गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) ने आम आदमी पार्टी (AAP) का साथ छोड़ दिया है. बीते मई में AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एलान किया था कि उनकी पार्टी BTP के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी. आजतक से बात करते हुए BTP अध्यक्ष छोटाभाई वसावा ने कहा कि आम आदमी पार्टी, बीजेपी की टीम की तरह काम कर रही है.
आप से गठबंधन तोड़ने के बाद आजतक के साथ बातचीत करते हुए बीटीपी मुखिया छोटा भाई वसावा ने अरविंद केजरीवाल पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी, बीजेपी की ही तरह काम कर रही है. वसावा ने आरोप लगाया कि केजरीवाल हमसे गुजरात में गठबंधन करना चाहते हैं, लेकिन दूसरे राज्यों में हमें साथ नहीं रखना चाहते.
बीटीपी अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि आने वाले चुनावों में केजरीवाल कांग्रेस और अन्य पार्टियों को नुकसान पहुंचाएंगे. वह बीजेपी की मदद कर सकते हैं. कांग्रेस के साथ गठबंधन पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 2017 के चुनाव में हमें 8 सीट दी थीं, लेकिन बाद 2019 चुनाव में हमारे खिलाफ प्रत्याशी उतार दिया. हालांकि उन्होंने इशारा किया कि गुजरात में कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए बीटीपी के दरवाजे खुले हैं.
कांग्रेस के साथ जाने को तैयार: वसावा
छोटा भाई वसावा ने कहा कि इस बार अगर कांग्रेस हमारे खिलाफ उम्मीदवारों को मैदान में नहीं उतारने का वादा करती है तो हम कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए सहमत हो सकते हैं. आदिवासियों के लिए सीटें आरक्षित करने से आदिवासियों को मदद नहीं मिलती. आदिवासी सीटों से चुने गए विधायक और सांसद अपनी पार्टियों के लिए काम करते हैं, आदिवासियों के लिए नहीं. देश की आजादी के 75 साल बाद भी 90 फीसदी आदिवासी बच्चे कुपोषित हैं.
आदिवासियों की जमीन पर संकट: वसावा
उन्होंने कहा कि आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है क्योंकि उस जमीन में खनिज नदियां और जंगल हैं. गुजरात सरकार ने आदिवासियों की जमीन होटलों और अन्य उद्योगों को सौंपने की तैयारी की है.
कहां एक्टिव है बीटीपी?
बीटीपी के गुजरात में दो और राजस्थान में तीन विधायक हैं. बीटीपी का राजस्थान के उदयपुर, डूंगरपुर के इलाके में मजबूत पकड़ है तो गुजरात के बांसवाडा, बनासकांठा, अंबाजी, दाहोद, पंचमहाल, छोटा उदेपुर, नर्मदा जिले में अच्छी पैठ है. पिछले चुनाव में बीटीपी ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा थी, जिसका सियासी फायदा दोनों ही पार्टियों को आदिवासी बेल्ट में मिला था. हालांकि, लोकसभा चुनाव 2019 में बीटीपी ने भरूच सीट छोड़ने की मांग रखी थी, लेकिन कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी उतार दिया था, जिसके बाद दोनों पार्टियों के रिश्ते खराब हो गए.