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ये 10 सीटें निर्णायक, यहां कांग्रेस की थोड़ी और मेहनत से राहुल बन जाते बाजीगर!

10 सीटें ऐसी हैं जिस पर बीजेपी ने 2.5 हजार से कम वोटों से जीत हासिल की. अगर इन सीटों पर कांग्रेस चुनाव से पहले और बढ़िया तरीके से फोकस करती तो शायद परिणाम कुछ और होता. क्योंकि बीजेपी के खाते में अभी 99 सीटें जाती दिख रही हैं, जबकि कांग्रेस 80 तक पहुंच गई है. अगर इन 10 सीटों पर कोई उलटफेर होता तो कांग्रेस सत्ता तक पहुंच सकती थी.

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राहुल गांधी
राहुल गांधी

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गुजरात में एक बार फिर बीजेपी सरकार बनाने जा रही है. लगातार 22 सालों से सत्ता में बरकरार बीजेपी को जनता ने एक बार फिर पांच सालों के लिए जनादेश दे दिया है. लेकिन इस बार की जीत बीजेपी के लिए आसान नहीं थी. कांग्रेस की ओर से खुद राहुल गांधी मोर्चा संभाले हुए थे, बीजेपी को घेरने के लिए उन्होंने गुजरात की 'तिकड़ी' हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी को अपने पाले में लाने सफल रहे.

शायद परिणाम से पहले बीजेपी का अहसास हो गया था कि इस बार राह आसान नहीं है. जिसके बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति में तुरंत फेरबदल किया और राहुल के मंदिर जाने के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया. चुनाव में बीजेपी की नई रणनीति काम भी आई और एक बार फिर कांग्रेस के हाथ में विपक्ष की कुर्सी की आई.

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परिणाम पर गहराई से गौर किया जाए तो 12 सीटें ऐसी हैं जिस पर बीजेपी ने 3 हजार से कम वोटों से जीत हासिल की. हम इनमें से 10 सीटों के बारे में आपको बता रह‍े हैं. अगर इन सीटों पर कांग्रेस चुनाव से पहले और बढ़िया तरीके से फोकस करती तो शायद परिणाम कुछ और होता. क्योंकि बीजेपी के खाते में 99 सीटें गई, जबकि कांग्रेस 80 तक पहुंच गई है. अगर इन 10 सीटों पर कोई उलटफेर होता तो कांग्रेस सत्ता तक पहुंच सकती थी.

1. गोधरा: गोधरा कांड के लिए जाना जाने वाला यह सीट कांग्रेस के हिस्से आते आते रह गया. सिर्फ 258 वोटों ने इस सीट पर नतीजा तय किया. भारतीय जनता पार्टी के सी. के. राउलजी को जहां 75149 वोट मिले तो कांग्रेस के परमार राजेन्द्रसिंह बणवंतसिंह (लालाभाई) को 74891 वोट मिले. यह सीट राहुल गांधी और कांग्रेस की थोड़ी और कोश‍िश से जीती जा सकती थी. यह सीट पहले कांग्रेस में रहे सी. के. राउलजी के पास थी. हालांकि इस चुनाव के लिए उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था. ऐसे में अगर कांग्रेस उन्हें रोकने में कामयाब होती तब भी यह सीट उसके हिस्से में आती.

2. धोलका: यहां पर बीजेपी के भूपेन्द्रसिंह मनुभा चुडासमा कांग्रेस के राठोड अश्विनभाई कमसुभाई के ख‍िलाफ खड़े थे. बीजेपी के लिए यह मुकाबला सबसे मुश्कि‍ल भरा रहा. भूपेन्द्रसिंह मनुभा चुडासमा को भले ही जीत मिली लेकिन वोट का अंतर सिर्फ 327 रहा. भूपेन्द्रसिंह मनुभा चुडासमा के 71530 वोट के मुकाबले अश्विनभाई कमसुभाई को 71203 मत मिले.

