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गुजरात में 35 विधानसभा सीटों पर नंबर दो पर रही AAP, ओवैसी ने भी खूब बिगाड़ा कांग्रेस का गेम

भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात चुनाव में 156 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बना दिया तो कांग्रेस को सिर्फ 17 सीटों से संतोष करना पड़ा. 2017 के गुजरात चुनाव में कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं. मतलब इस बार उसे 60 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. इसके पीछे एक बड़ा कारण आम आमदी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM जैसी पार्टियों द्वारा कांग्रेस के वोट में सेंधमारी भी है.

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अरविंद केजरीवाल (फोटो पीटीआई)
अरविंद केजरीवाल (फोटो पीटीआई)

गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की बंपर जीत हुई है. इस चुनाव में 156 सीटों पर जीत हासिल कर बीजेपी ने गुजरात में अब तक किसी भी पार्टी द्वारा जीते गए कुल सीटों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. चुनाव से पहले AAP की ओर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा दावा किया था कि उनकी पार्टी गुजरात में जीत हासिल करेगी. उन्होंने कहा था कि हम गुजरात में सरकार बनाएंगे.

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हालांकि गुजरात में आम आदमी पार्टी को सिर्फ 5 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. लेकिन AAP ने गुजरात में कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. उनकी पार्टी को करीब 13 फीसदी वोट मिले हैं और 35 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही है. जबकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को 0.29 फीसदी वोट मिला. इन दोनों पार्टियों ने गुजरात में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया और कांग्रेस अब तक के सबसे खराब परफार्मेंस के साथ सिर्फ 17 सीटों तक सिमट गई. जानते हैं गुजारात में कांग्रेस का गेम कैसे बिगड़ा.  

सिर्फ 17 सीटों पर कांग्रेस को मिली जीत

कांग्रेस को गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार सिर्फ 17 सीटों पर जीत मिली. पिछली बार यानि 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं. मतलब इस बार उसे 60 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. इतने बड़े नुकसान का एक बड़ा कारण आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM जैसी पार्टियों द्वारा कांग्रेस के वोट में सेंधमारी है. चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने गुजरात में कांग्रेस की हार के लिए तीन पार्टियों को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि गुजरात के परिणाम बेहद निराशाजनक हैं और कांग्रेस के खिलाफ हैं.

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उन्होंने कहा कि बीजेपी, आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM कांग्रेस की हार के जिम्मेदार हैं और इन पार्टियों के बीच गठबंधन था. जयराम रमेश ने कहा कि ध्रुवीकरण का एक खतरनाक अभियान चलाया गया. हमारा वोट शेयर हमें गुजरात में पुनर्निमाण और वापसी का विश्वास दिलाता है. बता दें कि इस बार कांग्रेस को गुजरात में 27.28 फीसदी वोट मिला है. जबकि भारतीय जनता पार्टी को 52.50 फीसदी वोट मिला है. वोट प्रतिशत के हिसाब से कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही.

गुजरात चुनाव में सभी पार्टियों को मिला वोट शेयर

 
गुजरात चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंकी थी. अरविंद केजरीवाल ने ऐसा माहौल बनाया था कि वो बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. उन्होंने एक कागज की पर्ची पर लिखकर अपने तीन नेताओं की जीत का दावा किया था. जिसमें AAP के सीएम पद का चेहरा इसुदान गढ़वी, प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया और अल्पेश कथीरिया के नाम थे. चुनाव परिणाम आने पर तीनों को हार का सामना करना पड़ा. हालांकि पंजाब विधानसभा चुनाव में भी केजरीवाल ने दावा किया था कि उनकी सरकार बन रही है, तब उनका दावा सटीक बैठा था. 

2017 के मुकाबले आम आदमी पार्टी की जोरदार एंट्री

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने 156 सीटों के साथ गुजरात में भले ही प्रचंड जीत दर्ज की हो लेकिन प्रदेश में आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन ने सबको चौंका दिया. जबकि कांग्रेस को अच्छा खासा नुकसान पहुंचाया. हालांकि पार्टी को सिर्फ 5 सीटें मिलीं लेकिन पिछले चुनाव से तुलना करें तो साफ पता चल जाएगा कि राज्य में इस बार उसकी उपस्थिति मजबूत रही है. आम आदमी पार्टी ने 2017 में 29 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे लेकिन तब सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी. पार्टी को सिर्फ 0.10 फीसदी वोट मिला था. इस बार उसने गुजरात चुनाव में सभी 182 सीटों पर चुनाव लड़ा. इनमें पांच सीटों पर जीत मिली और वोट प्रतिशत बढ़कर करीब 13 फीसदी तक पहुंच गया.

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AIMIM ने भी कांग्रेस का बिगाड़ा खेल

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने गुजरात चुनाव में 13 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. ओवैसी की पार्टी ने मुस्लिम आबादी वाली सीटों के अलावा हिंदू बाहुल्य सीटों पर भी प्रत्याशी उतारे थे. उन्होंने जोरदार तरीके से प्रचार भी किया था. उन्होंने खुद को मुस्लिम हितैषी बताते हुए वोट मांगे थे. लेकिन AIMIM का गुजरात में खाता भी नहीं खुला.

ओवैसी की पार्टी को 0.29 फीसदी वोट मिला, जबकि नोटा को 1.58 फीसदी वोट मिला. यानि ओवैसी की पार्टी का नोटा से भी खराब प्रदर्शन रहा. लेकिन खास बात ये रही कि ओवैसी की पार्टी और आम आदमी पार्टी ने मिलकर कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया और उसे गुजरात में अब तक की सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा.

 

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