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Visavadar Assembly Seat: क्या केशुभाई पटेल के गढ़ विसावदर में AAP लगा पाएगी सेंध ?

गुजरात में विधानसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू हो गई है और तमाम पार्टियां प्रचार अभियान में जुट गई है. गुजरात में सौराष्ट्र की 44 सीटें हैं. जूनागढ़ की 5 सीटों में विसावदर भी शामिल है जो कि गुजरात की राजनीति में अहम भूमिका निभाता है.

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विसावदर में पाटीदार का है दबदबा
विसावदर में पाटीदार का है दबदबा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • विसावदर में आम आदमी पार्टी ने बनाई अपनी पैठ
  • विसावदर में पाटीदार समुदाय का है वर्चस्व

गुजरात के विसावदर को पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का गढ़ माना जाता है. हालांकि 2001 में मुख्यमंत्री बनते ही मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केशुभाई पटेल की राजनीति खत्म कर दी थी.

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इस क्षेत्र में केशुभाई पटेल ने अपने राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे. संघ ने मोदी को मुख्यमंत्री बनाया और केशुभाई पटेल ने बीजेपी को अलविदा कहकर नई पार्टी बनाई लेकिन उनकी राजनीति सफल नहीं हो पाई. 2012 में कांग्रेस के हर्षद रीबड़िया ने बीजेपी से ये सीट छीन ली. अब फिर से इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए बीजेपी जीतोड़ कोशिश कर रही है.

विसावदर का भौगोलिक परिचय

विसावदर गिर शासन के नजदीकी क्षेत्र का हिस्सा है. इस क्षेत्र में बड़े उद्योग या फैक्ट्रियां स्थापित होने की कोई गुंजाइश नहीं होने के कारण यहां के ज्यादातर शिक्षित वर्ग और किसान खेती छोड़ सूरत, अहमदाबाद नए रोजगार ओर कारोबार के लिए शिफ्ट हो गए. सूरत में हीरा उद्योग से जुड़े ज्यादातर व्यापारी विसावदर से ही वहां पहुंचे है. यही वजह है कि अब विसावदर समृद्ध और धनवान लोगों का गढ़ भी बन गया है.

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विसावदर की राजनीतिक पृष्ठ भूमि

पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल ने 1995 में इस सीट से जीत हासिल कर बीजेपी को इस पूरे क्षेत्र में मजबूत बनाया था. वो 2001 तक मुख्यमंत्री भी बने रहे. 2001 में कच्छ के भूकंप के बाद भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो उन्हें हटाकर संघ की इच्छा पर बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बनाया.

2002 और 2007 में बिजेपी ने केशुभाई को टिकट नहीं दिया तो केशुभाई ने बीजेपी को अलविदा कह अपनी नई पार्टी बना ली जिसका नाम 'गुजरात परिवर्तन पार्टी' रखा. हालांकि उन्हें साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 2 सीटों से संतोष करना पड़ा. इसके बाद केशुभाई पटेल ने राजनीति को अलविदा कह दिया. 

2017 में हर्षद रीबड़िया ने किसानों को साथ लेकर चुनाव लड़ा ओर बिजेपी उम्मीदवार किरीट पटेल को 25000 मतों से हरा दिया. फिलहाल हर्षद रीबड़िया को ग्रेस के सक्रिय विधायक के रूप में जाना जाता है. वो बीते पांच सालों में आम लोगों के मुद्दे को विधानसभा में उठाते हुए नजर आए हैं. वहीं बीजेपी एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर ही यहां लोगों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है.

विसावदर की चुनौतियां

विसावदर एक ऐसा क्षेत्र है जो मौसमी खेती पर आश्रित है. यहां पानी की किल्लत, बिजली का संकट है. गांवों तक सड़क की कोई व्यवस्था नहीं है, इस इलाके के किसानों की आर्थिक स्थिति भी खराब है.

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विसावदर की सामाजिक स्थिति को देखें तो यहां पाटीदार समुदाय सबसे ज्यादा है. यही समुदाय यहां तय करता है कि गुजरात में सरकार किसकी बनेगी.  यहां के पाटीदार गुजरात के चुनाव परिणाम को बदलने तक की क्षमता रखते हैं. पिछले स्थानीय निकाय चुनावों में और सूरत महानगरपालिका चुनाव में पाटीदार फेक्टर ने बीजेपी को नुकसान पहुंचाया था और आम आदमी पार्टी को इसका फायदा मिला था.

विसावदर के विधायक हर्षद रीबड़िया का परिचय

नाम:  हर्षद माधवजी रीबड़िया
शिक्षा: 10वीं पास
व्यवसाय: खेती
आपराधिक केस : हत्या से लेकर अधिकारी पर तानाशाही तक के आरोप लगे हुए हैं.
संपति: 2 करोड़

गुजरात के चुनाव में पाटीदार फेक्टर का असर पिछले दो चुनाव में रहा है और इस बार पाटीदार दो हिस्सों बंटे हुए है. एक गुट नरेन्द्र मोदी का समर्थन करता है और दूसरा गुट जो पहले केशुभाई का समर्थक था अब वो केजरीवाल की पार्टी से प्रभावित हैं.  (विसावदार से भार्गवी जोशी की रिपोर्ट) 

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