गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर चुनावी मैदान में उतरने वाले सभी राजनीतिक पार्टी अपने-अपने तरीके से चुनावी जमीन तैयार करने में जुट गए हैं. द्वारका विधानसभा सीट पर लगातार तीन चुनाव में पबुभा माणेक बीजेपी से जीत चुके हैं. लेकिन इस बार इस सीट पर बीजेपी-कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी की एंट्री से राजनीतिक समीकरण को अलग तरह से देखा जा रहा है. यहां से 2017 में चुने गए बीजेपी के पबुभा माणेक इसी सीट पर 1990 से चुनाव जीतते आए हैं. 1990 से 2002 के चुनाव तक वो बतौर निर्दलीय जीते थे, लेकिन 2007 के चुनाव से तीन चुनाव बीजेपी के टिकट पर लडे़ और जीते भी.
द्वारका नगरी गुजरात की पहली राजधानी मानी जाती हैं. यह शहर भगवान कृष्ण के समय से पौराणिक शहर माना जाता है. द्वारका का मतलब स्वर्ग का प्रवेश द्वार भी माना जाता है. हिन्दुओं के महत्वपूर्ण तीर्थ धाम के तौर पर देश नहीं दुनिया में भी द्वारका नगरी जानी जाती है. यहां के द्वारकाधीश मंदिर के साथ साथ रुकमणी देवी मंदिर, गोमती घाट और बेट द्वारका के मंदिर भी लोगों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण हैं. द्वारका विधानसभा की अगर बात करे तो ये जामनगर लोकसभा का इलाका माना जाता हैं.
मतदाताओं के आंकड़े
द्वारका में कुल मतदाता 261861 हैं. इसमें 136,604 पुरुष, 125,252 महिला और 5 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां 58.88% मतदान हुआ था. 2017 के चुनाव में पबुभा माणेक को 73471 वोट मिले थे. कांग्रेस से प्रत्याशी आहिर मेरामण को 67692 वोट मिले थे. द्वारका की इस सीट में अनुसूचित जाति के 6.78% वोटर हैं और अनुसूचित जनजाति 1.29 प्रतिशत है.
पिछले तीन दशक से द्वारका विधानसभा सीट पर पबुभा माणेक का राज हैं, लेकिन इस बार चुनाव में राजनीतिक समीकरण बदल सकता हैं. ऐसी अटकलें लगायी जा रही हैं कि बीजेपी तीन बार से ज्यादा बार चुनाव लड़ चुके उम्मीदवार को अगर टिकट नहीं देती है, तो पबुभा माणेक का टिकट यहां से कट सकता हैं. इस सीट पर फिलहाल बीजेपी भी असमंजस में है कि वो पबुभा माणेक को टिकट दे या नहीं. क्योंकि पिछले 30 साल से पबुभा माणेक चाहे बीजेपी से या कांग्रेस या निर्दलीय लड़े जीत उन्ही की निश्चित मानी जाती हैं.