गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही सभी पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशी भी घोषित करने शुरू कर दिए हैं. हाल में जारी की गईं उम्मीदवारों की लिस्ट से पता चला कि कई सीटों पर इस बार चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है. किसी सीट पर भाई-भाई आमने-सामने हैं तो कहीं डॉक्टर अपना दावा ठोक रही हैं, तो कईं एक ही परिवार से भाभी और ननद चुनाव मैदान में हैं. राज्य में 182 सीटों के लिए पहले चरण के लिए एक दिसंबर तो दूसरे चरण के लिए पांच दिसंबर को वोटिंग होगी.
रवींद्र जडेजा की पत्नी और बहन आमने-सामने
जामनगर में बीजेपी ने रवींद्र जडेजा की पत्नी रीवाबा जडेजा को उम्मीदवार घोषित किया है. वह करीब तीन साल पहले बीजेपी में शामिल हुई थीं. वह बेहद योग्य और पार्टी की महिला चेहरा हैं. इस सीट से मौजूदा एमएलए की दोबारा टिकट नहीं दिया गया है. वहीं कांग्रेस ने रवींद्र जडेजा की बहन नैनाबा अपना उम्मीदवार बनाया है. बताया जा रहा है कि कई लोग यह चाह रहे थे कि नैनाबा को ही टिकट दिया जाए.
नैनाबा का कहना है, "मुझे लगता है कि अगर बीजेपी सीट पर नया चेहरा लाती है तो सीट कांग्रेस के पास जाएगी क्योंकि एक नए चेहरे में अनुभव और राजनीतिक कैडर की समझ की कमी है. अगर बीजेपी नया चेहरा लाती है तो कांग्रेस निश्चित रूप से अपनी जीत दर्ज कराएगी.
वहीं इस बीच टिकट मिलने के बाद रीवाबा जडेजा ने कहा, "मुझे चुनाव जीतने का पूरा भरोसा है. अब अप्रत्यक्ष रूप से रवींद्र जडेजा भी बीजेपी के सदस्य हैं और वह मेरे लिए प्रचार जरूर करेंगे." कांग्रेस प्रत्याशी जब शुक्रवार को पर्चा भरने गए तो नैनाबा प्रचार के लिए प्रत्याशी के साथ नजर आईं.
अंकलेश्वर में भाइयों का होगा टकराव
जातिवाद की राजनीति ज्यादातर गुजरात में होती है और यहां सत्ता के लिए लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं. इस बाद हम अंकलेश्वर में दो भाइयों को आपस में लड़ते हुए देखेंगे. एक कोई बीजेपी तो दूसरे को कांग्रेस ने टिकट दिया है. अंकलेश्वर सीट से बीजेपी ने मौजूदा विधायक ईश्वरसिंह पटेल को टिकट दिया है. ईश्वरसिंह पटेल इस सीट पर पिछले चार बार से विधायक हैं.
वहीं कांग्रेस ने ईश्वरसिंह पटेल के खिलाफ उनके भाई विजयसिंह पटेल को मैदान में उतारा है. विजयसिंह पटेल ने अपने भाई की हर समय मदद की है, उनके साथ रहे हैं. हालांकि एक साल पहले दोनों भाइयों के बीच झगड़ा हो गया था. अब दोनों के बीच कुछ भी ठीक नहीं है. छह महीने पहले विजयसिंह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे.
अब दोनों भाई एक ही सीट के लिए आपस में लड़ रहे हैं. AAP ने भी इस सीट से पाटीदार को प्रत्याशी घोषित किया है. इस सीट पर कोली पटेल का दबदबा है, इसलिए सभी पार्टियों ने पाटीदार चेहरे को मैदान में उतारा है.
29 साल की प्रत्याशी, पेशे से डॉक्टर
बीजेपी ने इस विधानसभा चुनाव के लिए कई नए और युवा चेहरों को मौका दिया है. नरोदा सीट के लिए बीजेपी ने सबसे कम उम्र की और बेहद काबिल महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. इस सीट ने पूर्व में विधायक के रूप में डॉक्टरों को भी देखा है.
