गुजरात की डीसा विधानसभा सीट राजनीति में धर्म का केंद्र बनी हुई है. धर्म की दृष्टि से यहां हिंदू, मुस्लिम, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग रहते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव का भी इतिहास है. आज हम आपको इसी सीट के बारे में बताने जा रहे हैं...
2017 के चुनावी नतीजों ने किया था हैरान
इस सीट पर साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे चौकाने वाले थे. इस सीट पर पहली बार ब्राह्मण समुदाय के नेता शशिकांत पंड्या ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता गोवा रबारी को 15 हजार वोटों से शिकस्त दी थी.
पहले कहा जा रहा था कि यह सीट कांग्रेस के खाते में ही जाएगी. दरअसल, कांग्रेस की तरफ से सीनियर नेता और सीटिंग MLA गोवा रबारी इस सीट से चुनाव लड़ रहे थे. मगर, हुआ इसका उल्टा.
यह देखकर राजनीति के जानकार भी हैरान थे. दबंग नेता की छवि वाले शशिकांत पंड्या ने यहां से चुनाव जीता. वह सालों से डीसा नगरपालिका के सदस्य भी रहे हैं.
शशिकांत पंड्या को इनाम में मिला टिकट
शशिकांत पंड्या को ही भाजपा ने डीसा सीट पर टिकट क्यों दी, इसके पीछे भी राजनीति मानी जाती है. दरअसल, वह अमित शाह के करीबी हैं. जब अमित शाह कानूनी समस्याएं झेल रहे थे, उस वक्त शशिकांत ने अमित शाह को अपने फार्म हाउस रहने दिया था.
शाह के कठिन हालात में वो उनके साथ खड़े रहे थे. अमित शाह की पत्नी शशिकांत को भाई मानती हैं और राखी भी बांधती है. गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 के नतीजों को देखे तो भाजपा उम्मीदवार शशिकांत पंड्या को कुल 85 हजार 411 वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी गोवा रबारी को 70 हजार 880 वोट मिले थे.
2007 से भाजपा के पास है यह सीट
2012 में भी यहां से बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की थी. वहीं 2007 में डीसा सीट से बीजेपी के लीलाधरभाई बाघेला ने 18 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की थी. 2002 की बात करें, तो बीजेपी प्रत्याशी को कांग्रेस प्रत्याशी ने 2 हजार मतों से हरा दिया था.
मतदाताओं के आंकड़े
डीसा विधानसभा क्षेत्र में कुल वोटर 2 लाख 30 हजार 537 हैं. इनमें 1 लाख 20 हजार 512 पुरुष और 1 लाख 10 हजार 25 महिलाएं हैं. डीसा में 13 प्रतिशत से अधिक आबादी SC और ST समुदाय की है.