गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली और दूसरे राज्यों से भी तमाम नेता राज्य में पहुंचे हुए हैं. साथ ही मीडियाकर्मी भी यहां बड़ी संख्या में तैनात हैं. राजनीति की चकल्लस के साथ गुजरात के तरह-तरह के खानों का स्वाद भी सुर्खियों में हैं. मीडियाकर्मी चुनाव के रंग पकड़ने के लिए ऐसे रेस्टोरेंट-ढाबों का विशेष तौर पर रुख कर रहे हैं जहां तरह-तरह के गुजराती व्यंजन परोसे जाते हैं.
गुजराती खाने का जादू नेताओं के भी सिर चढ़ कर बोल रहा है. चंद ही दिनों में कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने जा रहे राहुल गांधी खुद ही मान चुके हैं कि गुजराती खाने ने उन्हें भी अपना मुरीद बना लिया है. मंगलवार को कच्छ में रैली के दौरान राहुल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा था, ‘मेरी बहन (प्रियंका) मेरे घर आईं तो बोली- तुम्हारे किचन में सब गुजराती ही है, खाखरा गुजराती, आचार गुजराती, मूंगफली गुजराती, आप लोगों ने मेरी आदत बिगाड़ दी है, मेरा वजन बढ़ रहा है.’
बता दें कि राहुल गांधी पिछले डेढ़ महीने में गुजरात की नवसर्जन यात्रा के दौरान कई बार राज्य का दौरा कर चुके हैं. इस दौरान उन्हें कई बार रास्ते में पड़ने वाले ढाबों पर गुजराती खाने का लुत्फ लेते देखा गया. अहमदाबाद से साणंद जाते समय राहुल एक ढाबे पर कांग्रेस नेताओं के साथ चाय पी रहे थे तो उनसे सवाल किया गया कि आपको सबसे अच्छा क्या लगा तो उनका जवाब था- ‘खाखरा’.
गुजराती खाने की ख्याति गुजरात की सीमा से बाहर निकल कर दूसरे राज्यों में भी फैली हुई. भारत के बाहर दूसरे देशों में भी गुजराती खाने के शौकीन बड़ी संख्या में मौजूद हैं. अब चाहे वो खाखरा हो या थेपला, या फिर काठियावाड़ी. गुजराती खिचड़ी की धूम भी दूर दूर तक फैली है.
गुजराती खाने का स्वाद तो सब नेता मानते ही हैं लेकिन साथ ही इनका चुनाव प्रचार में विरोधियों पर कटाक्ष के लिए भी सहारा लिया जा रहा है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि गुजरात के खाने में तो मिठास है लेकिन पीएम मोदी के बोलों में कड़वाहट है.
आनंद शर्मा ने ‘आज तक’ से कहा, “गुजरात की संस्कृति में मिठास है, यहां के संगीत में मिठास है, यहां के खाने में मिठास है. गुजराती खाने में जो मिश्रण रहता है उनमें कहीं ना कहीं गुड़ या शक्कर का इस्तेमाल होता है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदैव गुजराती होने की बात तो करते हैं लेकिन गुजराती की तरह नहीं बोलते. वे जब बोलते हैं तो कड़वा ही बोलते हैं. ऐसे में मैं उनसे यही आग्रह करूंगा कि गुजरात से हो, गुजरात में चुनाव प्रचार कर रहे हो तो मीठा बोलना सीखो.”