नरोदा सीट के लिए बीजेपी ने एमडी डॉक्टर पायल कुकरानी को मैदान में उतारा है. वह सिर्फ 29 साल की हैं. पायल ने 2008 में G.S.E.B से सेंट जेवियर्स स्कूल, हंसोल से S.S.C पूरा किया. इसके बाद 2010 में Infocity Junior Science College से साइंस स्ट्रीम में H.S.C पूरा किया. इसके बाद 2010 में रूस की स्मोलेंस्क स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमडी किया. 2016 में वह भारत लौट आई और इसके बाद 2017-18 में अहमदाबाद सिविल अस्पताल में एक साल की इंटर्नशिप पूरी की.
इसके बाद उन्होंने एक साल यूएन मेहता कार्डियक अस्पताल में काम किया. उन्होंने पहले और दूसरे कोविड वेव के दौरान सिविल अस्पताल-अहमदाबाद में सेवाएं दीं. अभी अहमदाबाद के स्टर्लिंग अस्पताल में कार्यरत हैं. पायल ने कहती है, 'मैं बेहद खुश हूं कि पार्टी ने मुझ पर भरोसा दिखाया और मुझे टिकट दिया. मेरे पिता ने पार्टी को अपने 40 साल दिए हैं. मेरी मां पार्षद हैं.
पायल का कहना है कि शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अपनी मां के चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया है. उन्होंने डोर टू डोर कैंपेन में किया है. उन्हें चुनाव जीतने का पूरा भरोसा है. उनका विश्वास है क वह भारी मतों के अंतर से जीतेंगे. उन्होंने वादा किया कि वह केवल और केवल प्रगति और विकास की दिशा में काम करेंगी.
वराछा सीट पर सभी प्रत्याशी पाटीदार
सूरत की वराछा सीट पाटीदार बहुल सीट है. यहां तीनों पार्टियों बीजेपी, कांग्रेस और आप ने पाटीदार उम्मीदवार खड़ा किया है. बीजेपी के लिए कुमार कनानी को दोबारा टिकट मिला है. वहीं कांग्रेस के लिए प्रफुल्ल तोगड़िया को टिकट दिया गया है.AAP के अल्पेश कथीरिया को टिकट दिया गया है, जो पाटीदार आंदोलन का चेहरा थे और पास (पाटीदार अनामत आंदोलन समिति) के संयोजक थे.
किशोर कनानी सूरत का एक विवादास्पद नाम हैं. वह गुजरात सरकार में पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं. वह भाजपा का पाटीदार चेहरा हैं. 2017 में सूरत पाटीदार आंदोलन का केंद्र था और उस समय पाटीदारों में बीजेपी के खिलाफ रोष था तब कुमार कनानी ने चुनाव जीता, इसलिए पार्टी ने विश्वास दिखाया और उन्हें फिर से टिकट दिया.
कुमार कनानी के खिलाफ आम आदमी पार्टी ने अल्पेश कथीरिया को मैदान में उतारा है. अल्पेश कथीरिया पाटीदार आंदोलन का चेहरा थे. उन्होंने भाजपा के खिलाफ प्रचार में बहुत सक्रिय भूमिका निभाई है. कांग्रेस के ने प्रफुल्ल तोगड़िया को प्रत्याशी बनाया है. यहां बीजेपी, कांग्रेस और आप के बीच बेहद दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा.
एलिसब्रिज से लड़ेंगे अमित शाह
एलिसब्रिज सीट से बीजेपी ने अमित शाह को अपना उम्मीदवार बनाया गया है. हालांकि यह वह अमित शाह नहीं हैं, जो आप सोच रहे हैं. इस अमित शाह ने अहमदाबाद शहर में बीजेपी में सक्रिय भूमिका निभाई है. पार्टी ने उन पर भरोसा दिखाया है और इसीलिए उन्हें टिकट दिया है. एलिसब्रिज बीजेपी का गढ़ है. यह पिछले 40 वर्षों से कांग्रेस ने यह सीट नहीं जीती है.
1980 के बाद से कांग्रेस ने एलिसब्रिज निर्वाचन क्षेत्र नहीं जीता है. इस बार तीन बार के विधायक राकेश शाह को टिकट नहीं दिया गया है. पार्टी ने उनकी जगह पर अमित शाह को प्रत्याशी बनाया है. यहां पिछला चुनाव बीजेपी ने 1.56 लाख से अधिक मतों से जीता था.