गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावी मैदान में उतरने वाले सभी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से तैयारियों में जुटे हैं. हालांकि यह बात और है कि अभी तक गुजरात विधानसभा के चुनावों की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है. अहमदाबाद की ज्यादातर विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का दबदबा है. अगर बापूनगर विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर 2017 के चुनाव में कांग्रेस को सफलता मिली थी.
अहमदाबाद शहर की बापूनगर विधानसभा सीट पर साल 2012 में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जगरूपसिंह राजपूत को जीत मिली थी, लेकिन 2017 के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार जगरूप सिंह राजपूत को कांग्रेस के नेता हिम्मतसिंह पटेल ने हराया था. इस चुनाव में अहमदाबाद की यह सीट कांग्रेस की झोली में आई थी.
बापूनगर सीट पर पाटीदार मतदाताओं का दबदबा
बापूनगर विधानसभा सीट पर सौराष्ट्र के पाटीदार व पर-प्रांतीय मतदाताओं का दबदबा है. इसी की वजह से हिम्मतसिंह पटेल को जीत मिली थी, क्योंकि पर-प्रांतीय मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस की तरफ रहता है. साल 2017 में पाटीदार आंदोलन का आक्रोश था, इसका फायदा कांग्रेस को मिला और भाजपा को यह सीट गंवानी पड़ी. हालांकि पाटीदारों का आक्रोश थम चुका है. साल 2022 के चुनाव में फिर एक बार जीत हासिल करना हिम्मतसिंह पटेल के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा.
अशोक गहलोत के करीबी माने जाते हैं हिम्मतसिंह पटेल
हिम्मतसिंह पटेल मूल रूप से राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं. वे गुर्जर समुदाय से आते हैं, साथ ही में उन्हें अशोक गहलोत का करीबी माना जाता है. उसी के चलते उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिला था. हिम्मतसिंह पटेल अहमदाबाद के मेयर भी रह चुके हैं. हालांकि विधायक के तौर पर हिम्मतसिंह पटेल के काम से बापूनगर की जनता नाराज है. हिम्मतसिंह पटेल निष्क्रिय विधायक के तौर पर भी जाने जाते हैं. हिम्मतसिंह पटेल के रवैये की वजह से हाल ही में अहमदाबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन में पूर्व विपक्षी नेता दिनेश शर्मा समेत कई लोगों ने पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ.
हिम्मतसिंह को कांग्रेस फिर बना सकती प्रत्याशी
हाल ही में गुजरात के सीनियर आब्जर्वर के तौर पर अशोक गहलोत की नियुक्ति हुई है, जिसके चलते माना जा रहा है कि कार्यकर्ता और जनता के विरोध के बावजूद हिम्मतसिंह पटेल को कांग्रेस फिर बापूनगर से चुनावी मैदान में उतार सकती है, क्योंकि हाल ही में उनके खिलाफ शिकायतों के बाद भी उन्हें कांग्रेस ने प्रमोशन दिया है. गुजरात कांग्रेस में वर्किंग प्रेसिडेंट भी बनाया है. ऐसे में 2022 के चुनाव में कांग्रेस बापूनगर की सीट बचा पाने में कामयाब होगी कि नहीं, यह तो आने वाला समय ही तय करेगा.