गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी ने अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. बीजेपी ने राज्य की 182 सीटों में से 160 पर कैंडिडेट के नामों की पहली लिस्ट जारी की, जबकि कांग्रेस ने अभी तक 89 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की. बीजेपी ने पांच मंत्री सहित 38 मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए हैं, लेकिन कैंडिडेट के चयन में जातीय और सियासी समीकरण को साधने का पूरा ख्याल रखा है. बीजेपी गुजरात की जंग फतह करने के लिए पाटीदार-ओबीसी-ब्राह्मण-क्षत्रीय पर सियासी दांव खेला है.
गुजरात में बीजेपी अपने उम्मीदवारों के चयन में जातिगत समीकरण को पूरी तरह से साधे रखने की कोशिश की है. बीजेपी ने टिकट वितरण में सबसे ज्यादा तवज्जो पाटीदार और ओबीसी समुदाय को दी है. बीजेपी 160 टिकटों में से 40 पाटीदार, 49 ओबीसी, 24 एसटी, 13 एससी, 13 ब्राह्मण, 3 जैन, 17 क्षत्रीय समुदाय के लोगों को टिकट दिया है. इन 40 पाटीदार उम्मीदवारों में से 23 लेउआ और 17 कड़वा पटेल हैं. 49 ओबीसी उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा कोली समाज के 17 और ठाकोर समाज से 14 उम्मीदवार हैं.
वहीं, बीजेपी ने अन्य छोटे समुदायों में वैष्णव और जैन समुदायों के लोगों को भी चुनावी मैदान में उतारा है. वैष्णव समुदाय को एक टिकट दिया है तो जैन समुदाय के तीन प्रत्याशी उतारे हैं. बीजेपी ने पाटीदार समुदाय के साथ-साथ ओबीसी समाज के प्रजापति, कोली. ठाकोर, क्षत्रिय, माली, चौधरी, राणा, खारवा, वाघेर जैसी अन्य छोटी जातियों को भी तव्वजो दी है. इस तरह से बीजेपी ने गुजरात में सभी जातियों को साधने का दांव चला है.
युवा और महिलाओं पर फोकस
बीजेपी के टिकट पर पिछली बार चुनाव लड़ने वाले 85 उम्मीदवारों को इस बार गुजरात के चुनावी मैदान में मौका नहीं मिल सका है. बीजेपी ने उनकी जगह पर नए चेहरों को उतारा है और खासकर युवा चेहरे पर दांव लगा है. इस तरह से बीजेपी ने गुजारत में युवा और महिलाओं पर खास फोकस रखा है. बीजेपी के उम्मीदवारों की लिस्ट देखें तो पार्टी ने 14 महिलाओं को टिकट दिया है और 35 उम्मीदवारों की उम्र 50 साल से कम है. इस तरह से बीजेपी ने युवा और महिला वोटर्स को सियासी संदेश देने की कोशिश की है. बीजेपी ने अहमदाबाद में तीन, राजकोट में 2, सूरत-वडोदरा में 1-1 सीट पर महिला प्रत्याशियों को उतारा है. बीजेपी ने महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की कवायद की है.
दलबदलुओं को मिली अहमियत
बीजेपी ने दूसरे दलों से आए नेताओं का टिकट वितरण में खास ख्याल रखा है, जिनको चुनाव लड़ाने के लिए पार्टी के पुराने अपने नेताओं को भी नजर अंदाज कर दिया है. कांग्रेस और दूसरी पार्टियों से आए 20 नेताओं को बीजेपी ने गुजरात चुनाव में टिकट दिए हैं. कांग्रेस से बीजेपी में आने वाले नेताओं में प्रद्युमन सिंह जडेजा को अबडासा, कुवरजी बावड़ियां को जसदन, जवाहर चावडा को मानावदर, हर्षद रिबडीया को विसावदर, भगा बारड को तालाला, अश्विन कोटवाल को खेडब्रह्मा, जीतू चौधरी को कपराडा सीट से प्रत्याशी बनाया है. ये सभी 2017 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे, लेकिन इस बार बीजेपी से किस्मत आजमा रहे हैं.
बीजेपी ने साधा क्षेत्रीय समीकरण
बीजेपी ने जातीय समीकरण के जरिए गुजरात के क्षेत्रीय इलाकों में जीत का परचम फहराने की कोशिश की है. नार्थ गुजरात में ओबीसी जातीय के समीकरण को देखते हुए टिकट बांटे हैं, क्योंकि पाटीदार आंदोलन के चलते इस इलाके में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था. बीजेपी ने इस बार ओबीसी का खास ख्याल रखा है तो चौधरी समुदाय के वोटों को साधे रखने के लिए टिकट दिए हैं. ऐसे ही सौराष्ट्र में बीजेपी ने नए चेहरों पर दांव खेला है, क्योंकि पिछले चुनाव में कांग्रेस का इस इलाके में पल्ला भारी रहा था. यही वजह है कि बीजेपी ने सौराष्ट्र में कांग्रेस से आए हुए नेताओं को प्रत्याशी बनाया है. साउथ गुजरात में बीजेपी ने पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया है. बीजेपी ने सूरत में 11 में से 10 पुराने चेहरों को टिकट दिया है, वलसाड में सभी पांचों पुराने विधायकों पर भरोसा जताया है.
आदिवासी पर बीजेपी की नजर
गुजरात में आदिवासी समुदाय कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता है, लेकिन इस बार बीजेपी की खास नजर है. बीजेपी आदिवासी वोटों को साधने के लिए 2017 से कोशिश कर रही है. पाटीदार के बाद गुजरात में दूसरी सबसे बड़ी आबादी आदिवासी समुदाय की है. बीजेपी ने 24 आदिवासी कैंडिडेट उतारे हैं जबकि 13 दलित प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी इस तरह से आदिवासी और दलित वोटों को अपने पक्ष में करने की कवायद की है, लेकिन कांग्रेस का भी पूरा फोकस इन्हीं समुदाय पर है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी क्या कांग्रेस के इस कोर वोटबैंक में सेंधमारी कर पाएगी?