गुजरात में विधानसभा की सभी 182 सीटों के रुझान आ चुके हैं. शुरुआत में कांटे की लड़ाई दिखी. लेकिन जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ती रही, कांग्रेस पर बीजेपी की बढ़त बनती गई. हालांकि बीच में एक दो बार ऐसा मौका भी आया जब कांग्रेस आगे दिखी लेकिन ये बढ़त सेट नहीं हो पाई. अब तक के जो रुझान हैं उसमें बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिल रहा है. कांग्रेस बहुमत से काफी पीछे है लेकिन राहुल के सघन प्रचार अभियान और हार्दिक पटेल के साथ से कांग्रेस को फायदा मिलता दिख रहा है. माना जा सकता है कि बीजेपी की कामयाबी की वजह से एक बार फिर राज्य में मुख्यमंत्री पद की पहली पसंद विजय रूपाणी ही होंगे.
बीजेपी के लिए 2012 से बड़ी जीत है ये
2017 का विधानसभा चुनाव गुजरात में बीजेपी के लिए साख का सवाल बन गया था. गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृहराज्य है. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने इस चुनाव को मोदी बनाम राहुल गांधी का रूप दे दिया था. गुजरात में नवसर्जन यात्रा में 21 दिन और 15 रातों के दौरान राहुल के जबरदस्त प्रचार अभियान ने कांग्रेस में जान लौटा दी. लेकिन कांग्रेस वैसे नतीजे नहीं बदल पाई, जैसी उसे उम्मीद थी. विपरीत परिस्थितियों में जिस तरह के रुझान सामने आ रहे हैं वो बताते हैं कि कम सीटों के बावजूद बीजेपी इस बार 2012 से ज्यादा बड़ी जीत हासिल करने में सफल हो रही है. काफी हद तक इसका क्रेडिट मौजूदा सीएम विजय रूपाणी को भी जाता है.
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कैसे बीजेपी के लिए बड़ी जीत है ये
दरअसल, 2012 के चुनाव में BJP ने 119 सीटें जीती थीं. तब कांग्रेस को 57 सीटें मिली थीं. लेकिन तब पार्टी के 'गुजरात मॉडल' का चेहरा नरेंद्र मोदी थे. पाटीदारों पर भी बीजेपी का वर्चस्व था. तब कई चीजें बीजेपी के पक्ष में थीं. दरअसल, पिछले 22 साल में ये पहला ऐसा चुनाव भी है जब बीजेपी का अपना एक बड़ा वोट बैंक उससे नाराज बताया गया. इसमें आरक्षण की मांग करने वाला पाटीदार समाज तो है ही, वो व्यापारी वर्ग भी शामिल है जो पिछले कुछ दशकों से बीजेपी का वोट बैंक बना रहा. नोटबंदी और जीएसटी को लेकर माना जा रहा था कि व्यापारी वर्ग का बड़ा हिस्सा शायद इस बार बीजेपी का साथ नहीं दे. पर रुझान इसकी दूसरी कहानी बता रहे हैं. इन विपरीत परिस्थितियों में जीत के जादुई आंकड़े से आगे निकल जाना बताता है कि बीजेपी के लिए ये जीत क्यों बड़ी है.
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इसलिए जीत के सूत्रधार हैं विजय रूपाणी
गुजरात में मुख्यमंत्री के तौर पर विजय रूपाणी का कार्यकाल बहुत छोटा है. लेकिन मोदी के बाद बीजेपी को जादुई जीत दिलाने वाले मुख्यमंत्री वो बन गए हैं. अगस्त 2016 में आनंदीबेन पटेल को हटाकर रूपाणी को मुख्यमंत्री बनाया गया था. यह ऐसा समय था जब राज्य में आरक्षण की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन चलाने वाले पाटीदार बीजेपी से नाराज थे. हार्दिक पटेल घूम-घूमकर बीजेपी के खिलाफ प्रचार करते रहे. ऊना हादसे के बाद दलितों ने भी बड़ा आंदोलन खड़ा किया. बीजेपी के खिलाफ जबरदस्त माहौल बनने का दावा किया गया . 2017 का चुनाव रूपाणी के लिए लिटमस टेस्ट की तरह था जिसमें वो पास हो गए हैं. अब गुजरात बीजेपी में नरेंद्र मोदी, अमित शाह के बाद विजय रूपाणी पार्टी का बड़ा चेहरा बन गए हैं.