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Gujarat Election: विधानसभा चुनाव से पहले बीटीपी को झटका, कई नेता आम आदमी पार्टी में शामिल

गुजरात के सियासी रण में जब आम आदमी पार्टी ने बीटीपी के साथ गठबंधन किया था, तो चर्चा थी कि दोनों दल इस बार आदिवासी इलाकों में अच्छी-खासी सीट जीत सकते हैं. हालांकि, कुछ दिनों पहले बीटीपी ने आम आदमी पार्टी पर कई तरह के आरोप लगाकर अलायंस तोड़ दिया था. अब AAP ने बीटीपी को झटका दिया है.

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बीटीपी के संस्थापक छोटूभाई वसावा और अरविंद केजरीवाल
बीटीपी के संस्थापक छोटूभाई वसावा और अरविंद केजरीवाल

गुजरात विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने बाकी हैं. ऐसे में राज्य में कई बड़े सियासी उलटफेर होते नजर आ रहे हैं. हाल ही में आम आदमी पार्टी (आप) से गठबंधन तोड़ने वाली राज्य में आदिवासी समाज की बड़ी पार्टी भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) को झटका लगा है. उनकी पार्टी के कई नेता आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं. बीटीपी लगातार 'आप' पर उनकी पार्टी के नेताओं को तोड़ने के आरोप लगा रही है.

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गुजरात के स्थापना दिवस (एक मई) पर आम आदमी पार्टी ने बीटीपी के साथ गठबंधन किया था. भरूच जिले के चंदेरिया में बीटीपी के छोटूभाई वसावा और अरविंद केजरीवाल ने एक संयुक्त रैली भी की थी. इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों इस बार आदिवासी इलाकों में अच्छी-खासी सीटें जीत सकते हैं. हालांकि बीटीपी ने हाल ही में आम आदमी पार्टी पर कई तरह के आरोप लगाकर उनसे गठबंधन तोड़ लिया. उनका कहना था कि आम आदमी पार्टी से गठबंधन के बावजूद चुनावों को लेकर उनसे कोई बातचीत नहीं हो रही थी.

छोटूभाई वसावा ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा था कि हम पगड़ी वाले और वे टोपी वाले हैं, लेकिन वे हमें टोपी पहनाने की बात करते थे. उन्होंने कहा था कि केजरीवाल बीटीपी का अपनी पार्टी में विलय चाहते थे, इसलिए हमने उनसे गठबंधन तोड़ दिया.

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बीटीपी के कई नेता 'आप' में शामिल

ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी चुनाव में आदिवासी वोटों को अपनी ओर खींचने के लिए बीटीपी को तोड़ने में सफल होती दिख रही है. बीते कुछ दिनों के भीतर बीटीपी के युवा नेता आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हैं. आम आदमी पार्टी ने नांदोड़ विधानसभा सीट से अपने उम्मीदवार का नाम घोषित किया है, जिनका नाम डॉ. प्रफुल्ल वसावा है. वसावा ने 2017 विधानसभा में बीटीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. बीटीपी ने उन्हें वडोदरा जिले की  वाघोडिया सीट से चुनावी मैदान में उतारा था. लेकिन वह इस सीट से हार गए थे. लेकिन अब वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं. 

हाल फिलहाल में एक और बीटीपी नेता चैतर वसावा ने अपने तीन साथी युवा नेताओं के साथ भारतीय ट्राइबल पार्टी का दामन छोड़कर आम आदमी पार्टी का हाथ पकड़ लिया. चैतर वसावा का कहना है कि बीटीपी ने उनसे कुछ वादे किए थे, जिन्हें पूरा नहीं किया गया. इसलिए हमने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया. 

बीटीपी ने गुजरात में आदिवासी समाज से जुड़े कई मुद्दों पर लड़ाई लड़ी है, फिर चाहे वह फर्जी आदिवासी प्रमाणपत्र का मुद्दा हो, इको सेंसेटिव जोन का मामला हो या फिर केवड़िया स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को लेकर आदिवासियों के न्याय की लड़ाई का मुद्दा हो. इन सभी मुद्दों पर चैतर वसावा, प्रफुल्ल वसावा जैसे कई युवा नेताओं ने भाग लिया था.

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बीटीपी पर पिछले दरवाजे से कांग्रेस से गठजोड़ का आरोप

इन नेताओं का दावा है कि बीटीपी ने पिछले दरवाजे से कांग्रेस से गठजोड़ कर लिया है. कुछ समय पहले कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बीटीपी के मुख्य संयोजक छोटूभाई वसावा से भी मुलाकात की थी.

बता दें कि 2017 में बीटीपी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था लेकिन बाद में पार्टी ने 2019 के स्थानीय पंचायत चुनाव में ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी से गठबंधन कर लिया था, जिससे बीटीपी को काफी नुकसान भी हुआ था. इसकी वजह रही कि आदिवासी समाज के भीतर हिंदुत्व की बड़ी लहर है. आदिवासी नेताओं के जब भी बयान सामने आते हैं, वे हमेशा कहते हैं कि आदिवासी हिंदू थे, हैं और रहेंगे. इस वजह से ओवैसी की पार्टी के साथ बीटीपी का गठबंधन होने से उन्हें आदिवासी समाज की नाराजगी का खामियाजा उठाना पड़ा, जो जिला पंचायत चुनाव में देखने को मिला. इन चुनाव में बीटीपी को हार का सामना करना पड़ा. 

इसके बाद बीटीपी ने आम आदमी पार्टी से हाथ मिलाया लेकिन अब यह गठबंधन टूटने के बाद लगता है कि बीटीपी एक बार फिर अपने पुराने साथी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है. 

बीटीपी के लिए इस बार बड़ी मुसीबत बीजेपी नहीं बल्कि आदमी पार्टी बनती नजर आ रही है क्योंकि आम आदमी पार्टी लगातार उसके नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर रही है. हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी की इस चाल की खबर छोटूभाई वसावा को पहले ही लग गई थी, जिसकी वजह से उन्होंने आम आदमी पार्टी से गठबंधन तोड़ दिया था.
 

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