गुजरात चुनाव की तैयारी में जुटे आप संयोजक अरविंद केजरीवाल कई विवादों में भी फंसते जा रहे हैं. अब 30 रिटायर्ड IPS अधिकारियों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में साफ लिखा गया है कि गुजरात चुनाव में प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल ने पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया है. पुलिस की छवि को गलत तरीके से पेश किया गया है.
क्या है पूरा विवाद?
पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने हाल की अहमदाबाद की घटना का जिक्र किया है. पत्र में लिखा कि केजरीवाल ने ऑटो रिक्शा में बैठने को लेकर पुलिसकर्मी से बदसलूकी की और काला धब्बा बताया. जबकि पुलिसवाले केवल सुरक्षा देने का अपना काम कर रहे थे. अब जानकारी के लिए बता दें कि कुछ दिन पहले अरविंद केजरीवाल गुजरात में एक ऑटो चालक के घर खाने पर गए थे. वे उसके ऑटो में बैठकर ही जाना चाहते थे. सुरक्षा कारणों से पुलिस इसकी मंजूरी नहीं दे रही थी और इसी वजह से आप संयोजक की नोक-झोंक हो गई.
अब चिट्ठी में रिटायर्ड आईपीएस अधिकारियों ने इस बात पर गुस्सा जाहिर किया है कि केजरीवाल ने पहले भी ऐसे ही पुलिस का अपमान किया है. राजनीति के लिए तमाशा किया गया है. पत्र में लिखा है कि 2017 चुनाव के समय पंजाब में भी केजरीवाल ने ऐसा ही किया था. तब वे चाहते थे कि उनकी सुरक्षा हटा ली जाए लेकिन पंजाब के एडीजीपी ने सख्त पत्र लिख कर स्पष्ट कर दिया था कि मुख्यमंत्री को सुरक्षा देना पुलिस की जिम्मेदारी है. यह जनता की भावनाओं को अपने साथ करने के लिए की जा रही नौटंकी है जो पहले पंजाब और अब गुजरात में की गई.
पुलिस को बदनाम करने का आरोप
पत्र में केजरीवाल के व्यवहार पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि अहमदाबाद में केजरीवाल की टिप्पणी हैरान करने वाली है क्योंकि कई मौकों पर वे सुरक्षा बढ़ाने के लिए कह चुके हैं. प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर केजरीवाल खुद को इस तरह के खतरे में डाल रहे हैं जो उनकी सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है. केजरीवाल की भाषा के कारण पुलिस बल की साख को चोट पहुंची है. इस तरह की भाषा भारत की राजधानी के मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देती.
अब पत्र में दावा तो ये भी कर दिया गया है कि अरविंद केजरीवाल खुद को राजनीतिक शहीद दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. रिटायर्ड अधिकारी लिखते हैं कि अपनी भाषा और हरकतों से केजरीवाल खुद को राजनीतिक रूप से शहीद दिखाना चाहते हैं लेकिन उन्होंने ऐसा करके गुजरात और पूरे देश में पुलिस बल की गलत तस्वीर पेश की है. राष्ट्रपति से आग्रह है कि वे केजरीवाल को नसीहत दें कि वे आगे ऐसा न करें.
इस चिट्ठी पर आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया भी आई है. उन्होंने कहा है कि इस चिट्ठी के पीछे बीजेपी का हाथ है. गुजरात चुनाव में वे बुरी तरह पिछड़ चुके हैं, इसलिए ऐसे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं.
पहले भी हो चुकी तकरार
वैसे इससे पहले भी नौकरशाहों ने चुनाव आयोग को एक चिट्ठी लिखी थी. तब मांग की गई थी कि आम आदमी पार्टी की सदस्यता खत्म कर दी जाए. तर्क दिया गया था कि गुजरात चुनाव में प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी द्वारा लगातार सरकारी कर्मचारी और दूसरे नौकरशाहों का इस्तेमाल किया जा रहा है. उनके जरिए पार्टी का प्रचार करवाया जा रहा है.