गुजरात में 182 विधानसभा चुनाव के लिए नतीजे आ चुके हैं. पाटीदारों के गढ़ में बीजेपी ने सीटें बचा ली हैं. शुरूआत में पिछड़ती नजर आ रही बीजेपी बाद में कांग्रेस से आगे निकल गई.
शुरू में रुझान ऐसे थे कि डिप्टी सीएम और बीजेपी के कद्दावर नेता नितिन पटेल भी पीछे नजर आ रहे थे. उन्होंने काफी बाद में बढ़त बनाई. मेहसाणा जिले की सभी सीटें पाटीदारों का गढ़ हैं. यहीं हार्दिक की मजबूत पकड़ है.
गुजरात में 83 सीटों पर पाटीदारों का असर
बताते चलें कि गुजरात में 83 ऐसी सीटें हैं जहां पाटीदारों का सीधा असर है. पिछले चुनाव में यहां 59 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था. जबकि 22 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को जीत मिली थी. 2 सीटों पर अन्य ने कब्जा किया था. बीजेपी ने कैबिनेट में 44 उम्मीदवारों को जगह दी थी.
अबतक बीजेपी का गढ़ थी मेहसाणा
1984 में बीजेपी को पूरे देश में केवल दो सीटें मिली थीं. उस दौरान भी एक सीट मेहसाणा की थी. ये इलाका बीजेपी का गढ़ माना जाता है. लेकिन पाटीदार आंदोलन और हार्दिक पटेल की मौजूदगी की वजह से इस बार बीजेपी का किला हिलता नजर आ रहा है.
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छठी बार गुजरात जीतने के लिए बीजेपी ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. हालांकि पाटीदारों की नाराजगी की वजह से इस बार राज्य में बीजेपी की सत्ता में वापसी काफी मुश्किल बताया जा रहा है. आरक्षण मुद्दे को लेकर हार्दिक पटेल के नेतृत्व में पाटीदारों ने गुजरात में बड़ा आंदोलन चलाया. पाटीदारों की कथित नाराजगी और हार्दिक का कांग्रेस के पक्ष में प्रचार इस बार बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी करता दिख रहा है. नतीजों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार चुनाव में हार्दिक पटेल की मौजूदगी से बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचा है.
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गुजरात में पाटीदार कितना अहम हैं इसका अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि बीजेपी सरकार में 44 पाटीदार विधायकों को कैबिनेट में जगह दी गई थी. इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पाटीदार बहुल सीटों पर अधिकांश पाटीदार नेताओं को ही टिकट दिया है. विधानसभा के लिए दो फेज में वोट डाले गए थे. लेकिन इस बार पाटीदार बहुल सीटों पर वोटिंग में गिरावट नजर आई है.