गुजरात के चुनावी दंगल में 'विकास' को लेकर सियासी सूरमाओं में जुबानी जंग थमने का नाम नहीं ले रही. वहीं अब कांग्रेस गुजरातियों को 'खुशी का मंत्र' देकर राज्य की चुनावी धारा को अपने पक्ष में मोड़ना चाहती है. 'नवसर्जन गुजरात' का उद्घोष पहले ही दे चुकी कांग्रेस अब चुनाव अभियान में बढ़-चढ़ कर 'खुश रहे गुजरात' का नारा देने की तैयारी में है.
भारत के चुनावी इतिहास में यह पहली बार होने जा रहा है कि कोई राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणा पत्र में एक पूरा चेप्टर हैप्पीनेस इंडेक्स पर देने जा रही है.
पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र तैयार करने की जिम्मेदारी जिन नेताओं पर है उन्होंने हाल ही में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से इस विषय पर बात की. इसी में तय हुआ कि 'नवसर्जन गुजरात' के साथ 'खुशहाल गुजरात' बनाने का संकल्प भी घोषणापत्र में जोड़ा जाए.
गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भरत भाई सोलंकी ने आजतक से खास बातचीत में कहा, "हम सिर्फ 'कांग्रेस एव छे' (कांग्रेस आ रही है) और नवसर्जन गुजरात की बात ही नहीं कर रहे. हम खुशहाल और समृद्ध गुजरात भी बनाना चाहते हैं. इसीलिए हम 'खुश रहे गुजरात' का नारा भी चुनाव अभियान में लेकर आ रहे हैं."
सोलंकी की मानें तो अगर कांग्रेस गुजरात की सत्ता में आती है तो लोगों को खुशियां बांटने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी. सोलंकी के मुताबिक जो लोग तनाव/स्ट्रेस में रह रहे हैं, कोशिश होगी कि उनकी चिंताएं दूर हों और वे खुशहाल बनें. सबका विकास हो. गुजरात के लोगों का न सिर्फ रहन-सहन का स्तर ऊंचा हो बल्कि गुजरात हैप्पीनेस इंडेक्स पर भी आगे बढ़े.
कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र में यह उल्लेख होगा कि कैसे लोगों में सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित किया जाए. पॉजिटिव माइंडसेट से ऐसा माहौल बने कि लोग चिंता और तनाव से दूर रहें. इसके लिए लोगों को विशेषज्ञों की मदद उपलब्ध कराने के साथ योग, मेडिटेशन, खेलकूद, रंगारंग कार्यक्रमों का भी सहारा लिया जाएगा.
कांग्रेस के गुजरात प्रभारी और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि चंद लोगों को ही खुशियां बांटने से सिर्फ उनका ही नवसृजन होता है, लेकिन जब कांग्रेस गुजरात में आएगी तो सब में बराबर खुशियां बांटी जाएंगी.
आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में हैप्पीनेस इंडेक्स डिपार्टमेंट
चुनावी घोषणापत्र में हैप्पीनेस इंडेक्स का चेप्टर जोड़ना बेशक नई बात है, लेकिन देश-विदेश में खुशियों का सपना दिखाकर उसके लिए काम करना कोई नई बात नहीं है. देश में आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में हैप्पीनेस इंडेक्स डिपार्टमेंट पहले से ही काम कर रहे हैं.
जुलाई 2016 में मध्य प्रदेश भारत का पहला ऐसा राज्य बना जहां ऐसा डिपार्टमेंट शुरू किया गया. इसके जरिए लोगों को स्ट्रेस फ्री होना सिखाया जाता है. कोशिश की जाती है कि कोई न तो नकारात्मक सोच अपनाए और न ही सुसाइड जैसे बुरे ख्याल दिल में लाए.
आंध्र प्रदेश में अप्रैल 2017 में हैप्पीनेस इंडेक्स डिपार्टमेंट की शुरुआत की गई. यहां लोगों को खुशियों का संदेश देने के साथ गीत-संगीत, नृत्य एवं रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है.
दुनिया में भारत का 'हैप्पीनेस' में नंबर 122वां
जहां तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बात की जाए तो यूनाइटेड नेशंस की ओर से मार्च 2017 में जारी हैप्पीनेस रिपोर्ट में भारत चार अंक लुढ़क कर 122वें नंबर पर आ गया है. इस मामले में सोमालिया, चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश तक का नंबर भारत से ऊपर है.
दुनिया में सबसे खुश देश की बात की जाए तो वह डेनमार्क है. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की सरकार की ओर से बाकायदा हैप्पीनेस ऑफिसर्स को नियुक्त किया जाता है. वेनेजुएला में तो पूरी की पूरी 'हैप्पिनेस मिनिस्ट्री' काम कर रही है.