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3. बोटाद: इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस लगातार आगे पीछे होती रही. भले ही अंत में बीजेपी के सौरभ पटेल (दलाल) 906    वोट से जीत गए हों, लेकिन कांग्रेस के कठथीया धीरजलाल माधवजीभाइ (डी.एम.पटेल) ने उन्हें कड़ी टक्कर दी. अगर कांग्रेस इस सीट पर थोड़ा और जोर लगाती तो परिणाम कुछ और भी हो सकता था. यहां सौरभ पटेल (दलाल) को 79623 वोट मिले. वहीं कठथीया धीरजलाल को 78717 वोट मिले. यह सीट इसलिए भी खास है क्योंकि यहां 17 निर्दलीय उम्मीदवारों ने किस्मत अाजमाई थी.  उन्होंने भी कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

4. विजापुर: पटेल समुदाय के गढ़ में भी बीजेपी को जीत के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी. विजापुर सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने पटेल रमणभाई धुलाभाई ने कांग्रेस के पटेल नाथाभाई प्रभुदास को 1164 वोट से हराया. विजापुर सीट पर पटेल रमणभाई धुलाभाई को 72326 वोट और पटेल नाथाभाई प्रभुदास को 71162 वोट मिले.

5. ह‍िमतनगर: भारतीय जनता पार्टी के राजेन्द्रसिंह रणजीतसिंह चावड़ा (राजुभाई चावड़ा) के लिए भी जीत की राह आसान नहीं थी. उन्होंने कांग्रेस के  कमलेशकुमार जयंतिभाई पटेल को 1712 वोट से हरा तो दिया, लेकिन कांग्रेस और मेहनत करती तो शायद तस्वीर कुछ और होती. भारतीय जनता पार्टी के राजेन्द्रसिंह रणजीतसिंह चावड़ा (राजुभाई चावड़ा) को 94340 वोट और कमलेशकुमार जयंतिभाई पटेल को 92628 वोट मिले.

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6. गारियाधार: भारतीय जनता पार्टी के नाकराणी केशुभाई हिरजीभाई को इस सीट से जीत मिली. हालांकि जीत का अंतर सिर्फ 1876 वोट रहा. इंडियन नेशनल कांग्रेस के खेनी परेशभाई मनजीभाई के 48759 वोट के मुकाबले भारतीय जनता पार्टी के नाकराणी केशुभाई हिरजीभाई ने 50635 वोट पाकर जीत हासिल की.

7. उमरेठ: भारतीय जनता पार्टी के गोंविदभाई रईजीभाई परमार ने कांग्रेस के कपीलाबेन गोपालसिंह चावड़ा को 1883 वोट से हराया. भारतीय जनता पार्टी के गोंविदभाई रईजीभाई परमार को 68326 वोट मिले, वहीं कांग्रेस के कपीलाबेन गोपालसिंह चावड़ा को 66443 वोट मिले. कांग्रेस अगर इस सीट पर और ज्यादा जोर लगाती तो यह सीट भी निकाल सकती थी.

8. राजकोट ग्रामीण: भारतीय जनता पार्टी के लाखाभाई सागठीया को इस सीट पर जीत मिली. यह सीट भी कांग्रेस निकाल सकती थी. जीत का अंतर सिर्फ 2179 वोट का रहा. बीजेपी के उम्मीदवार लाखाभाई सागठीया को 92114 वोट मिले. वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार वशरामभाई आलाभाई सागठिया को 89935 वोट मिले.

9. खंभात: भारतीय जनता पार्टी के महेशकुमार कन्हैयालाल रावल (मयूर रावल ) को इस सीट से जीत हासिल हुई. कांग्रेस के पटेल खूशमनभाई शांतिलाल दूसरे नंबर पर रहे.  जीत हार का अंतर सिर्फ 2318 वोट का रहा. कांग्रेस को वोट 69141 मिले तो बीजेपी को 71459 वोट मिले.

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10. वागरा: इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के अरुणसिंह अजीतसिंह रणा ने जीत हासिल की. इंडियन नेशनल कांग्रेस के पटेल सुलेमानभाइ मुसाभाइ दूसरे नंबर पर रहे. जीत का अंतर सिर्फ 2628 वोट का रहा. अगर कांग्रेस इन वोटों को अपने पक्ष में कर लेती तो जीत उसके हिस्से आती. अरुणसिंह अजीतसिंह रणा को 72331 वोट मिले. सुलेमानभाइ मुसाभाइ को 69703 वोट मिले.  इनके अलावा विसनगर और फतेहपुर दो सीटें हैं जहां बीजेपी की जीत का अंतर 3 हजार से कम रहा.

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