी ने अपना चुनाव अभियान पूरे जोरशोर से शुरू कर दिया है.
जहां एक ओर हार्दिक पटेल ने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर पाटीदार आरक्षण पर रुख स्पष्ट करने के लिए सात नवंबर तक अल्टीमेटम दिया है, तो दूसरी ओर पाटीदार आरक्षण संघर्ष समिति (PASS) ने बीजेपी के साथ जाने का मन बना लिया है. समिति ने हार्दिक को तमाशबीन बताते हुए कहा कि उनको बीजेपी से अपनी मांग पूरी होने की ज्यादा उम्मीद है.
समिति के राष्ट्रीय संयोजक अश्विन पटेल ने कहा कि हम जानते हैं कि कांग्रेस की ओर से किए जा रहे दावे असंभव हैं. कांग्रेस साल 2019 या 2024 में होने वाले चुनाव में सत्ता में आती हुई नहीं दिख रही है. लिहाजा हम इतने समय तक इंतजार नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हम पारंपरिक रूप से बीजेपी का समर्थन करते आ रहे हैं. हम बातचीत के जरिए अपने मुद्दों को हल कर सकते हैं.
अश्विन पटेल ने कहा कि इस समस्या पर चर्चा के लिए पाटीदार आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्य जल्द ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करेंगे. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी ने 10 में से छह मांगों को पूरा कर दिया है. उन्होंने कहा कि जब गुजरात बीजेपी ने हमारे लिए कुछ नहीं किया, तो अमित शाह से सीधे मुलाकात करना और मसले को उठाना बेहतर है.
उन्होंने कहा कि हार्दिक के नेतृत्व में पाटीदार आंदोलन में हमारे 14 लोगों की जान जा चुकी है. हार्दिक ने आंदोलन को हिंसा की ओर मोड़ दिया. उनकी रैली में दिखने वाली भीड़ आम जनता की नहीं है. हकीकत यह है कि हार्दिक की रैली में भाड़े के लोग शामिल होते हैं.
जब अश्विन पटेल से पूछा गया कि अगर विधानसभा चुनाव में पाटीदार वोट बंट गए, तो क्या उनका आंदोलन कमजोर नहीं हो जाएगा? इस पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस को समर्थन देने की हार्दिक की बात से पाटीदार परेशान हैं. वह लोगों को गुमराह कर रहे हैं. हार्दिक यह सब अपने फायदे के लिए कर रहे हैं. समिति का कोई भी संस्थापक सदस्य उनका समर्थन नहीं कर रहा है और हम सभी एकजुट हैं.