गुजरात विधानसभा चुनाव भले ही साल के आखिर में होने हों लेकिन सियासी बिसात अभी से ही बिछाई जाने लगी है. सूबे में कांग्रेस तीन दशकों से सत्ता का वनवास झेल रही है और गुजरात बीजेपी की सियासी प्रयोशाला बन चुकी है. कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है. कांग्रेस ने आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 'आजादी की गौरव यात्रा' शुरू की है. ऐसे में देखना है कि यह कांग्रेस की पदयात्रा पार्टी को गुजरात की सत्ता में वापसी करा पाती है कि नहीं?
अहमदाबाद के गांधी आश्रम से बुधवार को शुरू हुई 'आजादी की गौरव यात्रा' एक जून को नई दिल्ली राजघाट पर आकर खत्म होगी. गुजरात से शुरू हुई यात्रा राजस्थान, हरियाणा होते हुए दिल्ली में प्रवेश करेगी. करीब 12 सौ किलोमीटर की इस यात्रा में तीन लाख से अधिक लोगों से संपर्क करने का कांग्रेस ने प्लान बनाया. इस यात्रा के दौरान पार्टी कार्यकर्ता कांग्रेस के इतिहास, आजादी के आंदोलन, स्वतंत्रता संग्राम में स्वतंत्रता संग्राम में महापुरुषों की भूमिका और आजाद भारत में कांग्रेस प्रधानमंत्री व सरकारों के कामकाज से लोगों को अवगत कराएंगे.
गुजरात में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं, कांग्रेस 27 सालों से सूबे की सत्ता से बाहर है. कांग्रेस इस चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत लगा रही है ताकि जनमानस को अपने पक्ष में करके बीजेपी को मात दे सके. पांच साल पहले कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी चुनौती देने में सफल रही थी, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी की अंतिम समय में चुनावी प्रचार में उतरने के चलते बीजेपी सत्ता को बरकरार रख सकी थी. यही वजह है कि कांग्रेस अभी से ही गुजरात चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछाने और समीकरण को अपने पक्ष में करने में जुट गई है.
गुजरात बीजेपी की सियासी प्रयोगशाला
गुजरात को बीजेपी की सियासी प्रयोगशाला माना जाता है. बीजेपी सूबे की सत्ता पर 1995 से काबिज है. केशुभाई पटेल के इस्तीफे के बाद अक्टूबर 2001 में मोदी पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने और मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने तक वह 12 साल से ज्यादा समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन अब यह भी कहा जा रहा कि मोदी के दिल्ली जाने के बाद बीजेपी राज्य में कमजोर हुई है. इसके संकेत 2017 के चुनाव में देखने को मिले थे, लेकिन पांच साल पहले बीजेपी ने सत्ता को बचाकर अपने किले को मजबूत बनाए रखा.
2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन भी सुधरा और उसने 77 सीटें जीतीं और बीजेपी 100 सीट का आंकड़ा पार नहीं कर सकी थी. बीजेपी को करीब 49 फीसदी मत मिले तो कांग्रेस को करीब 41 प्रतिशत वोट मिले. ऐसे में कांटे की लड़ाई रही थी. माना जाता है कि गुजरात के ग्रामीण इलाके में कांग्रेस मजबूत है और लेकिन आम आदमी पार्टी के दस्तक के बाद अब मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है.
गुजरात में आम आदमी पार्टी अब कांग्रेस की जगह लेने की तैयारी में है तो कांग्रेस भी अब अपने सियासी समीकरण बेहतर करने में जुट गई है. कांग्रेस पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और दलित नेता जिग्नेश मेवानी को मिलाने के बाद अब पाटीदार नेता नरेश पटेल को भी साथ लेने की तैयारी कर रही है. गुजरात में कलह से जूझती पार्टी खुद को फिर से मजबूत करना चाहती है. माना जा रहा है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पाटीदार नरेश पटेल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं.
वहीं, कांग्रेस सूबे में सियासी माहौल बनाने के लिए आजादी गौरव यात्रा शुरू की है, जो गुजरात के तमाम शहरों से होते हुए दिल्ली आएगी. दो महीने तक पदयात्रा कर दिल्ली के राजघाट पर पहुंचने पर गौरव यात्रा में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल होंगे. माना जा रहा है कि इस गौरव यात्रा के जरिए कांग्रेस अपनी विचाराधारा को घर-घर पहुंचाने का प्लान है. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस इस यात्रा के बहाने क्या गुजरात में तीन दशक के सत्ता का वनवास खत्म कर पाएगी?