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गुजरात में कल पहले चरण की वोटिंग, जानें AAP की ताकत-कमजोरी-अवसर और चुनौतियां

गुजरात चुनाव में नई हवा के झोंके की तरह आम आदमी पार्टी ने भी दस्तक दी है. कई सालों बाद राज्य में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. अब आम आदमी पार्टी क्या सही मायनों में गुजरात में कुछ कमाल करने वाली है? क्या उसके आने से बीजेपी और कांग्रेस को बड़ा सियासी झटका लगेगा? SWOT ANALYSIS के जरिए जवाब पता करने की कोशिश करते हैं.

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आम आदमी पार्टी का SWOT ANALYSIS
आम आदमी पार्टी का SWOT ANALYSIS

गुजरात चुनाव में इस बार सबसे ज्यादा रोमांच आम आदमी पार्टी की दस्तक की वजह से पैदा हुआ है. जिस राज्य में हमेशा से ही बीजेपी बनाम कांग्रेस का मुकाबला रहा है, आम आदमी पार्टी ने जमीन पर ऐसा प्रचार किया कि उसे भी एक नए विकल्प के तौर पर देखा जाने लगा. अब आप के चुनावी मैदान में आने से किसे नुकसान होता है, किसे फायदा होता है और दिल्ली मॉडल के दम पर अरविंद केजरीवाल क्या कुछ कमाल कर पाते हैं या नहीं, हर सवाल का जवाब आम आदमी पार्टी के SWOT ANALYSIS में छिपा है.

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आम आदमी पार्टी का SWOT ANALYSIS

Strength: गुजरात चुनाव को त्रिकोणीय बनाने वाली आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी ताकत उसका दिल्ली मॉडल है जिसके दम पर उसने दिल्ली के बाद पंजाब में भी प्रचंड जनादेश के साथ सरकार बनाई. पार्टी की तरफ से स्कूली शिक्षा, अच्छे अस्पताल, फ्री बिजली जैसे मुद्दों को सबसे ज्यादा तवज्जो दी जा रही है. ये वो मुद्दे हैं जो मध्यमवर्गीय समाज को सबसे ज्यादा लुभाते हैं. इसके अलावा राज्य के साइलेंट वोटर्स महिलाओं को 1000 रुपये प्रति महीना देने जैसे ऐलान भी पार्टी के पक्ष में माहौल बना रहे हैं. अब दिल्ली मॉडल अगर गुजरात में आप की सबसे बड़ी ताकत है तो वहीं अरविंद केजरीवाल का चेहरा उनका सबसे बड़ा सियासी हथियार.

अगर बीजेपी के लिए नरेंद्र मोदी का चेहरा सबकुछ है तो आम आदमी पार्टी में भी अरविंद केजरीवाल का वहीं कद है. इस पार्टी में भी प्रत्याशी से ज्यादा अरविंद केजरीवाल मायने रखते हैं. ऐसे में पार्टी उन्हीं के दम पर बीजेपी को चुनौती देने का काम कर रही है. पार्टी की ताकत ये भी है कि वो गुजरात की राजनीति के लिए वो एकदम नई है. वो एक ऐसे विकल्प के तौर पर सामने आई है जो 'अलग तरह की राजनीति' करती है. पार्टी का दावा है कि उसे गुजरात के युवाओं का अपार समर्थन हासिल हो रहा है.

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Weakness: गुजरात में आम आदमी पार्टी के आने से मुकाबला त्रिकोणीय जरूर बन गया है, लेकिन जमीन पर एक मजबूत संगठन का ना होना उसकी सबसे बड़ी कमजोरी के रूप में सामने आ रहा है. गुजरात एक बड़ा राज्य है जहां पर कई इलाके तो ग्रामीण क्षेत्रों में आते हैं. उन दूर-दराज इलाकों तक अपनी उपस्थिति दर्ज करवाना सभी पार्टियों के लिए चुनौती रहती है. आप तो पहली बार यहां पर चुनाव लड़ रही है, ऐसे में उसके लिए खुद का विस्तार करना ही मुश्किल साबित हो सकता है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि आम आदमी पार्टी की शहरों में पकड़ है, लेकिन ग्रामीण इलाकों तक पहुंचने के लिए मजबूत कैडर की जरूरत है. इसके अलावा आम आदमी पार्टी के पास गुजरात में अभी खुद का कोई वोटबैंक नहीं है. जैसे बीजेपी का पाटीदार वोट माना जाता है और कांग्रेस का आदिवासी, AAP के लिए अभी वो स्थिति राज्य में नहीं बनी है.

Opportunity: गुजरात में आम आदमी पार्टी के पास सबसे बड़ा अवसर तो गुजरात मॉडल के सामने दिल्ली मॉडल की धमक दिखाना है. आप का इस चुनाव में सबसे बड़ा एजेंडा ही दिल्ली मॉडल है जिसके दम पर वो राज्य में नई किस्म की राजनीति शुरू करने की बात कर रही है. ऐसे में अगर वो गुजरात में अच्छा प्रदर्शन करती है, उस स्थिति में गुजरात मॉडल की ही तरह देश में दिल्ली मॉडल भी लोकप्रिय बन जाएगा और उसे विकास का नया पैमाना माना जाने लगेगा. राजनीति की दृष्टि से भी गुजरात में आप के पास कुछ भी खोने को नहीं है. पहली बार राज्य में उतरे हैं, ऐसे में कुछ ना कुछ हासिल ही करेंगे. अगर पार्टी मुख्य विपक्षी पार्टी भी बन जाती है, यानी कि कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन करती है, वो एक बड़ा सियासी संदेश माना जाएगा.

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Threat: गुजरात में आम आदमी पार्टी के लिए खतरा वो मोदी फैक्टर है जिसने पिछले दो दशक से किसी दूसरी पार्टी को सत्ता में आने का मौका नहीं दिया. राज्य में वैसे भी पार्टी से बड़ी चेहरों की लड़ाई चल रही है, ऐसे में अगर मोदी बनाम केजरीवाल वाली लड़ाई में बीजेपी बाजी मार लेती है, आम आदमी पार्टी के नेरेटिव को बड़ी चोट लगेगी. वहीं आम आदमी पार्टी के दिल्ली मॉडल पर भी ये एक जनादेश माना जा सकता है, अगर प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा तो उस मॉडल की स्वीकृति पर सवाल उठेंगे.

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