मशहूर राजनीतिक विज्ञानी क्रिस्टोफ जैफरलॉ ने गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले उसके विकास मॉडल पर सवाल उठाए हैं. जैफरलॉ ने कहा है कि विकास का 'गुजरात मॉडल' एक तरह से 'रोजगारहीन विकास' का उदाहरण है.
दिल्ली में आयोजित 'टाइम लिटफेस्ट' साहित्य सम्मेलन के 'पॉलिटिकल कंजरवेटिव्स एंड द राइट इन इंडिया' शीर्षक वाले सत्र में उन्होंने कहा कि गुजरात मॉडल से निकलने वाले अधिकतर अवसरों पर लघु एवं मध्यम उपक्रमों (एसएमई) में क्षमता से कम नौकरियों का सृजन हुआ. उन्होंने कहा, 'गुजरात मॉडल रोजगारहीन विकास का एक दिलचस्प उदाहरण है या आप यह कह सकते हैं कि यह न्यूनतम विकास के साथ होने वाले वृद्धि का मामला है.'
राजनीतिक विज्ञानी ने आगे कहा कि गुजरात में बहुराष्ट्रीय कंपनियों से काफी निवेश मिला जिन्हें जमीनें, सस्ता श्रमिक और साफ तौर पर टैक्स से छूट दी गई. उन्होंने कारखाने, रिफाइनरियों का निर्माण किया लेकिन इनसे उतनी नौकरियों का सृजन नहीं हुआ जितनी छोटे एवं मध्यम उपक्रम करते.'
उन्होंने कहा कि राज्य में विकास के बावजूद गरीबों की दशा में बदलाव नहीं हुआ जिससे बीजेपी पर एक जवाबदेही बनती है. जैफरलॉ ने कहा, 'पहले एक तरफ (गुजरात में) गरीब थे और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी, अब दिल्ली में बीजेपी है और वहां अब भी गरीब हैं. इसलिए यह विश्लेषण का समय है, यह जवाबदेही तय करने का समय है.'
बता दें कि गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते वहां के विकास मॉडल की पूरे देश में चर्चा हुई थी. बीजेपी ने 2014 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा तो गुजरात के विकास मॉडल को ही आगे पेश किया गया, जबकि विपक्षी दल हमेशा गुजरात के विकास को अमीरों का विकास बताते रहे हैं. ऐसे में विदेशी राजनीतिक विज्ञानी का गुजरात के विकास मॉडल पर ये कमेंट विपक्ष के दावों को बल देता है.