Gujarat Assembly Election 2020: गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावी मैदान में उतरने वाले सभी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से चुनावी जमीन तैयार करने में जुट गए हैं. हम बात कर रहे हैं दसाडा सीट की, तो यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक पार्टी चुनाव जीतती आई हैं. इस बार तो चुनाव में आम आदमी पार्टी भी शामिल है और प्रचार को लेकर सक्रिय भी है. ऐसे में इस बार होने वाली त्रिकोणीय जंग में किसकी होगी जीत और किसका पलड़ा होगा भारी, ये देखना बेहद दिलचस्प होगा.
दसाडा की इस सीट पर 1990 से लेकर 2017 तक सात बार चुनाव हुए हैं. जिस में 5 बार बीजेपी ने जीत हासिल की है. जबकि दो बार कांग्रेस को जीत मिली है. दसाडा विधानसभा सीट पर 2017 के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी नौसाद सोंलकी को जीत मिली थी. जबकि 2007 में बीजेपी से शंभुप्रसाद टुंडिया और 2012 में भी बीजेपी से पुनमभाई मकवाणा ने जीत हासिल की थी.
2022 के विधानसभा चुनाव में दसाडा सीट पर जीत हासिल करना बीजेपी के लिए प्राथमिकता हैं. 2017 में हार का सामना करने के बाद कांग्रेस यहां 10 साल बाद जीत हासिल कर पाई थी. हालांकि, 2017 में कांग्रेस के प्रत्याशी नौसाद सोंलकी की जीत का मार्जिन बेहद कम था, वो सिर्फ 3728 मत से जीते थे. उन्होंने बीजेपी के सीनियर नेता और सरकार में पूर्व मंत्री रहे रमणलाल वोरा को हराकर जीत हासिल की थी.
दसाडा विधानसभा सीट SC के लिए आरक्षित
सुरेन्द्रनगर जिले में दसाडा विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा मतदाता दलित हैं. इस सीट पर कुल मतदाता दो लाख सैंतीस हजार पांच सौ छब्बीस (237,526) हैं. 2017 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस के नौसाद सोलंकी को 74,009 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी से खड़े रमणलाल वोरा को 70,281 वोट मिले थे. वैसे तो इस सीट पर कांग्रेस की अच्छी पकड़ मानी जाती थी, लेकिन अब यहां बीजेपी ने भी अपनी पकड धीरे-धीरे मजबूत की है.
जंगली गधों के लिए फेमस
दसाडा न सिर्फ गुजरात में, बल्कि विदेश में भी काफी जाना जाता है. पूरी दुनिया में जंगली गधे इसी दसाडा में देखे जाते हैं. जंगली गधों की खास बात यह है कि ये 60 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं. 1972 में इस जगह के अभ्यारण के तौर पर विकसित किया गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने गुजरात टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यहां अमिताभ बच्चन का एड शूट करवाया था. जिस के बाद यहां के लोगों को तकदीर और इलाके की तस्वीर बदली है और यहां बड़ी तादाद में टूरिस्ट आने लगे. जिसके बाद से ग्रामीण इलाके में रहने वाले युवाओं और महिलाओं को रोजगार मिलने लगा.