दलित नेता जिग्नेश मेवाणी गुजरात में सबसे कम चुनाव खर्च कर विधायक बनने वाले नेताओं में शामिल हैं. बनासकांठा के वडगाम सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने अपने पूरे चुनाव प्रचार में महज 5.02 लाख रुपये खर्च किए हैं. गुजरात के प्रत्याशियों द्वारा चुनाव आयोग को भेजे गए विवरण से यह खुलासा हुआ है.
हाल में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में जिग्नेश पहली बार विधायक चुने गए हैं. दलितों के बीच काफी लोकप्रिय युवा नेता जिग्नेश को कांग्रेस का भी समर्थन मिला था, हालांकि वे स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर ही चुनाव लड़े थे.
चुनाव आयोग को हासिल विवरण के अनुसार जिग्नेश राज्य में सबसे कम खर्च करने वाले प्रत्याशियों में शामिल हैं. उन्होंने चुनाव खर्च में मान्य सीमा 28 लाख रुपये का महज 19 फीसदी खर्च किया है. हालांकि लुनावाड़ा से स्वतंत्र उम्मीदवार रतनसिंह राठौड़ ने सिर्फ 3 लाख रुपये और बेछारजी से कांग्रेस विधायक भरतजी ठाकोर ने महज 3.81 लाख रुपये खर्च किए थे.
कांग्रेस ने मेवाणी को समर्थन दिया था और इसलिए उनके इलाके से अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था, लेकिन कांग्रेस ने उनके प्रचार पर खुद कुछ खर्च नहीं किया था. मेवाणी को वडगाम सीट से 19,696 वोटों से जीत मिली थी.
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा विश्लेषित और जारी आंकड़ों के अनुसार बीजेपी के विधायकों ने औसतन मान्य सीमा की 56 फीसदी और कांग्रेस के विधायकों ने औसतन मान्य सीमा की 80 फीसदी तक रकम चुनाव प्रचार पर खर्च की. सिर्फ दो विधायकों ने मान्य सीमा से ज्यादा खर्च किया है. दोनों बीजेपी से विधायक हैं. साबरकांठा के हिम्मतनगर सीट से बीजेपी प्रत्याशी राजेंद्र सिंह चावड़ा और संतरामपुर से बीजेपी के ही प्रत्याशी कुबेरभाई दिनदोर ने मान्य सीमा से क्रमश: 5 लाख और 95,000 रुपये ज्यादा खर्च किए.
राज्य मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों में से चुनाव प्रचार पर सबसे ज्यादा खर्च ढोल्का से विधायक और बीजेपी के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह चुडास्मा ने किया. चुडास्मा ने अपने चुनाव प्रचार पर 23 लाख रुपये खर्च किए. हालांकि वह बहुत कम मार्जिन, सिर्फ 327 वोटों से जीते.
गौरतलब है कि चुनाव प्रचार के दौरान मेवाणी को लेकर यह विवाद भी खड़ा हुआ था कि उन्होंने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया से चंदा लिया है जो कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की राजनीतिक शाखा है. पीएफआई एक चरमपंथी मुस्लिम संगठन माना जाता है.