गुजरात में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई. वहां इस साल के अंत तक चुनाव होने हैं. ऐसे में हम आपको उना विधानसभा क्षेत्र के बारे में बताएंगे, जहां 1962 से लेकर 2017 तक हुए चुनाव में खास करके सौराष्ट्र में कोई जाति या व्यक्ति नहीं बल्कि उम्मीदवार की कार्यशैली अहम रही है.
बीजेपी को सौराष्ट्र में हरेक सीट को जीतने के लिए हमेशा कड़ी मेहनत करनी पड़ी है फिर भी ज्यादातर सीटों पर सत्ताधारी पार्टी को हार का सामना ही करना पड़ा है.
जूनागढ़ से साल 2013 में अलग हुए गिर सोमनाथ जिला में उना ,कोडिनार, सोमनाथ और तलाला चार विधानसभा सीटें हैं और इन सभी सीटों पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा है.
उना सीट की भौगोलिक स्थिति
उना सीट के ज्यादातर गांव समुद्र के तट पर बसे हुए है. 153 गांवों से बनी इस सीट पर ज्यादातर गांव गिर के जंगल में स्थित हैं. ये मुख्य गांव हैं तुलशीश्याम, गिर गढ़डा, जसाधार, पातापुर और पसवाड़ा
उना सीट की समस्याएं
उना सीट क्षेत्रफल के लिहाज से बड़ी है लेकिन छोटे कस्बों और गांवों में बंटी हुई है. 25 से लेकर 2000 तक की आबादी के साथ बसे हुए छोटे-छोटे गांवों में प्राथमिक सुविधा भी अभी तक नहीं पहुंच पाई है.
बिजली, पानी, सड़क, स्कूल , प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैसी जरूरी सुविधा भी ज्यादातर गांवों में नहीं है. विधायक पूंजाभाई वंश 6 बार इस सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच चुके हैं लेकिन लोगों के हितों को लेकर कोई खास काम नहीं कर पाए हैं. देश की आजादी के 75 साल के बाद भी यह क्षेत्र विकास में पिछड़ा हुआ है.
उना विधायक का परिचय
उना के विधायक कांग्रेस के वरिष्ठ विधायकों में से एक है जिनका नाम पूंजाभाई भीमाभाई वंश है. उन्होंने बीते चुनाव में 4900 वोटों से जीत हासिल की थी.
जन्म स्थल: 1 जून 1963
जन्मस्थल : दुधाल गांव, उना
शिक्षा: स्नातक
व्यवसाय: खेती
संपत्ति: 2.46 करोड़
कर्ज: 27.88 लाख
केस: 1
उना में दलित की पिटाई को लेकर विवाद
उना में 11 जुलाई 2016 को 4 दलित युवाओं को सरेआम पीटा गया था जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था. इस मामले के बाद दलित समाज ने आंदोलन किया और चारों युवकों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ी जिसका मुख्य किरदार जिग्नेश मेवाणी थे. उना कांड के बाद वो दलित नेता के तौर पर उभरे.
दलित कांड के कारण ही बीजेपी के नेता और मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को इस्तीफा देना पड़ा था. 2017 के चुनाव में इसका गहरा असर देखने को मिला. बीजेपी के कालू राठवा को टिकट नहीं मिलने पर उनके समर्थकों ने बीजेपी से नाराजगी जाहिर की थी. बता दें कि उना में सबसे ज्यादा कोली समुदाय के लोग हैं.
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