2022 विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात का गोधरा एक बार फिर चर्चा में है. इसकी वजह है- 2002 गोधरा दंगों की पीड़ित बिलकिस बानो. बिलकिस बानो के गुनहगारों को रिहा करने के लिए जो कमेटी बनाई गयी थी, उस कमेटी में गोधरा के विधायक सीके राउलजी भी थे. उन्होंने कहा है कि गुनहगार के अच्छे चाल चलन को लेकर उन्हें जेल मुक्त करने का फैसला किया गया. जानिए, 2017 के चुनाव से पहले कांग्रेस से बीजेपी में जुड़े सीके राउलजी का क्या है राजनीतिक भविष्य? क्या बीजेपी उन्हें दोबारा टिकट देंगी?
गोधरा विधानसभा सीट पर इस बार बीजेपी-कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी और AIMIM भी सीधी चुनावी टक्कर देने के लिए तैयार है. गोधरा विधानसभा सीट पर कुल वोटर 2 लाख 50 हजार 887 हैं. जिसमें एक लाख 28 हजार 560 पुरुष मतदाता हैं. जबकी एक लाख 22 हजार 324 महिला वोटर हैं.
स्थानीय निकाय के चुनाव में जीत के जरिए ओवैसी की पार्टी AIMIM ने यहां एन्ट्री कर ली है. 2017 के चुनाव में सीके राउलजी ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ा था. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार राजेंद्र सिंह परमार को हराया था.
गोधरा दंगा के बाद जीत हासिल की थी बीजेपी ने
2002 के दंगों के बाद गोधरा की सीट से बीजेपी के हरेश भट्ट ने जीत हासिल की थी, लेकिन 2007 और 2012 में यहां से कांग्रेस के सी. के. राउलजी ने जीत हासिल की थी. 2017 में राउलजी ने कांग्रेस को छोड़ बीजेपी ज्वाइन कर ली. अब 2022 के चुनाव में सवाल यही है कि क्या बीजेपी से कांग्रेस में आए राउलजी को टिकट मिलेगा या नहीं?
2007 के चुनाव में सीके राउलजी ने भाजपा के प्रभात सिंह चौहाण को हराया था, तो वहीं 2012 में प्रवीण सिंह चौहान जो बीजेपी के बाप-बेटे की जोड़ी है, उसे हराया था. सीके राउलजी गोधरा की इस विधानसभा सीट से 5 बार विधायक रह चुके हैं.
पार्टी कोई भी हो जीत सीके राउलजी की निश्चित रहती हैं, लेकिन गोधरा की इस सीट पर कांग्रेस का पलड़ा हमेशा भारी रहा है. 1980,1985, 2007 और 2012 में कांग्रेस ने यहां पर जीत हासिल की है.
2017 के चुनाव में राउलजी को 75,149 वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार राजेन्द्र परमार को 74,891 वोट मिले थे. जीत का मार्जिन दोनों के बीच 258 वोटों का था. जो कि विधानसभा के लिए काफी सामान्य कहा जाता हैं.
दिलचस्प बात यह है कि इस पूरी सीट पर 65 हजार मुस्लिम वोटर हैं. अगर इस बार AIMIM चुनावी मैदान में उतरती है, तो इसका नुकसान सीधा कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है.