Gujarat Assembly Election: गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 की सियासी तपिश जैसे-जैसे बढ़ रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक हलचल भी तेज होती जा रही है. बीजेपी गुजरात में अपनी जीत के सिलसिले को बरकरार रखने की कवायद में है तो कांग्रेस ढाई दशक से झेल रही सत्ता के वनवास को खत्म करने लिए मशक्कत कर रही हैं. वहीं, इस बार चुनावी किस्मत आजमाने उतरी आम आदमी पार्टी पूरी ताकत के साथ जुटी है.
चुनावी सरगर्मी के बीच जुलाई के महीने के सियासी हलचल को देखें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह तक का दूसरी बार गुजरात दौरे पर पहुंचे, जबकि कांग्रेस के किसी बड़े नेता की इस महीने दस्तक नहीं हुईं. वहीं, आम आदमी पार्टी की ओर से दिल्ली के अरविंद केजरीवाल ने सोमनाथ मंदिर में माथा टेकर राजनीतिक संदेश देने के साथ-साथ 300 युनिट फ्री मुफ्त बिजली देने का वादा किया.
पीएम मोदी का गुजरात दौरा
प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन गुजरात दौरे पर है. मोदी ने गुरुवार को गुजरात के साबरकांठा के गंधोड़ा चौकी स्थित साबर डेयरी की 1,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की आधारशिला रखी. वहीं, शुक्रवार को पीएम मोदी गांधीनगर के गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी में अंतरराष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज का आगाज करेंगे. इसके साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण के मुख्यालय भवन की आधारशिला भी रखेंगे. इस कार्यक्रम में अमित शाह और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भी शामिल होंगे.
पीएम मोदी का जुलाई महीने में यह दूसरा गुजरात दौरा है, इससे पहले चार जुलाई को भी गांधीनगर पहुंचे थे. गांधीनगर में 'डिजिटल इंडिया वीक 2022' का उद्घाटन किया था. इस तरह से पिछले पांच महीने में सात बार पीएम मोदी गुजरात दौरा कर चुके हैं. मोदी अपने दौरे से सियासी माहौल बनाने की कवायद कर रहे हैं. खासकर गुजरात के आदिवासी और ग्रामीण इलाकों पर पीएम मोदी फोकस कर रहे हैं.
आदिवासी वोटों पर मोदी का फोकस
मोदी ने गरुवार को साबरकांठा में साबर डेयरी परियोजनाओं की सौगात देते हुए कहा कि पहली बार जनजातीय समाज से आने वाली देश की बेटी भारत के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर पहुंची हैं. देश ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया है. ये 130 करोड़ से अधिक भारतवासियों के लिए बहुत गौरव का क्षण है. हमारी सरकार ने 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा जी के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया है. हमारी सरकार देशभर में आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद में विशेष संग्रहालय भी बनवा रही है.
मोदी का पांच महीने में सातवां दौरा
बता दें कि गुजरात पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का गृह राज्य है. इसी के चलते गुजरात में जीत या हार को दोनों नेताओं से जोड़कर देखा जाएगा. ऐसे में मोदी किसी तरह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहते हैं. मार्च से लेकर अभी तक सात बार पीएम मोदी गुजरात का दौरा किया है और वो जितने बार भी गुजरात गए हैं, उन्होंने कोई न कोई सौगात जरूर देकर आए हैं.
यूपी चुनाव नतीजे आने के दूसरे दिन ही 11 मार्च को अहमदाबाद में पहुंचे थे. इसके बाद 18 अप्रैल को तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे थे. मोदी ने 28 मई को भी विभिन्न विकास परियोजना को हरी झंडी तो 10 जुन को आदिवासी सभा को संबोधित किया. इससे साफ जाहिर है कि बीजेपी का इस बार पूरा फोकस आदिवासी समुदाय के वोटबैंक पर है, जो कांग्रेस का कोर वोटर माने जाते हैं. गुजरात में पटेल के बाद आदिवासी समुदाय दूसरा सबसे बड़ा वोटबैंक है. ऐसे में बीजेपी आदिवासी को साधने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ रही.
केजरीवाल ने सोमनाथ मंदिर में माथा टेका
पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद से आम आदमी पार्टी का पूरा फोकस गुजरात पर है. AAP के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवा हर महीने गुजरात का दौरा कर रहे हैं. इस महीने केजरीवाल 21 जुलाई को गुजरात के सोमनाथ मंदिर जाकर दर्शन किया और राज्य में सरकार बनने पर 300 यूनिट बिजली फ्री देने की गारंटी दी और कहा कि साथ ही गुजरात में कोई पावर कट नहीं होगा. प्रदेश में आम आदमी पार्टी की यह पहली गारंटी है. केजरीवाल ने कहा कि हमें काम करना आता है, हमने दिल्ली में करके दिखाया है और काम करना हमारी नियत में है.
गुजरात में नहीं दिख रहे कांग्रेस के बड़े नेता
कांग्रेस में 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह जोश नहीं दिख रहा है. राहुल गांधी जून के महीने में गुजरात दौरे पर सत्याग्रह कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक करने के साथ-साथ आदिवासी समुदाय को भी संबोधित किया था. इसके बाद अभी तक उनका दौरा नहीं लगा. जुलाई महीने में कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता गुजरात दौरे पर नहीं पहुंचा. हालांकि, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का 20 जुलाई को गुजरात दौरा प्रस्तावित था, जहां वो विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बैठक करने वाले थे.
सोनिया गांधी 21 जुलाई को ईडी से पूछताछ के लिए पेश होना था, जिसके गहलोत ने अपना गुजरात दौरा रद्द कर दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे. दिल्ली में उन्हें ईडी के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शनों की रणनीति तैयार करनी थी. ऐसे में गहलोत भी गुजरात चुनाव को लेकर बैठक में नहीं पहुंच सके. कांग्रेस ने गुजरात को पूरी तरह से पार्टी के प्रभारी रघु शर्मा के भरोसे छोड़ रखा है.
कांग्रेस-बीजेपी के लिए कितना अहम
बता दें कि बीजेपी 1995 से लगातार गुजरात की सत्ता में बनी हुई है जबकि कांग्रेस सियासी वनवास झेल रही है. केशुभाई पटेल के इस्तीफे के बाद अक्टूबर 2001 में मोदी पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने. मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने तक वह 12 साल से ज्यादा समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इसी के बाद से कहा जाने लगा कि अब यहां से बीजेपी को हिला नहीं पाएगा, लेकिन अब यह भी कहा जा रहा कि मोदी के दिल्ली जाने के बाद बीजेपी राज्य में कमजोर हुई है. इसके संकेत 2017 के चुनाव से पहले ही मिले थे.
कांग्रेस की कमान राहुल गांधी ने संभाल रखी थी और गहलोत चुनावी रणनीतिकार थे. राहुल लगातार गुजरात दौरे करके माहौल ऐसा बनाया कि बीजेपी 100 का आंकड़ा पार नहीं कर सकी. कांग्रेस का प्रदर्शन भी ठीक ठाक रहा, लेकिन इस बार कांग्रेस का वह जोश नहीं दिख रहा है. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस क्या चुनावी तपिश के साथ गर्म हो पाएगी या फिर ऐसे ही चुनावी जंग लड़ती नजर आएगी?