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Naranpura Assembly Seat: नारणपुरा से कभी नहीं हारी बीजेपी, अमित शाह भी यहां से लड़ चुके हैं चुनाव

कौशिक पटेल खुद पाटीदार समाज से आते हैं और 2017 के चुनाव में पाटीदार आंदोलन के आक्रोश के बाद भी 66,215 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी. इस जीत का मार्जिन अमित शाह की जीत से भी ज्यादा था.

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अमित शाह भी इस सीट से दर्ज कर चुके हैं जीत
अमित शाह भी इस सीट से दर्ज कर चुके हैं जीत
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी के लिए बेहद सुरक्षित सीट है नारणपुरा
  • मौजूदा विधायक कौशिक पटेल हैं अमित शाह के करीबी

गुजरात में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसके लिए बीजेपी ने कमर कस ली है. बीजेपी के लिए नारणपुर बेहद सुरक्षित सीट मानी जाती है. साल 2008 में हुए नए सीमांकन के बाद  2012 में अहमदाबाद की नारणपुरा विधानसभा सीट अस्तित्व में आई और इस सीट पर पहली बार हुए चुनाव में देश के मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह ने बड़ी जीत दर्ज की थी.

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इस सीट पर अमित शाह ने अपने प्रतिद्वंदी को 63,335 मतों के भारी अंतर से शिकस्त दी थी. यह इलाका पूरी तरह बीजेपी समर्थित माना जाता है. इस सीट को लेकर ऐसा माना जाता है कि यहां से जो भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ेगा, उसकी जीत निश्चित है.

इस विधानसभा सीट का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है. 2010 में जब अमित शाह की मुश्किलें बढ़ी और उन्हें 2 साल के लिए गुजरात से बाहर भेज दिया गया था तो 2012 में उन्होंने चुनाव से ठीक पहले वापसी की और नारणपुरा विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमाई. इससे पहले वो सरखेज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते थे. 

2012 में अमित शाह ने राज्य और राजनीति में वापसी की थी तो सभी की नजरें इसी सीट पर टिकी हुई थीं. बता दें कि कोर्ट के आदेश पर गुजरात से बाहर जाते हुए अमित शाह ने कहा था, मेरा पानी उतरता देख किनारे पर घर मत बना लेना, मैं समंदर हूं लौट कर जरूर आऊंगा.

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अपने दिए हुए बयान के बाद अमित शाह ने शानदार वापसी की और 2012 में चुनाव जीत कर फिर एक बार विधायक बने जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके बाद वो गुजरात की राजनीति छोड़कर दिल्ली पहुंच गए.

साल 2015 में गुजरात में पाटीदार आंदोलन हुआ और पूरे राज्य में पाटीदारों ने बीजेपी सरकार के खिलाफ जमकर विरोध-प्रदर्शन किया. नारणपुरा सीट पर पाटीदारों का काफी दबदबा भी था. यूं तो बीजेपी इस सीट को लेकर काफी आश्वस्त थी पर पाटीदारों का गुस्सा चरम सीमा पर था. 

इस सीट पर बीजेपी की टेंशन बढ़ गई थी क्योंकि पाटीदार आंदोलन के समय कुछ लोग अमित शाह के रवैये को लेकर भी काफी नाराज थे. इसी वजह से बीजेपी हाईकमान को इस सेफ सीट पर भी खतरा लग रहा था. इस सीट पर अमित शाह ने बड़ा दांव चल दिया और अपने भरोसेमंद नेता कौशिक पटेल को चुनाव मैदान में उतार दिया. 

जीत के बाद अमित शाह के करीबी होने के चलते कौशिक पटेल को विजय रूपानी सरकार में राजस्व मंत्री का पद भी मिला.

हालांकि हाल ही में गुजरात में मुख्यमंत्री समेत पूरे मंत्रीमंडल को बदल दिया गया और अब कौशिक पटेल सिर्फ एक विधायक के रूप में कार्यरत है. कौशिक पटेल लगातार बीमार रहते हैं. इसलिए माना जा रहा है कि उनके खराब स्वास्थ्य की वजह से 2022 में बीजेपी यहां पर नया उम्मीदवार उतार सकती है. 

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नारणपुरा विधानसभा क्षेत्र काफी विकसित है और यहां पर सभी बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं. सोशल इंजीनियरिंग की बात की जाए तो इस सीट पर ज्यादातर सवर्ण समुदाय के लोग  हैं और इस सीट पर पटेल और बनिया समाज के लोगों की तादाद सबसे ज्यादा है.

यह वही समुदाय है जो बीजेपी के उदय से ही उसके साथ रही है. इसी वजह से इस सीट को गुजरात में भाजपा की सबसे मजबूत और सेफ सीटों में से एक माना जाता है.

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